महाभारत के दानवीर कर्ण के कारण होते है 16 दिन के श्राद्ध पक्ष, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी
हिन्दू पंचांग के अनुसार इन दिनों पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) चल रहे हैं. पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलते है. पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं. श्राद्ध पक्ष के इन 16 दिनों को हमारे पूर्वजों के द्वारा किए उपकार को चुकाने का दिन माना जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि, पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध व तर्पण के रूप में अपने वंशजों से भोजन और जल ग्रहण कर उन्हें आशीर्वाद देते है. मगर क्या आपने कभी सोचा है श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha) 16 दिन के ही क्यों होते है. यह परंपरा कैसे शुरू हुई. पौराणिक कथा की माने तो इसका संबन्ध महाभारत काल के दानवीर कर्ण से माना जाता है.
ये है 16 दिनों के पितृ पक्ष की कहानी
पौराणिक कथा की माने तो महाभारत के यद्ध के दौरान मृत्यु के बाद कर्ण को मोक्ष नहीं मिला. उन्हें स्वर्ग पहुंचाया गया. स्वर्ग मे जाने के बाद उन्हें काफी सोना दिया गया. खाने में भी सोना ही मिलता था. कर्ण ने जब देवराज इंद्र से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि, आपने जीवनभर सोना ही दान किया है. पितरों की शांति के लिए कभी किसी अन्य वस्तु का दान नहीं किया. इसलिए आपको यहां पर भी सोना ही मिल रहा है. देवराज ने कहा कि जब तक आप पितरों का कर्ज नहीं देते तब तक आपको मुक्ति नहीं मिलेगी.
इस पर देवराज को कर्ण कहते है कि, उन्हें पितरों के लिए दान को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने अपने कर्म को सुधारने के लिए एक मौका मांगा. इसके बाद कर्ण को दोबारा से 16 दिनों के लिए धरती पर भेजा गया. इन 16 दिनों में कर्ण ने अपने पूर्वजों को याद करके गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान किया और पितरों के निमित्त तर्पण किया. ये समय भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक चला था. उसी समय से इन 16 दिनों को पितरों का ऋण चुकाने वाले माना जाता है. हर साल श्राद्ध पक्ष में वंशज अपने पितरों को याद करके तर्पण करते है.
इन दिनों में है दान का विशेष महत्व
पितृ पक्ष में दान का काफी गहरा महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दौरान किए कए दान का फल जीवात्मा को स्वर्गलोक में प्राप्त होता है. इन 16 दिनों में आप अपने सामर्थ्य के अनुसार अनाज, वस्त्र, धन, मिष्ठान, सोना, चांदी आदि का दान कर सकते है. इसके साथ ही श्राद्ध पक्ष में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई भिक्षा मांगने आए तो उसे कभी खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए. मान्यता है कि, इस समय हमारे पितर किसी भी रूप में धरती पर आ सकते हैं.
आप पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को अपने सभी पितरों के लिए एक साथ श्राद्ध कर सकते हैं. सर्व पितृ अमावस्या को आप 16 ब्राह्मणों को भोजन करा सकते है. इसे धर्म शास्त्रों में अत्यंत शुभ बताया गया है. इसके साथ ही आप इस दिन गीता के 16वें अध्याय का पाठ करें. साथ ही देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों को भी भोजन कराए.