‘कुत्ते की दुम को कितना भी सीधा करने की कोशिश कर लो, वह हमेशा तेड़ी की तेड़ी ही रहती है।’ ये कहावत तालिबान पर सटीक बैठती है। तालिबान भले ही दुनिया की नजरों में खुद की अलग छवि पेश करने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत जब सामने आती है तो उसकी शांति और अमन की बातें खोखली साबित होती है। अब तो आलम ये हो गया है कि तलिबानियों में आपस में ही खूनी शुरू कर दिया है। अब वे अपनेवालों के सगे भी नहीं रहे हैं।
दरअसल अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने यहां अपनी नई सरकार बनाई है। ऐसे में कुर्सी की इस जंग में वे आपस में ही भीड़ गए हैं। ब्रिटेन की एक मैगजीन का दावा है कि कुर्सी की इस लड़ाई में तालिबान के सर्वेसर्वा हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो गई है, वहीं उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा गया है। सत्ता पर अपना दबदबा बनाने के लिए यह संघर्ष तालिबान के ही दो धड़ों के मध्य हुआ है। मैगजीन के अनुसार हक्कानी धड़े के साथ हुए इस झगड़े में सबसे अधिक नुकसान मुल्लाह बरादर का हुआ है।
ब्रिटेन की मैगजीन की रिपोर्ट की माने तो सितंबर माह में तालिबान के दोनों धड़ों की बैठक हुई थी। इसमें एक पल ऐसा भी आया जब हक्कानी नेता खलील-उल रहमान हक्कानी ने अपनी कुर्सी से उठकर बरादर पर मुक्के बरसाए। दुनिया के अन्य देशों में तालिबान सरकार को मान्यता दिलाने के उद्देश्य से बरादर लगातार तालिबान सरकार के कैबिनेट में गैर-तालिबानियों और अल्पलसंख्यकों को स्थान देने का दबाव बना रहा था। ये बात हक्कानी नेता को हजम नहीं हुई।
इस लड़ाई के बाद से ही बरादर कुछ दिनों से गायब था। फिर उसे कंधार में देखा गया। यहां उसने आदिवासी नेताओं से मुलाकात कर उनका समर्थन हासिल किया। लेकिन बरादर पर दबाव डालकर उससे फिर एक वीडियो संदेश भिजवाया गया। मैगजीन ये दावा कर रही है कि इस वीडियो से ऐसे संकेत मिल रहे हैं जो बरादर के बंधक होने की ओर इशारा कर रहे हैं।
वहीं मैगजीन ने अखुंदजादा को लेकर कहा कि वह कहां है इस बात का पता नहीं लग पाया है। उसे न तो बहुत समय से देखा गया है और न ही उसका कोई संदेश जारी हुआ है। इसलिए अब उसकी मौत के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके पहले तालिबान में कभी सत्ता को लेकर ऐसा संघर्ष नहीं देखा गया है। बता दें कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क 2016 में एक हुए थे।
बरादर चाहता था कि तालिबान की एक अलग छवि पेश कर उसे दुनिया में मान्यता दिलाई जाए। लेकिन हक्कानी नेटवर्क आत्मघाती हमलों का राग अलाप रहा था। खलील हक्कानी अफगानिस्तान में शरणार्थियों का मंत्री बनाया गया है। खलील हक्कानी का नाम संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में भी है। ये भी बताया जा रहा है कि हक्कानी का सीधा कनेक्शन पाकिस्तान से है। पाकिस्तान भी अपना मकसद पूरा करने के लिए तालिबान सरकार में हक्कानी का दबदबा चाहता है।