इन सात नेताओं ने 2017 यूपी विधानसभा में बचाई थी कांग्रेस की इज्जत, वर्ना सब ने तो लुटिया डुबो दी थी
कांग्रेस के 7 ऐसे नेता जिन्होंने मोदी लहर के बावजूद 2017 में कांग्रेस की लाज बचा पाए थे
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का कभी यूपी में दबदबा हुआ करता था। यूपी से ही जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे कांग्रेस के बड़े चेहरे चुनाव जीतकर पीएम की कुर्सी तक पहुंचे थे। आज इसी यूपी में कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापिस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनावों में सिर्फ 7 नेता कांग्रेस की लाज बचा पाए थे। आइए जानें राज्य के इन सातों कांग्रेस विधायकों के नाम…
अदिति सिंह…
अदिति सिंह ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार शहबाज़ खान को 90 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। इसकी के साथ वह विधानसभा पहुंचने वाली सबसे युवा उम्र की विधायक भी बन गई थीं। बता दें कि इसके बाद अदिति सिंह ने पंजाब से विधायक अंगद सिंह सैनी से शादी कर ली थी। अदिति के अलावा उनके पिता अखिलेश कुमार सिंह भी रायबरेली (सदर) से पांच बार विधायक चुने गए थे।
आराधना मिश्रा मोना…
आराधना उर्फ मोना मिश्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 20 अप्रैल 1974 को एक राजनीतिक परिवार में हुआ। वे उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की पुत्री हैं जो प्रतापगढ़ के रामपुर खास सीट पर 1980 से 2013 तक नौ बार विधायक रह चुके हैं। आराधना की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई जहां से बीकॉम करने के बाद उन्होंने एमबीए भी किया। आराधना ने 2017 में रामपुर ख़ास सीट से रिकॉर्ड बहुमत से जीत हासिल की और अक्टूबर 2019 में उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा में किसी भी दल की नेता चुनी जाने वाली वे पहली महिला हैं।
राकेश सिंह…
बता दें कि रायबरेली की ही एक और सीट हरचंदपुर में कांग्रेस के राकेश सिंह ने बीजेपी की कंचन लोधी को 2017 में हराया था। हरचंदपुर सीट पर राकेश सिंह के प्रचार के लिए आरजेडी नेता लालू यादव भी रायबरेली पहुँचें थे। गौरतलब हो कि हरचंदपुर की सीट पर सपा के विधायक थे पर गठबंधन के समझौते में ये सीट कांग्रेस के खाते में आ गई थी और सुरेंद्र विक्रम सिंह का टिकट कट गया था।
नरेश सैनी…
राजनीतिक रूप से संवेदनशील कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की बेहट सीट पर कांग्रेस के नरेश सैनी ने मोदी लहर के बावजूद 2017 में जीत दर्ज की थी। नरेश सैनी ने बीजेपी और बसपा के उम्मीदवारों को एक तिकोने मुकाबले में 26 हज़ार वोटों से हराया था। वहीं पिछली बार सैनी मामूली अंतर से विधानसभा पहुंचने से चूक गए थे और इस सीट पर बसपा और बीजेपी 71 हज़ार वोट पाकर लगभग बराबरी पर रही और बाज़ी गठबंधन के पक्ष में चली गई थी।
मसूद अख़्तर…
सहारनपुर देहात की सीट से चुनाव जीतने वाले मसूद अख़्तर का कभी कांग्रेस तो कभी बीएसपी से साथ बना रहा। वहीं 2017 विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की वैतरणी पार लगाई।
सुहैल अख़्तर अंसारी…
2017 यूपी विधानसभा चुनाव में कानपुर कैंट की सीट पर चुनावी पंडितों की ख़ास नजर थी। इस सीट पर गठबंधन की दोनों पार्टियां सपा और कांग्रेस एक-दूसरे से मुक़ाबला कर रही थीं। वहीं बाज़ी कांग्रेस प्रत्याशी सुहैल अख़्तर अंसारी के पक्ष में गई और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को तकरीबन दस हज़ार वोटों से हराया था। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के मोहम्मद हसन रूमी चौथे स्थान पर रहे थे।
अजय कुमार उर्फ लल्लू…
तमकुहीराज के कांग्रेस विधायक अजय कुमार उर्फ लल्लू को कभी यूपी का सबसे गरीब विधायक करार दिया गया था, क्योंकि उनके बैंक खाते में भले ही ज्यादा पैसा न हो लेकिन उनपर दर्ज आपराधिक मुकदमों के लिहाज से वे ‘रईस’ कहे जा सकते हैं और 2017 विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के हाथ को मजबूत किया था।