इडली-डोसा ने कैसे बदल दी एक मजदूर के बेटे की जिंदगी। खड़ी कर दी करोड़ो की कंपनी…
मुस्तफ़ा पीसी की बड़ी रोचक है कहानी, कभी छठवीं में हुए फ़ेल, फिर इडली-डोसा ने बदल दी एक मजदूर की जिंदगी
आज़कल हमारे समाज में ऐसे अनगिनत लोग हैं। जो अपनी दुश्वारियों और परिस्थितियों से हैरान-परेशान रहते हैं। जी हां हमें अपने आसपास ही ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जो अपनी ख़राब स्थिति के लिए ऊपर वाले को दोष देंगे या फ़िर अपनी क़िस्मत को, लेकिन वह अपनी मेहनत और क्षमता को कभी नहीं समझ पाते। वहीं हम आपको जो कहानी बताने जा रहें। वह हमें और आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि परिस्थितियों का रोना रोने से ही स्थिति में बदलाव नहीं होगा।
तो आइए जानते हैं यह कहानी। बता दें कि मुस्तफा पीसी (Musthafa PC) का जन्म केरल के एक सुदूर गांव में हुआ था। उनके पिता, एक दिहाड़ी मजदूर थे, जो कि अच्छी तरह से शिक्षित नहीं थे और अपने बच्चों को शिक्षित करने का सपना देखते थे लेकिन मुस्तफा का कहना है कि उन्होंने खेत में अपने पिता के साथ काम करने के लिए कक्षा 6 में असफल होने के बाद स्कूल छोड़ने का फैसला किया।
उन्होंने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans of Bombay) के साथ सोमवार को प्रकाशित अपने एक इंटरव्यू में बताया कि, “हमने दैनिक वेतन में मुश्किल से 10 रुपये कमाए। दिन में तीन बार भोजन करने के बारे में तो हम सोच भी नहीं सकते थे। मैं खुद से कहूंगा कि अब भी भोजन शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
फिर एक शिक्षक ने मुस्तफा पीसी को स्कूल वापस आने में मदद की। एक ऐसा कदम जो अंततः मजदूर के बेटे को अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी दिलाने में मदद करेगा और बाद में एक नई खाद्य कंपनी शुरू करेगा जो आज देश में अपनी तरह की सबसे सफल कंपनी में से एक है।
अपने साक्षात्कार में, आईडी फ्रेश फूड के सीईओ मुस्तफा पीसी (Musthafa PC, CEO of iD Fresh Food) ने कहा कि, एक शिक्षक ने उन्हें स्कूल लौटने के लिए मना लिया और यहां तक कि उन्हें मुफ्त में पढ़ाया भी। इस वजह से उन्होंने गणित में अपनी कक्षा में टॉप किया। इससे उत्साहित होकर वह स्कूल टॉपर बन गया। जब उनके कॉलेज जाने का समय आया, तो उनके शिक्षकों ने उनकी फीस का भुगतान किया।
गौरतलब हो कि मुस्तफा पीसी ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताया कि, “जब मुझे नौकरी मिली और मैंने अपना पहला वेतन 14,000 रुपये कमाया, तो मैंने इसे पापा को दे दिया।” उसके बाद वह रोए और कहा कि, “तुमने मेरे जीवन से अधिक कमाया है!”
आखिरकार, मुस्तफा को विदेश में नौकरी मिल गई, जिससे उनके पिता के 2 लाख के ऋण को दो महीने में चुकाने के लिए पर्याप्त कमाई हुई। लेकिन अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी होने के बावजूद, वे कहते हैं, वह अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे। तब आईडी फ्रेश फूड का विचार आया। जब मुस्तफा के चचेरे भाई ने एक सप्लायर को एक सादे पाउच में इडली-डोसा बैटर बेचते हुए देखा। ग्राहक उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में शिकायत कर रहे थे। मुस्तफा के चचेरे भाई ने उन्हें “गुणवत्ता वाली बैटर कंपनी” बनाने के विचार के साथ बुलाया और तब जाकर शुरु हुई आई डी फ्रेश फूड कंपनी।
मुस्तफा पीसी ने शुरुआत में कंपनी में 50,000 का निवेश किया और अपने चचेरे भाइयों को शो चलाने दिया। उन्होंने 50 वर्ग फुट की रसोई में ग्राइंडर, मिक्सर और एक वजन मशीन के साथ शुरुआत की। मुस्तफा कहते हैं, ”हमें एक दिन में 100 पैकेट बेचने में 9 महीने से ज्यादा का समय लगा।” इस बीच उन्होंने बहुत सारी गलतियां कीं और उनसे सीखा भी।
मुस्तफा आगे कहते हैं कि, ”तीन साल बाद मुझे एहसास हुआ कि हमारी कंपनी को मेरी पूर्णकालिक जरूरत है। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी सारी बचत अपने व्यवसाय में लगा दी, अपने घबराए हुए माता-पिता को आश्वस्त किया कि यदि व्यवसाय विफल हो गया तो उन्हें कभी भी एक नई नौकरी मिल सकती है। इसके बाद आठ साल तक संघर्ष करने के बाद निवेशकों के मिलने से कंपनी की किस्मत रातोंरात बदल गई। आईडी फ्रेश फूड के सीईओ कहते हैं कि, “रातों रात हम 2000 करोड़ की कंपनी बन गए। आखिरकार, हमने अपने कर्मचारियों से किए गए वादे को पूरा किया और वे सभी अब करोड़पति हैं!”
आख़िर में जानकारी के लिए बता दें कि ‘द हिंदू’ के अनुसार, iD फ्रेश फ़ूड ने वित्त वर्ष 2011 को 294 करोड़ रुपये के राजस्व के साथ समाप्त किया था। वहीं मुस्तफा को एक अफसोस है कि वह अपनी सफलता को अपने बचपन के शिक्षक के साथ साझा नहीं कर सके। आज, वह अपनी विरासत का सम्मान करते हुए उसे मिलने वाले हर मौके की बात करते हैं। कुल-मिलाकर देखें तो अपनी मेहनत, जज़्बे और टीम लीडिंग की क्षमता से मुस्तफ़ा ने वो कर दिखाया, जिसकी हिम्मत मुश्किल से कोई व्यक्ति कर पाता है।