पितृ पक्ष 2021 : अगर ये संकेत मिले तो समझ जाए आपके पितृ है आपसे नाराज, इन उपायों से मनाए
साल में एक बार आने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. इसे श्राद्ध के रुप में भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में पूर्वजों को पितृ या पितर कहा जाता है. धार्मिक मान्यता और शास्त्रों की माने तो हर साल एक निश्चित समय के लिए पृथ्वी पर आकर अपनी भावी पीढ़ी को देख कर प्रसन्न या दुखी होते हैं. कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता है कि कहीं हमारे पूर्वज हमसे नाराज तो नहीं है और अगर है भी तो उन्हें कैसे मनाया जा सकता है और इससे शांति के क्या उपाय है.
आइए आज आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं. बता दें कि हमे अपने जीवन में कोई न कोई संकेत मिलते ही रहते हैं. वहीं इनमें से कुछ संकेत ऐसे भी होते है जो पितरों की नाराजगी से जुड़े होते हैं. अगर आपको भी हमारे द्वारा बताए जा रहे संकेत मिले तो समझे कि आपके पितृ या पूर्वज आपसे नाराज है.
ये संकेत मिले तो समझे पितृ है नाराज…
1 खाने में बाल…
कई बार खाना खाते समय या कुछ भी सेवन करते समय यदि बाल आ जाए तो यह शुभ संकेत नहीं होता है. कहा जाता है कि यह संकेत है कि हमारे पितृ हमसे नाराज है.
2 घर से दुर्गंध आना…
कई लोग ऐसे होते हैं जिनके घरों से बदबू या दुर्गंध आती है. हालांकि दुर्गंध का पता नहीं चल पता है कि आखिर दुर्गंध कहां से आ रही है. लेकिन कहते हैं कि यह भी पितृदोष के लक्षण में से एक है.
3 स्वप्न में बार-बार पूर्वजों का आना…
सपने काफी कुछ बयां करते हैं. हर सपने का अपना एक अलग महत्व होता है. वहीं अगर आपको अपने सपने में बार-बार पूर्वज दिखें तो सतर्क हो जाए. आप समझ जाए कि आपके पूर्वज आपसे कुछ चाहते हैं.
4 शुभ कार्य में अड़चन…
पितरों की नाराजगी का संकेत शुभ कार्य में अड़चन भी माना जाता है. अगर किसी शुभ अवसर पर कुछ काम बिगड़ जाए तो यह आपके लिए विचारणीय संकेत है.
6 घर के किसी एक सदस्य का कुंवारा रह जाना…
कई बार देखा जाता है कि किसी परिवार में किसी एक सदस्य की उम्र बढ़ती जाती है लेकिन उसकी शादी नहीं होती है. वहीं घर में कुंवारे सदस्य की मृत्यु भी पितृ दोष से जोड़कर देखी जाती है.
पितरों की शांति के उपाय…
1- पितृदोष से निवारण के लिए आप षोडश पिंड दान,विष्णु मन्त्रों का जाप, सर्प पूजा, ब्राह्मण को गौ-दान सहित कन्या -दान, कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना, मंदिर परिसर में पीपल, बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना आदि करना असैा प्रेत श्राप को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ कार्य कर सकते हैं.
2- वहीं वेदों और पुराणों में दिए गए पितरों की संतुष्टि के मंत्र, स्तोत्र और सूक्तों का नित्य पाठ भी आपको इसमें निजात दिला सकते हैं. नित्य पाठ न हो सके तो इस स्थिति में हर माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या यानि पितृपक्ष के समय यह पाठ करें.
3- भगवान शिव की आराधना करना भी इसमें फलदायी मान जाता है. आप शिव जी की तस्वीर सामने रखकर बैठ जाए और शिव जी को ध्याते हुए ”ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात” मंत्र की एक माला का हर रोज एक निश्चित समय पर जाप करें.