भारत को साल के अंत तक मिलने जा रही रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम, चीन पाक की नींद हुई हराम
इस साल के अंत तक भारतीय सुरक्षा बेड़े में शामिल हो जाएगा एस-400 मिसाइल सिस्टम, भारत की रक्षा ताकत में होगा इज़ाफ़ा...
भारत हमेशा से भले ही शांति का अग्रदूत रहा हो, लेकिन वर्तमान समय में हथियारों का ज़खीरा होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है। उसी दिशा में भारत भी आगे बढ़ रहा है और अब रूस के जिस मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 का दुनिया लोहा मानती है, वह इस साल के अंत तक भारत को भी मिल जाएगा। इतना ही नहीं जमीन से हवा में मार करने वाले इस डिफेंस सिस्टम के मिलने से भारत की मारक क्षमता और मजबूत हो जाएगी।
इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्निकल फोरम ‘आर्मी-2021’ को संबोधित करते हुए अल्माज एंटे के डिप्टी सीईओ वाचेस्लाव डिजिरकलन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, “एस-400 को संचालित करने के लिए भारतीय सैनिकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। पहले ग्रुप की ट्रेनिंग पूरी हो गई है, जबकि दूसरे की जारी है। हालांकि, मैं इनकी संख्या नहीं बता सकता।” मालूम हो कि, भारत ने अक्टूबर 2018 में करीब 40 हजार करोड़ रु. से पांच एस-400 सिस्टम खरीदने की डील की थी।
क्या है एस-400 सिस्टम ?…
बता दें कि एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो 400 किमी रेंज में दुश्मन के एयरक्राफ्ट और मिसाइलों को आसमान से गिरा सकता है। यह 100 हवाई खतरों को भांप सकता है। साथ ही अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को एक साथ दाग सकता है। गौरतलब हो कि यह एक राउंड में 36 वार करने में सक्षम है। इसके अलावा इसकी सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है।
एस-400 (S-400) को नाटो द्वारा SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है। माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती। इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते।
एस-400 डिफेंस सिस्टम प्राप्त करने वाला तीसरा देश भारत…
यहां एक विशेष बात यह है कि एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम पाने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश होगा। रूस इससे पहले चीन और तुर्की के साथ डील कर चुका है। उसने हाल ही में तुर्की को कुछ सिस्टम डिलीवर भी कर दिए हैं।
एस-सीरीज मिसाइल का इतिहास…
बता दें कि 1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की। ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी। वहीं साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया और एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी। वहीं साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई। इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया। जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया और 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी गई।
भारतीय सैनिकों की चल रही ट्रेनिंग…
बता दें कि इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्नीकल फोरम ‘आर्मी-2021’ को संबोधित करते हुए अल्माज एंटे के डिप्टी सीईओ वाचेस्लाव डिजिरकलन ने सोमवार को कहा कि, “मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि तय कार्यक्रम और समझौते के तहत हम 2021 के अंत तक इस सिस्टम की आपूर्ति शुरू कर देंगे।” इसके अलावा उन्होंने बताया कि एस-400 सिस्टम को संचालित करने के लिए भारतीय सैनिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। वाचेस्लाव ने कहा कि, “भारतीय विशेषज्ञों के पहले समूह का प्रशिक्षण पूरा हो गया है। जबकि दूसरे समूह का प्रशिक्षण चल रहा है। हाँ लेकिन मैं इनकी संख्या नहीं बता सकता हूं।”
2023 के मध्य तक मिलेगा रूसी युद्धपोत ‘क्रिवाक’…
वहीं गौरतलब हो कि भारत को रूसी क्रिवाक श्रेणी के पहले दो युद्धपोत मध्य 2023 तक मिलेंगे। रूस की राजधानी मास्को में लगी हथियारों की प्रदर्शनी इंटरनेशनल मिलिटरी-टेक्निकल फोरम ‘आर्मी-2021’ में यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कार्पोरेशन के सीईओ एलेक्सी राखमनोव ने बताया कि रूस द्वारा निर्मित क्रिवाक श्रेणी के पहले दो स्टील्थ फ्रिगेट की आपूर्ति मध्य 2023 तक होने की संभावना है।
इतना ही नहीं कहा गया कि कोरोना महामारी के चलते निर्माण कार्य में देरी हुई। भारत ने रूस के साथ वर्ष 2016 क्रिवाक या तलवार श्रेणी के चार युद्धपोतों के लिए करार किया था। इनमें से दो फ्रिगेट सीधे रूस से मिलेंगे और दो का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।