मंदसौर हिंसा पर सबसे बड़ा खुलासा: मारे गए लोगों में कोई भी नहीं था किसान, जानिए कौन थे ये लोग
मध्य प्रदेश – मंदसौर जिले में मंगलवार (6 जून) को किसान आंदोलन ने हिंसा का रूप ले लिया जिसे रोकने की कोशिश में पुलिस की गोली से पांच लोग मारे गए थे। सभी न्यूज चैनल और राजनीतिक दलों ने इसे किसानों की हत्या बता राज्य की बीजेपी सरकार की आलोचना की। लेकिन, जांच-पड़ताल के बाद मारे गए लोगों को लेकर यह बात सामने आई है कि इनमें से कोई भी भूमि का मालिक नहीं था, यानी किसान नहीं था। मारे गए इन लोगों में कोई कॉलेज का छात्र था तो कोई दिहाड़ी मजदूर। Mandsaur farmer killing. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये लोग किसान आंदोलन में क्यों शामिल हुए जब उनसे इसे कोई फायदा नहीं होने वाला था। तो आखिर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में मारे गए लोग कौन हैं, जानिए –
अभिषेक दिनेश पाटीदार :
पुलिस की गोली का शिकार हुआ अभिषेक 12वीं में जीव विज्ञान का छात्र है। अभिषेक का परिवार मंदसौर-नीमच हाईवे पर स्थित बरखेड़ा पंथ गांव में रहता है। अभिषेक के पिता दिनेश के हिस्से में 28 बीघा खेती की जमीन है जो उसे अभी तक नहीं मिली है, क्योंकि अभी उन्हें उनका हिस्सा नहीं मिला है।
पूनमचंद उर्फ बबलू जगदीश पाटीदार :
तकरवाड़ गांव जो पिपलिया मंडी से 25 किलोमीटर दूर है, वहां के निवासी पूनमचंद के पिता का स्वर्गवास जनवरी 2016 में हो गया था। पूनमचंद ने बीएससी की पढ़ाई कर दूसरे साल में ही छोड़ दी थी और खेती कर रहा था। पूनमचंद के पास 7 बीघा पारिवारिक जमीन थी लेकिन अभी उसके नाम नहीं हुई थी।
चैनराम गनपत पाटीदार :
नयाखेड़ा गांव के निवासी चैनराम के पिता के पास केवल दो बीघा जमीन है और वो मजदूर के तौर पर काम करते हैं। चैनराम सेना में भर्ती होना चाहता था। चैनराम ने तीन बार सेना के भर्ती कैंप में परीक्षा दी थी लेकिन सफल नहीं हो सका। चैनराम की एक आंख में कुछ समस्या थी जिसकी वजह से वह मेडिकल एग्जाम में छंट जाता था।
सत्यनारायण मांगीलाल धनगर :
मंदसौर से 20 किलोमीटर दूर स्थित लोध गांव में रहने वाले सत्यनारायण केवल सातवीं तक पढ़े थे। वो दिहाड़ी मजदूर और काम मिलने पर एक दिन में मात्र 200 रुपये ही कमा पाते थे। सत्यनारायण की शादी अभी हाल ही में हुई थी। उनके परिवार के पास करीब 6 बीघा जमीन है लेकिन वो नाम पर नहीं थी।
कन्हैयालाल धुरीलाल पाटीदार :
कन्हैयालाल दो बच्चों के पिता थे और लेवल आठवीं तक पढ़े थे। कन्हैयालाल चिल्लौड़ पिपलिया गांव के रहने वाले थें। कन्हैयालाल और उनके तीन भाइयों के पास कुल 7 बीघा जमीन है। कन्हैयालाल के भाई सुरेश चंद्र पाटीदार ने कहा कि, “उन्हें लगा कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी क्योंकि उनका मानना था कि ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण है।”
इन लोगों में से किसी के पास कोई जमीन नहीं थी, तो अगर किसानों की मांग सरकार मान भी लेती तो इससे इनको कोई फायदा नहीं होने वाला था। सबसे बड़ा सवाल ये है कि फिर ये लोग इस प्रदर्शन में भाग क्यों ले रहे थे।