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कानपुर की इस जेल में 19 साल से कैद हैं ‘कान्हा’, केवल जन्माष्टमी के दिन ही होते हैं रिहा

उत्तर प्रदेश की एक जेल में भगवान श्रीकृष्ण 19 सालों से कैद हैं और किसी को भी इनके दर्शन करने की अनुमति नहीं हैं। इस जेल से कान्हा को केवल जन्माष्टमी के दिन ही मुक्ति मिलती है और इस दिन ही लोगों को इनकी पूजा करने दी जाती है। जन्माष्टमी के अवसर पर शिवली थाने की जेल को सुंदर तरीके से सजाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन लोग यहां आकर करते हैं। जन्माष्टमी पर्व पर भक्त यहां आकर कान्हा के गीत गाते हैं और उनका जन्मोत्सव मानते हैं।

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शिवली थाने की जेल में कृष्ण जी के अलावा बलराम व राधाजी की मूर्ति भी रखी गई है। बलराम व राधाजी भी जन्माष्टमी के दिन कान्हा के साथ जेल से बाहर आते हैं। जेल के पुलिसकर्मियों के अनुसार 19 सालों से ये जेल में बंद हैं और जन्माष्टमी के दिन ही इन्हें जेल से रिहाई मिलती है।

आसपास के लोगों ने आकर की पूजा

कल जन्माष्टमी के दिन भगवान की रिहाई हुई। उन्हें बाहर निकाला गया और विधिवत उनका पूजन हुआ। पूजन में आसपास के लोग भी दर्शन के लिए आए थे। वहीं  पूजन करने के बाद कान्हा जी को फिर से मालखाने में कैद कर लिया गया।

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इस तरह से किया जाता है पूजन

कृष्ण, बलराम व राधाजी की मूर्ति को मालखाने से पुलिसकर्मी बाहर निकालते हैं। इसके बाद इन्हें स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद नए वस्त्र पहनाकर उनका श्रृंगार करते हैं। उनका पूजन किया जाता है। पूजन में सर्वराकार का परिवार शामिल होकर भोग लगाता है। वहीं पूजा करने के बाद उन्हें वापस जेल में रख दिया जाता है।

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आखिर क्यों भगवान को यहां जेल में रखा गया है? इसपर जेल के थाना प्रभारी आमोद कुमार सिंह ने बताया कि भगवान पर 19 साल पहले एक केस दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि मुकदमे में चोरी का मामला दर्ज होने के कारण मूर्तियों को मालखाने में ही रखा गया है।

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मंदिर से गायब होकर श्रीकृष्ण के कैद में पहुंचने की घटना वर्ष 2002 की है। शिवली में 12 मार्च को एक मंदिर से श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की तीन बड़ी, दो छोटी अष्टधातु की मूर्तियां चोरी हो गई थीं। मंदिर के सर्वराकार आलोक दत्त ने शिवली थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस टीम ने मामले की जांच शुरू की।

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मुखबिर की मदद से एक सप्ताह में ही चोर को पकड़कर मूर्तियां बरामद कर ली थीं। बस उसी के बाद से ये अष्टधातु की मूर्तियां थाने के मालखाने में कैद हो गईं। जो कि आज तक हैं। सर्वराकार कहते हैं, कानूनी दांवपेंच में मामला फंसा है। जिसके कारण ये मूर्ति 19 सालों से थाने में हैं। इस थाने की पुलिस ने इन मूर्तियों की अच्छे से रखा हुआ है। जन्माष्टमी के दिन श्रद्धाभाव से इनका पूजन किया जाता है और प्रसाद वितरण कर वापस दोबारा से इन्हेंं अंदर रख दिया जाता है। इसके अलावा सोमवार को भी स्नान व पूजन कराया जाता है।

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