इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है की जैसा भोजन आप ग्रहण करेंगे वैसा ही बनेगा आपका स्वभाव!
मानव शरीर 3 गुणों से मिलकर बना है- सात्विक, राजसी और तामसी। व्यक्ति का विचार और व्यवहार इसी के आधार पर परिवर्तित होता रहता है। आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना ही होगा कि जैसा आदमी भोजन ग्रहण करता है, वैसा ही वह व्यवहार भी करता है। अर्थात अगर आप मांस का सेवन करेंगे तो आपका स्वभाव राक्षस की तरह होगा। इसके विपरीत अगर आप दूध-दही और फल-सब्जी का सेवन करेंगे तो आपना मन और विचार दोनों ही पवित्र रहेगा।
जड़ता, निद्रा और आलस्य का कारण है तमस:
तमस से जड़ता, निद्रा और आलस्य पैदा होता है। राजस से बेचैनी, इच्छा और वेदना का जन्म होता है। अगर आपके मन पर सत्व प्रबल अवस्था में है तो आपका जीवन आनंदित रहता है और व्यवहार भी कोमल रहता है। शरीर में इन तीनों गुणों में से जो जिसका भी प्रभाव ज्यादा होता है, वैसा ही व्यक्ति का आचरण बन जाता है। इस बात को समझाने के लिए हम आपको एक कहानी बताते हैं।
बहुत समय पहले एक सन्यासी रहा करते थे जो हर जगह बिना किसी रोक-टोक के जाया करते थे। लोग उस सन्यासी का हर जगह प्रेम से स्वागत करते थे। सन्यासी राजा के महल में दोपहर के भोजन के लिए हर दिन जाता था। रानी सन्यासी को सोने की थाली और कटोरी में भोजन परोसती थीं। वह हर रोज भोजन करते थे और वापस चले जाते थे। एक दिन जब उन्हें भोजन करने के लिए दिया गया तो भोजन करने के बाद गिलास और चम्मच अपने पास रख लिया।
उन्होंने इसके बारे में किसी को नहीं बताया कि उन्हें गिलास और चम्मच की आवश्यकता है। इसके बारे में जानने पर महल के सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने सोचा कि आज सन्यासी को क्या हो गया जो बिना बताए गिलास और चम्मच उठा लिया। आज से पहले तो उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया था। 3 दिन बाद वह वापस आये और सभी चीजें वापस कर दिए। यह देखकर लोगों को और ज्यादा आश्चर्य हुआ।
राजा ने उस दिन महल में कुछ बुद्धिमान लोगों को बुलवाया और सन्यासी के इस व्यवहार के बारे में समीक्षा करने के लिए कहा। बुद्धिमान लोगों ने यह पता किया कि उस दिन सन्यासी को भोजन में क्या परोसा गया था। उन्होंने यह पता लगाया कि उस दिन जो सन्यासी को भोजन परोसा गया था, वह चोरों और डकैतों से जब्त किये गए राशन से पकाया गया था। यही वजह थी कि सन्यासी ने चोरी की। इसका मतलब यह है कि व्यक्ति जैसा भोजन करना है, उसका दिमाग भी वैसे ही काम करता है। इसलिए हमेशा सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।