बचपन का प्यार भुला नहीं पाया कपल, प्रेमिका से मिलने रात को कमरे में घुस गया आशिक, लेकिन..
जान मेरी जानेमन, बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे'
‘जान मेरी जानेमन, बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे’ ये गाना इन दिनों बड़ा पॉपुलर हो रहा है। वैसे इस गाने में काफी सच्चाई भी है। बचपन का प्यार होता ही इतना प्यारा है कि हम उसे चाहकर भी नहीं भुला पाते हैं। यही वजह है कि कई लोग बचपन के प्यार को शादी में तब्दील करने का सोचते हैं। हालांकि हर किसी की किस्मत में ऐसा नहीं होता है। यदि होता भी है तो उन्हें इसके लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी लव स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं जो बचपन से शुरू तो हुई लेकिन उसका अंत एक अलग अंदाज में हुआ।
बचपन के प्यार का यह किस्सा उत्तर प्रदेश के मेरठ का है। यहां फतेहउल्लाहपुर के लिसाड़ीगेट थाने में बचपन से एक दूसरे से प्यार करने वालों की लव स्टोरी सामने आई। मुस्कान और शाकीब नाम का यह प्रेम जोड़ा पिछले चार सालों से प्रेम प्रसंग चला रहा था। दोनों बचपन के दोस्त हैं। तब दोनों के बीच सिर्फ दोस्ती थी। लेकिन जैसे ही दोनों ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो ये दोस्ती प्यार में बदल गई। कपल कई बार आपस में मिलने लगे। जल्द ही दोनों के प्रेम प्रसंग की भनक परिजनों को लग गई। ऐसे में उन्होंने इसका विरोध किया।
खासकर मुस्कान के घरवाले इस रिश्ते के खिलाफ थे। ऐसे में उन्होंने अपनी बेटी का घर से निकलना ही बंद कर दिया। उधर शाकीब अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए तड़प रहा था। ऐसे में उसने एक रात प्रेमिका से चोरी छिपके मिलने का प्लान बनाया। वह रात के अंधेरे में मुस्कान के कमरे में घुस गया। लेकिन परिवार को सुबह तक इसकी भनक लग गई और उन्होंने प्रेमी को पकड़ उसकी जमकर पिटाई कर दी। इसके बाद लड़की के घरवालों ने इस आशिक के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया।
पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया। लड़का लड़की के प्यार के चर्चे पूरे गांव में फैल चुके थे। ऐसे में लड़की के घरवाले अब चाहते थे कि मुस्कान और शकीब शादी कर लें। हालांकि लड़के के घर वालें शादी के लिए राजी नहीं हो रहे थे। लेकिन मुकदमा का डर और बेटे को सलाखों के पीछे देखने का खौफ काम आ गया। वे मुस्कान को अपने घर की बहू बनाने को तैयार हो गए। चुकी दोनों प्रेमी बालिग थे इसलिए पुलिस ने थाने में ही मौलवी को बुलाया और कपल का निकाह करवा दिया। निकाह के बाद थाने में शादी के छुआरे भी बांटे गए। वहीं पंचायत ने भी दोनों पक्षों का समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शादी के बाद कपल एक बार फिर से गांव में चर्चा का विषय बन गया। जो लोग कपल के लव अफेयर को लेकर बातें बनाते थे अब वे भी इनकी शादी देख खुश हो गए। इस तरह बचपन के प्यार की लव स्टोरी शादी तक आ पहुंची। इसमें कई रुकावटें जरूर आई, लेकिन वह कहते हैं न कि वो प्यार ही क्या जो आसानी से मुकम्मल हो जाए। वैसे इस लव स्टोरी पर आपकी क्या राय है?