घने जंगल में तीन दिन तक भटकती रही मासूम बच्ची, फिर मिली इस हालत में…
तीन दिन तक खूंखार जानवरों की बीच रही मासूम बच्ची, जानिए फ़िर क्या हुआ...
देश-दुनिया से लेकर हमारे आसपास कई बार ऐसी घटनाएं देखने-सुनने को मिलती हैं जिनपर यकीन करना मुश्किल होता है। ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला रूस से सामने आया है। जी हां जहां एक बच्ची जो जंगल में खो गई थी, तीन दिन बाद चमत्कारिक रूप से सही सलामत मिल गई। वहीं सबसे हैरानी की बात ये है कि जिस जगह से ये बच्ची मिली है, वहां जंगली भालू और भेड़िये घूमते रहते हैं।
जी हां बता दें कि एक साल की एक बच्ची अपने माता-पिता के साथ पार्क में खेल रही थी और अचानक वहीं से खेलते-खेलते कहीं गुम हो गई। इसके बाद उसे बहुत ढूंढा गया और वह नहीं मिली। उसके माता-पिता ने पार्क के चारों ओर खूब खोजा, पास के जंगल में भी छानबीन करवाई लेकिन कहीं भी उसका पता नहीं चल पाया। आखिरकार वह तीन बाद बगल के एक जंगल में मिली और हैरानी की बात यह है कि तीन दिन वह जंगल में खतरनाक जानवरों के बीच रही।
गौरतलब हो कि ‘द मिरर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल भर की बच्ची अपने घर के पास सटे एक पार्क से निकलकर जंगल में खो गई थी और अगले तीन दिन तक उसका कोई पता नहीं चल सका। यह सब तब हुआ जब वो मां के साथ पार्क में खेलते-खेलते जंगल में पहुंच गई थी। बच्ची जंगल में खो गई और उसके माता-पिता ने उसको आस-पास तलाशते रहे।
वहीं रिपोर्ट की मानें तो बच्ची जिस जंगल में खोई थी, वहां जंगली भालुओं और भेड़ियों का अड्डा था। तीन दिन तक उस बच्ची का कोई पता नहीं चल पाया। कई लोग उसे ढूंढते रहे और जब वह नहीं मिली, तो लोगों ने मान लिया था कि उसे कोई जंगली जानवर खा गया होगा। लेकिन आखिरकार तीन दिन बाद घर से कुछ किलोमीटर दूरी पर घने जंगल के अंदर जाकर बच्ची मिली।
बता दें कि बच्ची के चिल्लाने की आवाज लोगों ने सुनी तब टीम ने उस ओर सर्च करना शुरू किया। इसके बाद वह बच्ची एक पेड़ के पास मिली, वह पेड़ के पास खड़े होकर जोर-जोर से चिल्ला रही थी। लोग दौड़कर उस बच्ची के पास गए और उसे गले से लगा लिया। लोगों के साथ घर वाले भी वहां मौजूद थे, उनको देखकर आखिरकार बच्ची शांत हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची को तमाम कीड़ों ने काटा था और वो बेहद कमजोर हो चुकी थी। यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि उस जंगल में बहुत सारे खतरनाक जंगली जानवर थे। इन सबके बावजूद भी बच्ची 2 रात और 3 दिन तक घूमती रही। बच्ची के माता-पिता ने भी इस बात की उम्मीद छोड़ दी थी कि उनकी बेटी वापस मिल पाएगी, लेकिन कहते हैं न कि जाको राखै साइयाँ, मारि सकै ना कोय और यह कहावत एक बार फ़िर सच साबित हुई।