जन्म से लेकर मृत्यु तक कभी रामायण देख नहीं पाए रामायण के संगीतकार रविंद्र जैन, पद्मश्री से हुए सम्मानित
‘रामायण’ को टीवी इंडस्ट्री के इतिहास का सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय धारावाहिक माना जाता है. रामानंद सागर (Ramanand Sagar) द्वारा निर्देशित इस ऐतिहासिक धारावाहिक को आज दशकों बाद भी ख़ूब पसंद किया जाता है. रामानंद सागर के गजब के निर्देशन और अरुण गोविल, दीपिका चिखलिया, सुनील लहरी, दारा सिंह एवं अरविंद त्रिवेदी सहित अन्य कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी ने सीरियल को ऊंचाइयों तक ले जाने में बड़ा रोल अदा किया.
‘रामायण’ की लोकप्रियता में दिग्गज़ गायक, संगीतकार और लेखक रविंद्र जैन (Ravindra Jain) का भी बड़ा योगदान रहा. इस बात में कोई दो राय नहीं कि रविंद्र जैन द्वारा गाए और संगीतबद्ध किए गए गीतों ने ‘रामायण’ में दर्शकों की दिलचस्पी को और बढ़ा दिया था. ‘रामायण’ में दोहा और चौपाइयों को संगीत के जरिए बखूबी पेश करने वाले रविंद्र जैन की आज 9 October 2015 – 6वीं पुण्यतिथि है.
रविंद्र जैन का जन्म साल 1944 में 28 फरवरी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. लोगों के कानों तक जब यह बात पहुंचती है कि वे जन्म से ही नेत्रहीन थे तो लोगन को बड़ा दर्द होता है हालांकि अपनी इस बड़ी कमी के बावजूद संगीत की दुनिया में उन्होंने एक बड़ा नाम किया.
रामायण का पूरा संगीत रविंद्र जैन ने अपनी देखरेख में तैयार किया. आज भी उनकी आवाज लोगों के कानों में गूंजती है. अपने संगीत करियर की शुरुआत में वे मंदिरों में भजन गाते थे. जब उनके माता-पिता ने देखा कि उनका बेटा संगीत के क्षेत्र में रूचि रख रहा है तो उन्होंने रविंद्र जैन को शिक्षा दिलाने का विचार किया. फिर पंडित जी.एल.जैन, पंडित जनार्दन शर्मा और पंडित नाथू राम ने रविंद्र जैन को संगीत की शिक्षा दी.
अब रविंद्र ने भी संगीत में करियर बनाने का मन बना लिया और आ गए सपनों के शहर यानी कि मुंबई में. यहां उन्होंने क्रांति, बालिदान जैसी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया. हिंदी सिनेमा की राम तेरी गंगा मैली, दो जासूस, हिना और विवाह आदि फिल्मों के लिए भी रविंद्र जैन ने ही संगीत दिया था और कई फिल्मों के लिए उन्होंने गाया भी.
रविंद्र जैन अपने काम के प्रति बेहद समर्पित और ईमानदार थे. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे फिल्म सौदागर के लिए रिकॉर्डिंग कर रहे थे तब उन्हें पिता के निधन की जानकारी मिली हालांकि वे रिकॉर्डिंग पूरी करने के बाद ही
अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.
रवीन्द्र जैन जी रचित रचना” अयोध्या करती है आवाह्न ठाट से कर मन्दिर निर्माण ” देश की सदियों की प्रतीक्षा समाप्त हुई इस प्रसंग में जितनी चर्चा उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले की हुई उतनी ही चर्चा और प्रशंसा श्री रवीन्द्र जैन जी के इस गीत की भी हुई।
संगीत की दुनिया में रविंद्र जैन के योगदान को देखते हुए साल 2015 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था. इसी साल इस महान हस्ती ने आज ही के दिन मल्टीपल ऑर्गन फेल होने के कारण मुंबई में दुनिया को अलविदा कह दिया था.