मां की आंखें ढूंढ रही थी अपने लाल को, लेकिन 35 दिन बाद हाथ में आया पोटली में भरा कंकाल
पिछले महीने हुआ था बेटे का अपरहण, अब मिला बेटे का कंकाल
बेटा कैसा भी क्यों न हो, वह घर का कुलदीपक ही कहलाता है। हर मां-बाप के आँखों का तारा होता है एक बेटा। ऐसे में किसी के घर उसका बेटा कपड़े की पोटली में कंकाल के रूप में आएं। तो घर वालों पर क्या बीतेगी? यह आप सहज अंदाज़ा लगा सकते हैं। स्वाभविक सी बात है कि यह बात सोचकर ही रूह कांप जाती है। फ़िर सोचिए जिस मां-बाप या परिवार पर ऐसा बीतेगा। उसे कैसा अहसास होगा? बता दें कि यह घटना सिर्फ़ एक कल्पना मात्र नहीं, बल्कि प्रयागराज के एक परिवार के साथ घटी दुःखद घटना है।
जी हां जिस कंकाल की बात हम कर रहें वह अंदावा जैन मंदिर के पास रहने वाले मूलचंद्र बिंद के 12 वर्षीय बेटे अंकित का है। गुरुवार शाम मूलचंद्र एक कपड़े की पोटली लेकर अपने भाइयों के साथ घर पहुंचा तो उसकी पत्नी आरती ने कहा कि बेटे का शव कहां है, जिस पर मूलचंद्र कपड़े की तरफ इशारा करते हुए फूट-फूट कर रोने लगा। उसकी पत्नी भी अचेत हो गई। लोगों ने मूलचंद्र को सहारा दिया और फिर दारागंज घाट पर अंकित के कंकाल का अंतिम संस्कार किया गया।
फोन आया, आकर ले जाइए बेटे का शव…
बता दें कि मूलचंद्र बिंद को बुधवार को वाराणसी से फोन आया कि उनके पुत्र अंकित का पोस्टमार्टम और डीएनए टेस्ट हो गया है। वह गुरुवार को आकर शव को ले जा सकता है। गुरुवार सुबह मूलचंद्र अपने भाई लालचंद्र, पत्नी के भाई गया प्रसाद बिंद के साथ वाराणसी रवाना हुआ। साथ में सरायइनायत थाने के दो पुलिसकर्मी भी थे। लगभग 12 बजे वह वहां पहुंच गया। कागजातों पर हस्ताक्षर करने के बाद पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी ने उसे कपड़े की एक पोटली दी, जिस पर मूलचंद्र ने कहा कि वह अपने बेटे का शव लेने आया है। कर्मचारी ने बताया कि यही है। अब सिर्फ कंकाल बचा है, जिसे कपड़े में रखा गया है।
यह सुनते ही जिस कपड़े में उसके बेटे का कंकाल था, उसे उसने सीने से लगा लिया। वह वहीं बिलखने लगा। यह देखकर वहां मौजूद हर किसी के आंखों से आंसू छलक गए। लालचंद्र, गया प्रसाद व साथ मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी प्रकार उसे संभाला। कार में बैठाया और शाम को यहां घर ले आए। यहां पहुंचते ही मूलचंद्र की पत्नी आरती ने कहा कि बेटे की लाश कहां है? जिस पर वह कपड़ा दिखाते हुए रो पड़ा। बेटे का कंकाल कपड़े की पोटली में देखकर वह भी अचेत होकर गिर पड़ी। गांव की महिलाएं उसे संभालने में लगी रहीं। करीब दस मिनट यहां रुकने के बाद सभी दारागंज घाट के लिए निकल गए।
पिछले महीने हुआ था अपहरण …
गौरतलब हो कि सरायइनायत थाना क्षेत्र के अंदावा जैन मंदिर के पास रहने वाले मूलचंद्र बिंद के पुत्र अंकित का 19 अगस्त को अपहरण कर लिया गया था। 25 अगस्त की दोपहर मोबाइल पर फोन कर मूलचंद्र से 70 लाख की फिरौती मांगी गई थी। जिस पर पुलिस नंबर को ट्रेस कर आरोपितों तक पहुंच गई और उनकी निशानदेही पर मीरजापुर के ड्रमंडगंज जंगल से 29 अगस्त को अंकित का शव बरामद किया था। पोस्टमार्टम के लिए शव को पहले मीरजापुर भेजा गया, जहां दूसरे दिन डाक्टरों ने डीएनए टेस्ट को लेकर शव को वाराणसी भिजवाया दिया था। वाराणसी में डाक्टरों ने पोस्टमार्टम और डीएनए टेस्ट में कुछ समय लगने की बात कही थी।
29 अगस्त को मिर्जापुर की पहाड़ी में मिला था अंकित का शव…
बता दें कि 25 अगस्त की रात में पुलिस ने मूलचंद के ससुराल की तरफ से रहने वाले दीपू और अर्जुन को उठाया था। दोनों के पास से वही मोबाइल बरामद हुआ था, जिससे कॉल करके फिरौती की रकम मांगी गई थी। आरोपियों ने ही पुलिस को बताया था कि अंकित की हत्या कर दी गई है और शव को मिर्जापुर के ड्रमंडगंज इलाके में पहाड़ी पर फेंक दिया गया है। इसके बाद 29 अगस्त को पुलिस की टीम ने मिर्जापुर की पहाड़ी से शव को बरामद किया था।
पुलिस की थोड़ी सी सक्रियता से बच सकती थी अंकित की जान…
वहीं मालूम हो कि अंकित बिंद का अपहरण 19 अगस्त को हुआ था। अंकित के पिता ने पुलिस को उसी दिन बेटे के गुम होने की जानकारी दी थी। 21 अगस्त को सरायइनायत पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। इस बीच 25 अगस्त को अपहरणकर्ताओं ने अंकित के पिता मूलचंद को कॉल करके 30 लाख रुपये फिरौती की रकम मांगी। इसके बाद कॉल डिटेल के आधार पर दीपक व अर्जुन को पुलिस ने दबोच लिया था। पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो अंकित की हत्या की बात कुबूल कर ली थी। मूलचंद का कहना है कि पुलिस अगर समय रहते उसके बेटे के मामले में सक्रियता दिखाती तो शायद उसकी जान बच जाती। मूलचंद बार-बार यही कह रहा था कि अब मैं इन रुपयों का क्या करूंगा जब मेरे घर का चिराग ही चला गया।