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टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रचने वाले IAS अधिकारी सुहास ने बताया अपनी कामयाबी का राज

गौतम बुद्ध नगर के जिला अधिकारी और बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एल यतिराज ने टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रचते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। खास बात यह है कि, सुहास ऐसा करने वाले देश के पहले भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बन गए हैं। बता दें, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से आईएएस अधिकारी से पैरा शटलर तक इस खिलाड़ी ने अपनी जिंदगी में हर फील्ड में सफलता हासिल की।

वहीं सिल्वर मेडल हासिल करने के बाद लोग सुहास एल यतिराज को देखने के लिए और उनकी बातें सुनने के लिए काफी उत्सुक थे। जीत हासिल करने के बाद उन्होंने कहा कि, “आप अपनी जिंदगी में जो चाहते हो उसे पाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है आपको एक बार में सफलता नहीं मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्रयास करना छोड़ दें। आप मेहनत करते रहे और मेहनत हर हाल में अपना रंग दिखाती है। मैं देश के लोगों को धन्यवाद करना चाहता हूं और मैंने जो सिल्वर पदक जीता है वह देश के हर व्यक्ति का है।”

suhas yathiraj

बता दें, टर्मिनल से बाहर निकलने के दौरान सुहास खुली जीप में सवार थे। इस दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान उनकीं सुरक्षा में लगे हुए थे। वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान सुहास के आसपास मौजूद भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे। पंजाब से आए बलकार सिंह के मुताबिक, “वैसे तो पैरालंपिक का हर खिलाड़ी दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

लेकिन सुहास एक ऐसे शख्स है जो देश को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को प्रेरित करते हैं।” आगे बलकार सिंह ने कहा कि, “जब वह अपने घर जाएंगे तो अपने बेटे से कहेंगे कि एक बार गूगल पर सुहास के बारे में जाने और उनकी तरह ही देश का नाम रोशन करें।”

कहा जाता है कि, सुहास को उनके माता-पिता डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन सुहास ने इंजीनियरिंग फील्ड में जाना सही समझा। लेकिन इस फील्ड में आने के बाद उन्हें कुछ कमी सी खल रही थी जिसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस में जाने का ठान लिया। इसी बीच साल 2005 में उनके पिता की मृत्यु हो गई और वह बुरी तरह से टूट गए।

सुहास ने बताया कि, उनके जीवन में पिता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान था। पिता की कमी खलती रही और उनका जाना मेरे लिए एक बड़ा झटका था। इसके बाद सुहास सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गए और साल 2007 में वह आईएएस अधिकारी बने। इसके अलावा उन्हें बैडमिंटन खेलने का भी शौक रहा है।

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अगस्त के आखिरी सप्ताह में टोक्यो जाने से पहले जब सुहास उनके बैडमिंटन अभ्यास के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, “मैं दिन के सभी काम खत्म होने के बाद रात 10:00 से बैडमिंटन का अभ्यास करता हूं। मैं लगभग 6 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं।” उन्होंने बताया कि, जब वह बैडमिंटन खेलने जाते हैं तो कोर्ट में उतरने से पहले भगवान हनुमान की मूर्ति रख कर जाते हैं। उनका कहना है कि भगवान हनुमान की मूर्ति पास में होने से उन्हें ताकत और आत्मविश्वास मिलता है।

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