‘सरेंडर नहीं करूंगा, गोली मार देना’ अफ़गान उपराष्ट्रपति ने सुरक्षा गार्ड को खिलाई कुरान की कसम
अफगानिस्तान पर इस समय तालिबान का कब्जा है। तालिबानियों द्वारा अफगानी नागरिकों को बहुत प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे में कई लोग देश छोड़ भाग रहे हैं। इसमें अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी भी शामिल हैं, जो देश की जनता को मुश्किल समय में छोड़कर भाग गए। इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। इस समय अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत में तालिबान और पंजशरी लड़ाकों के बीच जारी जंग चल रही है। अमरुल्लाह सालेह इस जंग का नेतृत्व कर रहे हैं।
सालेह ने ब्रिटेन के अखबार डेली मेल से कहा कि जो नेता तालिबान के डर से देश छोड़ भाग गए हैं उन्होंने अपने देश से गद्दारी की है। तालिबान ने जब काबुल पर कब्जा किया था तब हमारे नेता को उनसे लड़ना था, लेकिन वह तो अंडरग्राउंड हो गए। यहां सालेह का इशारा देश छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की ओर था।
सालेह ने आगे कहा कि मैंने अपने चीफ गार्ड रहीम से कुरान पर हाथ रखवाया। मैंने उससे कहा कि हम पंजशीर की ओर रुख कर रहे हैं। हम हार मानकर घुटने नहीं टेकेंगे, बल्कि जंग लड़ तालिबान का सामना करेंगे। अफगानिस्तान की सड़कों पर तालिबान का कब्जा है। यदि में इस जंग में घायल हो जाऊं, तो मेरी तुमसे विनती है कि मेरे सिर पर दो बार गोली दाग देना। मैं कभी भी तालिबान के आगे सरेंडर नहीं करूंगा।
इसके साथ ही सालेह ने काबुल पुलिस प्रमुख की तारीफ की। उन्होंने कहा कि काबुल के पुलिस चीफ बहुत बहादुर सैनिक हैं। उनसे मुझे पता चल कि वे पूर्वी सीमा पर हार गए। तालिबान ने दो और जिलों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने मुझ से कमांडोज को तैनात करने के लिए हेल्प मांगी। हालांकि मैं इस कठिन समय में उनके लिए फौज का इंतजाम न कर सका।
मैंने कहा कि आपके पास जितने भी सैनिक हैं उनके साथ ही डटे रहिए। सालेह आगे कहते हैं कि इंटेलीजेंस चीफ मेरे पास आए और कहा कि आप जहां भी जाएंगे मैं भी साथ रहूंगा। हम अपनी अंतिम लड़ाई साथ में लड़ेंगे। नेता विदेश के विला और होटलों में छिपे हैं, वे डरपोक हैं। वे गरीब अफगानों से लड़ने का बोल रहे हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति ने ये भी बताया कि उन्हें अफगान सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली। वे कहते हैं कि जिस रात तालिबान काबुल आए थे उस समय पुलिस प्रमुख ने मुझे कॉल कर सूचना दी कि जेल में विद्रोह स्टार्ट हो गया है। तालिबानी कैदी भागने का मौका देख रहे हैं। ऐसे में मैंने गैर-तालिबानी कैदियों का नेटवर्क रेडी कर इस विद्रोह को दबाने का आदेश दिया।
जेल की सिचूऐशन को कंट्रोल करने के लिए अफगान स्पेशल फोर्सेज और मॉब कंट्रोल यूनिट तैनात की गई। मैंने 15 अगस्त की सुबह तत्कालीन रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब को कॉल किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया। वे कमांडोज को तैनात नहीं करवा पाए।
वे आगे कहते हैं सरकारी मदद न मिलने पर मैंने मैंने अहमद मसूद को कॉल किया। उन्होंने बताया कि मैं काबुल में अगले कदम की योजना बना रहा हूं। मैंने उनसे कहा कि मैं भी काबुल में हूं और आपकी फौज के साथ जुड़ना चाहता हूं। फिर कबूल छोड़ने से पूर्व मैं अपने घर गया और अपनी बीवी-बेटियों की फोटोज नष्ट कर दी। साथ ही अपना कंप्यूटर और बाकी का जरूरी सामान ले लिया।