5 साल की उम्र में हुआ था पोलियो लेकिन हौसला नहीं हारा, प्रमोद भगत पैरालिंपिक में बने गोल्ड मेडलिस्ट
बैडमिंटन नहीं पहले क्रिकेट खेलते थे गोल्ड मेडलिस्ट प्रमोद भगत, जानिए उनके संघर्ष की कहानी
टोक्यो ओलंपिक्स में मानों भारत के लिए मेडल्स की बारिश हो रही है. पैरालिंपिक खेलों में भारत 5 गोल्ड, 8 सिल्वर, 6 ब्रॉन्ज मेडल समेत 19 मेडल जीत चुका है. 11वें दिन प्रमोद भगत ने SL3 कैटेगरी के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराया. ये पहली बार है जब 1968 से खेले जा रहे पैरालिंपिक में बैडमिंटन को शामिल किया गया है. प्रमोद भगत केवल पैरालिंपिक ही नहीं इससे पहले कईं विश्व चैंपियनशिप्स में देश का झंडा बुलंद कर चुके हैं. आइए जानते हैं प्रमोद के संघर्ष की कहानी.
क्रिकेट छोड़ बैडमिंटन अपनाया
प्रमोद की दिलचस्पी शुरु से ही खेलों में रही है जब वो छोटे थे तो स्कूल में क्रिकेट खेलते थे और उसमें भी सलामी बल्लेबाज हुआ करते थे. लेकिन कहते हैं ना होता वही जो किस्मत में लिखा होता है. प्रमोद एक दिन अपनी गली के बच्चों को बैडमिंटन खेलते हुए देख रहे थे उन्हें ये खेल बहुत पसंद आया और अगले ही दिन वो पास के ग्राउंड में बैडमिंटन देखने पहुंच गए. हांलाकि उस समय प्रमोद काफी छोटे थे इसलिए उन्हें खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा था. पर किस्मत में बैडमिंटन खेलना लिखा था तो मौका तो मिलना ही था. प्रमोद को उसी ग्राउंड में अपना खेल दिखाने का मौका मिला और उनके शानदार प्रदर्शन को दर्शकों ने खुब सराहा. बस यहीं से प्रमोद भगत के बैडमिंटन करियर की शुरुआत हो गई।
प्रमोद ने सबसे पहले 15 साल की उम्र में बैडमिंटन टूर्नामेंट में हिस्सा लिया लेकिन वहां पैरालिंपिक कैटेगरी नहीं होने से वो ये मैच हार गए. हांलाकि फिर भी उन्होने हिम्मत नहीं हारी और जिले से लेकर राज्य स्तर पर होने वाले टूर्नामेंट्स में भाग लेते रहे और अब प्रमोद पैरा बैडमिंटन के सबसे बड़े खिलाड़ी बन चुके हैं।
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है
उड़ीसा के बारगढ़ जिले के अत्ताबीरा से आने वाले प्रमोद के जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन 5 साल की उम्र में उन्हें पोलियो जैसी गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया जिससे उनके बाएं पैर ने काम करना बंद कर दिया. ऐसा लग रहा था कि प्रमोद अब कुछ नहीं कर पाएंगे. लेकिन कहते हें ना पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती हैं और उन्होने ये साबित भी कर दिया. प्रमोद ने इसे कमजोरी के बजाय अपनी ताकत समझा उनकी इसी मेहनत और लगन ने आज उन्हें पैरालिंपिक्स में गोल्ड मेडल दिलाया हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
Pramod Bhagat has won the hearts of the entire nation. He is a Champion, whose success will motivate millions. He showed remarkable resilience & determination. Congratulations to him for winning the Gold in Badminton. Best wishes to him for his future endeavours. @PramodBhagat83
— Narendra Modi (@narendramodi) September 4, 2021
पीएम मोदी ने बधाई देते ट्वीट कर कहा कि “प्रमोद भगत ने पूरे देश का दिल जीत लिया है. वो एक चैंपियन हैं, जिनकी जीत से लाखों लोगों को प्रेरणा मिलेगी. उन्होने उल्लेखनीय प्रदर्शन और दृढ़संकल्प का परिचय दिया है. उनको बधाई और भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।”
वर्ल्ड में नंबर 2 पैरा बेडमिंटन खिलाड़ी है प्रमोद
उन्होने न केवल पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया है बल्कि इससे पहले भी वो कईं बार बैडमिंटम में अपना लोहा मनवा चुके हैं. पहले ही वो 45 अंतरराष्ट्रीय मेडल अपने नाम करवा चुके हैं. जिसमें वो 4 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब भी जीत चुके हैं. प्रमोद भगत ने सबसे पहले 2009 में SL3 कैटेगरी में BWF की पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था. उसके बाद 2013, 2015 और 2019 में भी उन्होने ये खिताब अपने नाम किया. इसी साल थाईलैंड में भी उन्होने इंटरनेशलन टूर्नामेंट जीता था. इसके अलावा 2018 में एशियन गेम्स में सिंगल्स में गोल्ड और डबल्स में ब्रॉन्ज़ अपने नाम किया था.
बहुत अच्छा लग रहा है, ये मेरा सपना था। देश ने इस बार पैरालंपिक में बहुत ज़्यादा सपोर्ट दिया है: प्रमोद भगत, टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन में स्वर्ण पदक विजेता #TokyoParalympics pic.twitter.com/AcGTIN0Yo5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 4, 2021
जीत के बाद क्या बोले प्रमोद
प्रमोद ने लगभग सभी पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप्स में जीतने का सपना पूरा कर लिया था. इस साल टोक्यो ओलंपिक्स में जब बैडमिंटन को शामिल किया गया तो वो बहुत खुश हुए और उनका सपना था कि वो इसमें भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीतें. उनका ये सपना भी पूरा हो गया.