कहानी आईपीएस अधिकारी राकेश मारिया की, जिस के सामने फफक-फफककर रोए थे संजय दत्त
भारतीय समाज की यह आम धारणा है कि परिवार में जैसा माहौल होता है। अक्सर बच्चें भी उसी माहौल को देखकर बड़े हो रहे होते हैं और उसी में ढल जाते हैं। इतना ही नहीं इस बात को मज़बूती तब और अधिक मिलती है। जब हम बॉलीवुड इंडस्ट्री की तरफ़ नजऱ उठाकर देखते हैं। जी हां अमूमन बॉलीवुड की दुनिया से संबंध रखने वाले परिवारों के बच्चों का रुझान भी फिल्मों और सिनेमा की तरफ ही होता है। लेकिन कई ऐसे विरले भी होते हैं जो कुछ अलग करने की सोचते हैं।
ऐसी ही कहानी है मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे राकेश मारिया की। बता दें कि बॉलीवुड से पिता के जुड़े होने के बावजूद भी राकेश मारिया ने करियर के तौर पर भारतीय पुलिस सेवा को चुना। इतना ही नहीं भले ही उनके पिता बॉलीवुड की फिल्मों में छोटे मोटे किरदार करते थे लेकिन आज कई नामी गिरामी एक्टर उनके नाम से रोल करते हैं। तो आइए आज हम आपको बताते हैं राकेश मारिया की कहानी…
बता दें कि राकेश मारिया के आईपीएस बनने की कहानी भी काफी रोचक है। राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में इसका जिक्र किया है। किताब के अनुसार घर चलाने के लिए राकेश के पिता बॉलीवुड की फिल्मों में छोटे मोटे रोल किया करते थे। जब राकेश काफी छोटे थे तो एक बार उनके पिता ने किसी अपराध में फंसे अपने एक सहकर्मी की जमानत करवाई थी। लेकिन एक दिन उनके पिता का वह सहकर्मी भाग गया।
जिसके बाद उनके पिता को पुलिस के सामने पेश होना पड़ा। हालांकि यह सिलसिला लंबे समय तक चला। उन्हें पुलिस के सामने काफी समय तक बैठना पड़ता था और उनके सवालों के जवाब देने होते थे। अपने पिता के साथ हो रहे इस तरह के व्यवहार के कारण राकेश मारिया ने बचपन में ही पुलिस अधिकारी बनने की ठानी।
ऐसे में अपने सपने को पूरा करने के मकसद से राकेश मारिया ने साल 1974 में हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई में एडमिशन लिया। जब वे कॉलेज के तीसरे साल में थे तो उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी क्योंकि भारतीय पुलिस सेवा उनके दिल में बसा हुआ था। इतना ही नहीं राकेश इस परीक्षा को पहली बार में ही पास करना चाहते थे। इसके लिए राकेश ने ग्रेजुएशन करने के बाद पूरे एक साल जमकर मेहनत की। मुंबई में ठीक ढंग से यूपीएससी की तैयारी नहीं हो पाने के कारण वे दिल्ली आ गए।
इतना ही नहीं दिल्ली आकर उन्होंने अपने एक दोस्त के घर रहकर अपनी तैयारी। वे दिल्ली की ही एक कोचिंग से तैयारी किया करते थे। राकेश की मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की मुख्य परीक्षा पास कर ली। इंटरव्यू से पहले यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को अपने पसंद के पदों का चुनाव करना होता है। आमतौर पर अभ्यर्थी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस समेत कई पदों का चुनाव करते हैं। लेकिन राकेश मारिया ने फॉर्म में दिए गए ऑप्शन में पांच बार आईपीएस ही लिख दिया क्योंकि उनके ऊपर पुलिस अधिकारी बनने का जुनून सवार था।
हालांकि इससे संबंधित सवाल उनसे इंटरव्यू के दौरान भी पूछा गया कि आखिर उन्होंने पांच बार आईपीएस ही क्यों लिखा है। ऐसे में उन्होंने इसका जवाब भी काफी सच्चाई के साथ दिया। आख़िरकार इंटरव्यू में सफल होने के बाद उनको आईपीएस के लिए चुन लिया गया। ट्रेनिंग के बाद उनको महाराष्ट्र कैडर मिला। जहां वे कई जिलों के एसपी रहे। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच भी की।
जिसमें फिल्म अभिनेता संजय दत्त से जुड़ा मुंबई ब्लास्ट केस और 26/11 का मामला भी शामिल था। 26/11 हमले के दौरान वे मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर थे। मुंबई हमले के मुख्य दोषी कसाब से पूछताछ भी उन्होंने ही की थी। जिसके बाद उसने कई सारी बातें कबूली थी। मुंबई हमले के ऊपर बनी कई फिल्मों में राकेश मारिया के किरदार को भी दिखाया गया है जिसे बॉलीवुड जगत के कई बड़े कलाकारों ने निभाया है।
आख़िर में जानकारी के लिए बता दें कि एक वाक़या राकेश मारिया और अभिनेता संजय दत्त से जुड़ा हुआ है। गौरतलब हो कि एक समय ऐसा था। जब संजय दत्त राकेश मारिया के सामने फफक-फफककर रोए थे। जी हां बता दें कि राकेश मारिया अपनी किताब में लिखते हैं कि मुझे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था। जांच की गई तो पता चला कि भरूच से मुंबई तक कुछ हथियार लाए गए थे। लेकिन इन्हें कहीं भी रखने की जगह नहीं थी।
तभी अनीस इब्राहिम ने सुझाव दिया था कि “हीरो के घर रख सकते हैं”। हीरो माने संजय दत्त। संजय दत्त के घर पर तीन एके-56 रायफल, 25 हैंड ग्रेनेड और एक 9 एमएम पिस्टल रखी गई, जो बाद में ख़तरनाक काम में इस्तेमाल आई।
बता दें कि 19 अप्रैल 1993 को संजय दत्त की फ्लाइट मॉरीशस से मुंबई लैंड हुई। फ्लाइट से उतरते ही उनके सामने राकेश मारिया थे। मारिया ने अपना परिचय दिया। संजय से उनका पासपोर्ट और बोर्डिंग पास मांगा। संजय दत्त कुछ समझ पाते, इससे पहले वह पुलिस की जीप में थे। मारिया लिखते हैं कि, “संजय दत्त शॉक में थे! पूरे रास्ते किसी ने उनसे एक शब्द नहीं बोला, कोई बात नहीं। यही निर्देश थे। जबकि संजय लगातार बोल रहे थे– आप ये नहीं कर सकते। मेरी फैमिली इंतज़ार कर रही है। मुझे एक बार मिलने दीजिए, बात करने दीजिए।”
अगले दिन सुबह जाकर किसी ने संजय दत्त से पहली बार बात की। मारिया ने कहा कि, “तुम अपनी कहानी खुद बताओगे या मैं बताऊं।” ऐसे में दत्त ने कहा कि “सर मैंने कुछ नहीं किया।” बाद में संजय दत्त ने मारिया को एक-एक करके सारी बात बताई। कुछ दिन बाद मारिया ने संजय दत्त का उस समय के सांसद सुनील दत्त से भी सामना कराया। पिता को सामने देखते ही संजय दत्त मारिया के सामने ही फफककर रो पड़े। ये बोलते हुए कि, “मेरे से ग़लती हो गई।”