मुस्लिम पुरुष की हिंदू महिला के साथ दूसरी शादी होगी कानूनन अमान्य, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए विधवा महिला को उसके पति के पेंशन और अन्य लाभ लेने से मना कर दिया। कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि कानून के तहत उसकी शादी मान्य नहीं है। कोर्ट के इस फैसले से महिला को बड़ा झटका लगा है।
दीपमणि कलिता शहाबुद्दीन अहमद नाम के व्यक्ति से शादी की थी। शहाबुद्दीन अहमद कामरूप जिले के उपायुक्त कार्यालय में लॉट मंडल पद पर काम कर रहा था लेकिन जुलाई 2017 में उसकी मौत हो गई थी। विधवा पत्नी शहाबुद्दीन की मौत के बाद पेंशन और अन्य लाभ लेने के लिए अधिकारियों के पास पहुंची तो उन्होंने आवेदन खारिज कर दिया। महिला 2019 में अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पहुंची जिसमें उसने पति को दिए जाने वाले अन्य लाभ देने की मांग की थी। महिला का एक 12 साल का बेटा भी है।
कोर्ट का फैसला
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने माना की दीपमणि ने शहाबुद्दीन से शादी की थी इस बात पर कोई विवाद नहीं है लेकिन जब इन दोनों की शादी हुई उस समय शहाबुद्दीन की पहली पत्नी जीवित और इस बात का कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं है की पहली पत्नी के साथ उनका संबंध विच्छेद (तलाक) हो चुका था। जस्टिस कल्याण राय सुराना ने कहां इस्लामी कानून से यह स्पष्ट है कि एक मुस्लिम पुरुष की मूर्तिपूजक महिला के साथ शादी न तो मान्य है और न ही शून्य है यह सिर्फ अनियमित विवाह है।
फैसले में आगे उन्होंने कहा की विशेष विवाह अधिनियम के तहत किसी मुस्लिम पुरुष द्वारा एक हिंदू महिला के साथ अनुबंधित दूसरी शादी का बचाव नहीं करती अतः ऐसा विवाह अमान्य होगा। विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4 के अनुसार विशेष विवाह के अनुष्ठापन से संबंधित शर्तों में से एक है कि किसी भी पक्ष का जीवन साथी जीवित नहीं होना चाहिए।
समस्या ये है
याचिकाकर्ता महिला मुस्लिम पुरुष की दूसरी पत्नी है जबकि कोर्ट के अनुसार कोई भी महिला या पुरुष कानूनी तौर पर दूसरी शादी तभी कर सकता है जब उनके बीच तलाक हो चुका हो या फिर दोनों में से किसी एक का जीवन साथी दुनिया में मौजूद न हो। लेकिन इस मामले में शहाबुद्दीन की पहली पत्नी जीवित है और दोनों के तलाक का भी कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं है। ऐसे में कानूनी तौर पर महिला की शादी को अमान्य माना गया है।
इस्लामिक कानून भी आड़े आया
क्योंकि पुरुष और महिला हिंदू है इसलिए भी दोनों की शादी अमान्य है। मुस्लिम लॉ भी कहता है कि एक मुस्लिम पुरुष कि हिंदू महिला के साथ शादी मान्य नहीं है।