तालिबान के बदले तेवर, कहा- पाकिस्तान धोखेबाज मुल्क है, भारत हमारे साथ डिप्लोमेसी शुरू करे
जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है तभी से पाकिस्तान उससे हमदर्दी जताता आया है। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो वह ऐसा अपने निजी फायदे के लिए कर रहा है। यह बात अब तालिबान को भी धीरे धीरे समझ आ रही है। यही वजह है कि बीते एक महीने में तालिबान और पाकिस्तान सरकार के रिश्ते (Taliban and Pakistan Relationship) में कई उतार चढ़ाव देखे गए। अब पहली बार तालिबान के एक वरिष्ठ नेता ने पाकिस्तान की खुलेआम बुराई की है। उसने पाकिस्तान को धोखेबाज मुल्क बताया है।
दरअसल तालिबान संस्थापकों में शामिल रहा मुल्ला अब्दुल सलाम जईफ (Mullah Abdul Salam Zaeef) पाकिस्तान को भरोसे के लायक नहीं मानता है। उसने कहा कि ‘पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। जब हम सुपर पावर अमेरिका (America) के आगे नहीं झुके तो पाकिस्तान जैसे मुल्क को खुद को कैसे सौंप दें? हम अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने देंगे।
इसके अलावा मुल्ला जईफ ने भारत की आशंकाओं पर भी टिप्पणी की। उसने कहा कि भारत हमसे डिप्लोमेसी शुरू करें। इससे ये पक्का हो जाएगा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कोई अन्य देश उसके खिलाफ नहीं कर रहा है। जईफ ने आगे कहा कोई भी मुल्क हमारे साथ ईमानदार नहीं रहा है। फिर पाकिस्तान का असली चेहरा तो हर कोई जानता है। वह धोखेबाज है, भरोसे के लायक कतई नहीं है। और वैसे भी हम अपने देश के अंदरूनी मामलों में पाकिस्तान या किसी अन्य देश की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
जईफ ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा ये नया तालिबान है। इस बार इसका शासन बदला हुआ है। महिलाएं स्कूल जा रही हैं। कुछ को काम पर जाने की इजाजत भी दी गई है। रैलियां भी निकाली जा रही हैं। हम उन्हें राजनीति, बिजनेस जैसी जगहों पर अवसर देने पर विचार करेंगे।
मुल्ला जईफ ने कहा कि मुल्ला बरादर, अखुंदजादा, स्टानकजई और मैं भले ही सरकार का हिस्सा न हो लेकिन हम सरकार के पास ही हैं। हमारा उद्देश्य देश में स्थिरता लाना है। हमे कुछ मजबूरीयों के चलते जल्दबाजी में तालिबान सरकार का गठन करना पड़ा। अब ये आवश्यक था। लेकिन मैं आपको बता दूं कि ये अस्थाई सरकार है।
जब तालिबानी नेता से पूछा गया कि क्या महिलाओं को भी आपकी सरकार में शामिल किया जाएगा, तो इस पर वे बोले कि ‘फिलहाल हम चीजों को समझ रहे हैं। अभी हमारी प्राथमिकता परिस्थितियां संभालना है। वर्तमान में सरकार में सिर्फ उन लोगों को ही शामिल किया गया है जिन्होंने आजादी के लिए तालिबान को सपोर्ट किया है। अफगानी लोगों, राजनीतिक चेहरों और महिलाओं को सरकार में शामिल करने पर हम विचार करेंगे। हालांकि ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब दुनिया हमें मान्यता देगी।