उत्तर प्रदेश के इस जिले में फैला है खूंखार मगरमच्छों का आतंक, यहां जाने से डरते हैं लोग!
किसी जमाने में उत्तर प्रदेश की कुख्यात चम्बल घाटी डाकुओं के लिए जानी जाती थी। आज इस घाटी पर खूंखार मगरमच्छों का आतंक छाया हुआ है। डॉल्फिन, मगरमच्छ, घड़ियाल और अन्य दुर्लभ जलीय जीवों को संरक्षित करने में जुटी हुई चम्बल नदी में रहने वाले मगरमच्छ अब नरभक्षी हो चुके हैं। मगरमच्छ के बढ़ते आतंक की वजह से चम्बल नदी के आस-पास के इलाकों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
सोमवार को चम्बल नदी में नहाने गयी एक लड़की को मगरमच्छों ने अपना शिकार बना लिया। मृत लड़की की मां उर्मिला ने बताया कि अन्य लोगों के साथ मेरी बेटी भी नदी में नहा रही थी। तभी अचानक मगरमच्छ ने हमला कर दिया। लड़की को मगरमच्छ अपने साथ पानी में ले गया। इस घटना की जानकारी पुलिस को भी दी गयी। खोज में मृतक का कोई भी हिस्सा नहीं मिला। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि मगरमच्छों ने पूरा खा लिया।
2014 में भी इस तरह की एक घटना हुई थी :
2014 में भी इस तरह की एक घटना हुई थी। उस समय 12 साल का किशोर प्रदीप मल्लाह अपने कुछ दोस्तों के साथ नदी में नहा रहा था। इसी बीच एक मगरमच्छ ने उसपर हमला करके दबोच लिया। मगरमच्छ के हमला करते ही उसके साथ गए लड़कों ने नदी के किनारे शोर मचाना शुरू कर दिया। आस-पास के लोगों ने मिलकर प्रदीप को खोजना शुरू किया, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। लगभग 24 घंटे के बाद उसका शव बुरी अवस्था में प्राप्त हुआ।
डाकुओं के नहीं बल्कि मगरमच्छों के कब्जे में है चम्बल घाटी:
उसके शरीर पर आधा दर्जन मगरमच्छ के दांत के निशान पाए गए थे। इससे पहले भी चम्बल नदी के किनारे बसे गांव पुराखेडा निवासी रामप्रकाश, बिहार गांव के पास बकरी चराते समय गायब हो गए थे। लोगों को काफी खोजबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चला। लोगों ने अनुमान लगाया कि उन्हें मगरमच्छ निगल गया होगा। सोसाइटी फोर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के सचिव संजीव चौहान ने बताया कि नदी में 40 साल उम्र के मगरमच्छ और घड़ियाल देखे गए हैं।
ये इतने बड़े और खूंखार होते हैं कि कोई भी इंसान देखकर डर जायेगा। इनके लिए इंसानों का शिकार करना बहुत आसान होता है। कुछ दिन पहले एक व्यक्ति के भैंसे को मगरमच्छ नदी में खींच ले गया था। गांववालों ने जब मगरमच्छ के ऊपर पत्थर बरसाने शुरू किये तो बड़ी मुश्किल से भैंसे की जान बच सकी। इन सभी घटनाओं को देखकर साफ पता चलता है कि अब चम्बल की घाटियां डाकुओं के नहीं बल्कि मगरमच्छों के कब्जे में है। आलम यह है कि कुछ लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है।