अध्यात्म

दरिद्रता और अभाव से बचना है तो जीवन में कभी न करें इन 4 स्त्रियों को अपमान

हिन्दू धर्म में स्त्रियों का सम्मान सबसे जरूरी और अहम है, माना जाता है कि स्त्रियां देवी आदी शक्ति का स्वरूप होती हैं, हमारे भारतीय समाज और हिन्दू संस्कृति में महिलाओं का सम्मान और उनका स्थान उच्च कोटि का होता है, लेकिन कालांतर में तमाम कुरीतियों का भी प्रचलन हुआ जिनके चलते समाज में महिलाओं के प्रति अपराध, कुदृष्टि, अपमानजनक शब्दों का प्रयोग और दोयम दर्जे का व्यवहार शुरू हो गया. स्त्री को अबला और कमजोर असमझ कर उसके प्रति गलत व्यव्हार और अत्यचार करने वाले व्यक्ति कभी सुखी नहीं रहते हैं.

इन 4 स्त्रियों का अपमान कभी नहीं करनी चाहिए :

हिन्दू धर्म में स्त्रियों की महिमा का बखान किया गया है, सभी धर्म ग्रंथों में स्त्रियों के प्रति सम्मान की शिक्षा दी गयी है लेकिन हिन्दू धर्म में स्त्रियों की अलग ही महिमा बताई गयी है. कहा जाता है कि प्रकृति ने महिलाओं को विशेष बनाया ही है इसलिए उसने सृजन का कार्य महिलाओं को दिया. महिला ही है जिसे जन्म देने का अधिकार है, इस श्रृष्टि को आगे बढ़ाने और सुचारू रूप से चलाने के लिए महिलाएं सबसे अहम भूमिका में हैं. बावजूद इसके महिलाओं को ही सबसे ज्यादा अपमान और लांछन झेलना पड़ता है.

रामचरित मानस में चार महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार करने के दुष्परिणामों के बारे में बताया गया है, तुलसीदास जी ने मानस में बताया है कि निम्नलिखित चार महिलाओं का अपमान करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी खुश नहीं रह पाता है और उसका सम्पूर्ण जीवन दरिद्रता और तंगहाली में बीतता है.

बहू के स्वरूप में स्त्री- स्त्री के अनेकों स्वरूप हैं जिनमें से बहू का स्वरूप भी एक है, घर में आई नई बहू को बहुत शुभ माना जाता है, हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बहू लक्ष्मी का स्वरूप होती है, उसके प्रति असम्मान, कड़वाहट और घृणित दृष्टि रखने वाला व्यक्ति जीवन में कभी खुश नहीं रहता है और हमेशा समस्याओं और मुश्किलों से घिरा रहता है.

भाई की पत्नी- हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बड़े भाई की पत्नी का दर्जा मां का होता है और छोटे भाई की पत्नी का दर्जा बेटी के समान होता है, ऐसे में अपनी मां समान भाभी और अपनी बेटी समान छोटे भाई की पत्नी के प्रति दुर्व्यवहार करने वाला व्यक्ति किसी जानवर से कम नहीं होता है, दोनों ही स्त्रियों के प्रति नकारात्मक धारणा रखना शास्त्रों के अनुरूप बहुत गलत है. इससे पाप का योग होता है.

बहन- हिन्दू धर्म की मान्यता को अनुरूप बहन का दर्जा मां के समान होता है, ऐसे में पुरुषों को अपनी बहन का भी उतना ही सम्मान करना चाहिए जितना वो अपनी मां का करते हैं, बहन के साथ दुर्व्यवहार और उसकी भावनाओं का असम्मान करने वाले व्यक्ति को ईश्वर कभी माफ नहीं करते हैं.

घर की बेटी- घर की बेटी का आशय परिवार के किसी भी सदस्य की बेटी से है, चाहे वह आपके भाई की बेटी हो या आपकी, जो पुरुष घर की बेटियों का असम्मान करता है या उसके प्रति कुदृष्टि रखता है, उसे मारता पीटता है, वह काभी खुश नहीं रह पाता है, ऐसे इन्सान के जीवन से प्रसन्नता और लक्ष्मी दोनों ही दूर रहती हैं.

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