राज कपूर के अंतिम संस्कार में भी नहीं गए बेटा राजीव कपूर , एक दूसरे से करते थे नफरत
हिंदी सिनेमा के दिवंगत अभिनेता राजीव कपूर की आज जयंती है. इसी साल राजीव ने दुनिया को अलविदा कह दिया था और आज उनकी 59वीं जयंती है. राजीव कपूर अपने भाईयों और पिता की तरह हिंदी सिनेमा में सफ़ल नहीं हो पाए थे. 25 अगस्त 1962 को उनका जन्म मुंबई में हुआ था. आइए आज आपको राजीव कपूर से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में बताते हैं.
राजीव कपूर हिंदी सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित परिवार कपूर परिवार में जन्मे थे. वे दिग्गज अभिनेता, निर्माता-निर्देशक राज कपूर और कृष्णा कपूर के सबसे छोटे बेटे थे. राज कपूर के बड़े बेटे रणधीर कपूर हैं, वहीं उनसे छोटे ऋषि कपूर थे जबकि सबसे छोटे राजीव. राजीव न ही अपने पिता की तरह बॉलीवुड में कुछ ख़ास कमाल कर पाए और न ही अपने दोनों बड़े भाईयों की तरह.
बता दें कि, राजीव कपूर को पहचान फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ से मिली थी. इस फिल्म में उन्होंने मशहूर और ख़ूबसूरत अदाकारा मंदाकिनी के साथ काम किया था. इस फिल्म का निर्देशक राज कपूर ने किया था और फिल्म को काफी पसंद किया गया था. आज भी इस फिल्म की काफी चर्चा होती है. पिता के निर्देशन में बनी राजीव कपूर की यह फिल्म हिट रही थी, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजीव कपूर के अपने पिता राज कपूर से इस फिल्म के रिश्ते बिगड़ गए थे और राज कपूर के निधन तक ऐसा ही चलता रहा. आइए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं.
राजीव ने फ़िल्मी दुनिया में कदम फिल्म ‘एक जान हैं हम’ से रखे थे, लेकिन उनके जीवन की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई ‘राम तेरी गंगा मैली’. हालांकि यह भी जान लीजिए ही इस फिल्म से मिली सफलता को राजीव कभी दोहरा नहीं सके और वे फ्लॉप अभिनेताओं की सूची में शामिल हो गए. बता दें कि, पर्दे पर ‘राम तेरी गंगा मैली ने खूब दमदार प्रदर्शन किया और इसका एक बोल्ड सीन भी खूब चर्चाओं में रहा लेकिन यह फिल्म कपूर परिवार में कलह का कारण बन गई थी.
साल 1985 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ से राजीव के मुकाबले मंदाकिनी को अधिक फायदा हुआ था और वे राजीव से अधिक सुर्खियां बटोरने में सफ़ल रही थी. मंदाकिनी के रोल के आगे राजीव मानो छिप से गए. ऐसे में राजीव ने पिता से कहा कि वे एक और फिल्म बनाए और उसमें उन्हें एक नायक की तरह दिखाया जाए. उनका मानना था कि मंदाकिनी को जो फायदा ‘राम तेरी गंगा मैली’ से मिला था वो उन्हें अगली फिल्म से हो. हालांकि राज कपूर ने ऐसा नहीं किया.
इससे जुड़ा एक किस्सा लेखिका मधु जैन ने अपनी किताब ‘द कपूर्स’ में बताते हुए लिखा है, ‘राजीव कपूर फिल्म में उनका किरदार कमजोर किए जाने के लिए अपने पिता और डायरेक्टर राज कपूर को जिम्मेदार मानते थे. ‘राम तेरी गंगा मैली’ के हिट होने से मंदाकिनी तो रातोंरात स्टार बन गईं लेकिन राजीव कपूर को इसका कोई फायदा नहीं हुआ. कहते हैं कि राज कपूर ने राजीव के लिए और कोई फिल्म बनाने से इनकार कर दिया. राजीव कपूर के चाहने के बावजूद राज कपूर ने ऐसा नहीं किया और राजीव को राज कपूर ने एक असिस्टेंट के तौर पर रखा. वो उनसे यूनिट का वह सारा काम कराते जो एक स्पॉटब्वॉय और असिस्टेंट करता था.’
राजीव ने ‘एक जान हैं हम’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ के अलावा ‘लवर ब्वॉय’, ‘अंगारे’, ‘जलजला’, ‘शुक्रिया’, ‘हम तो चले परदेस’ जैसी फिल्मों में भी काम किया. हालांकि उनकी ये फ़िल्में नहीं चली. ख़ास बात यह है कि ये फिल्में आरके बैनर की नहीं थीं. राजीव अपने पिता से इस कदर नाराज थे कि राज कपूर के अंतिम संस्कार में भी वे शामिल नहीं हुए थे.