देश में गहराता जा रहा बिजली संकट, केजरीवाल की केंद्र को चेतावनी, जानें क्या है इसके 4 बड़े कारण
नई दिल्ली : बीते कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में बत्ती गुल हो रही है और देश में लगातार बिजली संकट गहराता हुआ जा रहा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी इस मामले को लेकर चर्चा में है. दिल्ली सहित अलग-अलग राज्यों में बिजली को लेकर चर्चा बनी हुई है. पंजाब और आंध्र प्रदेश ने पॉवर प्लांट में कोयले की कमी को स्वीकार किया है.
उत्तर प्रदेश में आठ संयंत्र अस्थाई तौर पर ठप पड़ गए है. मध्यप्रदेश में भी यह समस्या देखने को मिल रही है. जबकि दिल्ली में तो बिजली संकट को ध्यान में रखते हुए ब्लैकआउट की चेतावनी तक जारी कर दी गई है. अलग-अलग राज्यों में गहराता बिजली संकट केंद्र सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है और इसी बीच अब केंद्र सरकार की ओर से इस मामले पर बड़ा बयान सामने आया है.
केंद्र सरकार द्वारा जानकारी देते हुए कहा गया है कि ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्व में सप्ताह में दो बार कोयले के स्टॉक की समीक्षा की जा रही है. हालांकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार को चेताया है.
चेतावनी देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि अगर केंद्र जल्द से जल्द जरूरी कदम नहीं उठाता है तो राजधानी को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि कोयले से चलने वाले 135 संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास केवल तीन दिन का कोयला शेष है और अगर ऐसे में केंद्र की ओर से सख़्त कदम नहीं उठाए गए तो लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
ये है बिजली संकट गहराने के 4 बड़े कारण…
अब बड़ा सवाल यह भी उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. इसके कारण क्या हो सकते हैं. तो सबसे पहले आपको बता दें कि कोरोना महामारी को भी इसका कारण माना जा रहा है. दरअसल, कोरोना के चलते देश दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी और अब भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है. कोरोना से बेपटरी हुई अर्थयवस्था की गाड़ी पटरी पर आ सके इसके लिए बिजली की मांग में इज़ाफ़ा हुआ है.
हाल ही में भारी बारिश से कोयले की खदानों वाले क्षेत्रों को भी भारी क्षति पहुंची थी. क्योंकि इसके कारण ऐसे क्षेत्रों में कोयले का उत्पादन नहीं हो पाया.
विदेशों से आने वाले कोयले की कीमत में वृद्धि हुई. नतीजा यह निकला कि मांग की पूर्ति के लिए घरेलू कोयले पर निर्भर होना पड़ा. जिससे कि संयंत्रों में बिजली उत्पादन में कमी दर्ज की गई. इस बार मानसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त मात्रा में कोयले का स्टॉक नहीं हो पाया जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है.