चाणक्य के अनुसार इन 6 सूत्रों को मानने वाला व्यक्ति कभी नहीं होता असफल!
चाणक्य नीति: जीवन सबको मिलता है, मगर हर व्यक्ति सफल नहीं होता है, सफलता को किसी पूर्व निर्धारित नियम में नहीं बांधा जा सकता है, सफलता हमेशा उद्देश्य के प्रति हमारी कार्यशैली और रणनीति पर निर्भर करती है. साथ ही स्थिति और परिस्थितियां भी काफी हद तक सफलता को प्रभावित करती हैं. वैसे तो सफलता के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है लेकिन बावजूद इसके कुछ बातें हैं जिनका अनुसरण करके हम सफलता को प्राप्त कर सकते हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों का बहुत महत्व है, उन्होंने ऐसे 6 सूत्रों के बारे में बताया है जो हमारी सफलता के लिए बेहद मददगार होंगे.
चाणक्य नीति : आचार्य चाणक्य ने एक मंत्र के जरिये बताया सफलता का सूत्र-
“क: काल: कानि मित्राणि को देश: कौ व्ययागमौ। कस्याऽडं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुंहु:।।” अर्थात- किसी भी व्यक्ति की सफलता के लिए काल, कानि मित्र और देश का ध्यान रखना आवश्यक है, मतलब समय, कपटी मित्र और देश की जानकारी सफलता के लिए बहुत जरूरी है, इसके अलावा भी 4 बातें हैं.
अच्छा समय- अच्छा समय हमेशा साथ नही होता है, इसलिए व्यक्ति को समय के अनुकूल काम करना चाहिए, जो लोग समय के अनुकूल चलते हैं सफलता उनके कदमों में रहती है, अगर समय आपके साथ न हो तो हर चीज आपके विपरीत ही होती है इसलिए मनुष्य को समय की अनुकूलता के काल में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. अच्छे समय में की गयी लापरवाही ही हमारी असफलता का कारण बनती है. इसलिए व्यक्ति को भविष्य के परिणामों के प्रति सतर्क रहना चाहिए. समय के अनुरूप चलने वाले व्यक्ति को सफलता जरूर मिलती है.
कपटी मित्र- मित्र हमारे जीवन में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं, जीवन कई ऐसे पल होते हैं जब हमें मित्र की आवश्यकता होती है, ऐसे में कपटी मित्र हमारी असफलता के लिए कारण बनते हैं. व्यक्ति को कपटी मित्र और वास्तविक मित्र की पहचान होनी चाहिए. सही मित्र आकस्मिक परिस्थितियों में साथ देते हैं, जबकि कपटी और दिखावटी मित्र जरूरत के समय में कभी भी साथ नहीं देते हैं. जरूरत के समय में कपटी मित्रों की बुरी सोच भी नुकसान पहुंचाती है.
देश की जानकारी- चाणक्य का मानना है कि सफलता के लिए देश की जानकारी यानी कि स्थानों के बारे में पता होना भी बेहद जरूरी है और व्यक्ति को स्थान के अनुरूप ही कार्य करना चाहिए. स्थान और काल के अनुरूप नहीं चलने पर परिस्थितियां हमेशा विपरीत होती हैं. ऐसे में व्यक्ति उलझा ही रह जाता है. जो व्यक्ति परिस्थितियों में उलझा रह जाता है, उसे कभी सफलता नहीं मिलती है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति अपने जरूरी कार्यों पर ध्यान नहीं दे पाता है.
आय-व्यय का संतुलन- चाणक्य बताते हैं कि व्यक्ति की सफलता के लिए उसका आय और व्यय में संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी है, जो अपने जीवन में आर्थिक संतुलन नहीं बना पाता वह समस्याओं से घिरा रहता हैं और सफल नहीं हो पाता है. ऐसे व्यक्ति आर्थिक तंगी और समस्याओं से कभी पीछा नहीं छुड़ा पाता, ऐसा व्यक्ति हमेशा गरीबी और आभाव में जीवन व्यतीत करता है.
अधीनता और प्रबंधन- व्यक्ति को अपने संस्थान के नियमों के अधीन रहते हुए कार्य करना चाहिए और प्रगति के लिए प्रयास करते रहना चाहिए. उसे पाने के लिए जीवन और कार्य में उपयुक्त प्रबंधन करना चाहिए ताकि वह अपने कार्य और व्यवहार से ख्याति पाए और सफलता की ओर अग्रसर हो बल्कि इसके विपरीत लोग अपने कार्यस्थल पर फालतू के विवादों में घिरा रह जाता है और समग्रता से काम नहीं कर पाता है. इन वजहों से उसके प्रयास, शक्ति और क्षमता व्यर्थ में नष्ट हो जाते हैं.
अपने सामर्थ्य का ज्ञान- चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने सामर्थ्य का ज्ञान होना चाहिए उसे यह जानना चाहिए कि वह क्या कर सकता है. कहा जाता है कि उतने पांव पसारिये जितनी चादर होय, यानी कि व्यक्ति को अपनी शक्ति सामर्थ्य और क्षमता के अनुरूप ही कार्य करना चाहिए इससे ज्यादा सोचने और करने वाला व्यक्ति सफल नहीं हो पाता है. लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि आप अपनी क्षमता से आगे कभी बढे ही नहीं, सही मायने में तो अपने प्रयासों के जरिये अपनी क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाएं और उसके अनुरूप कार्य करने से सफलता मिलती है.