सड़कों पर भागती हुई नजर आईं सहारा करीमी, तालिबानी लड़ाकों से बचाई इस तरह अपनी जान
अफगानिस्तान (Afghanistan) की मशहूर फिल्ममेकर सहारा करीमी (Sahrra Karimi) का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें ये अफगान की सड़कों पर भागती हुई नजर आ रही हैं। फिल्ममेकर सहारा करीमी इस वीडियो में काफी डरी हुई लग रही हैं और अपना दर्द लोगों को बयां कर रही हैं। ये रोते हुए अपनी आपबीती सुना रही हैं।
चल रही थीं गोलियां
सहारा करीमी ने ये वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। जिसमें ये काबुल की सड़कों पर भागती हुई नजर आ रही हैं। इन्होंने वीडियो रिकॉर्ड कर दुनिया को अफगान की स्थिति दिखाई और बताया कि 15 अगस्त को वे पैसे निकालने बैंक पहुंची थी। काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिले। तभी अचानक बाहर गोलियां चलने लगीं। इसके बाद बैंक मैनेजर ने उन्हें वहां से चले जाने के लिए कहा।
करीमी के मुताबिक, मैनेजर ने उनसे कहा कि तालिबानी बेहद नजदीक पहुंच चुके हैं, इसलिए उन्हें यहां से चले जाना चाहिए। इसके बाद बैंक मैनेजर ने पिछला दरवाजा खोलकर करीमी का बैंक से बाहर निकाला। जिसके बाद ये वहां से भाग आई।
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सहारा करीमी ने ये वीडियो उस समय बनाया था। जब ये अफगान में थी। अब ये अफगानिस्तान से बाहर पहुंच गई हैं। ये इस समय यूक्रेन की राजधानी कीव में हैं।
दुनिया को लिखा था पत्र
इससे पहले सहारा करीमी ने एक खुला पत्र भी दुनिया को लिखा था। जिसमें इन्होंने कहा था कि ‘मेरा नाम सहारा करीमी है, और मैं एक फिल्म निर्देशक हूं और साथ ही अफगान फिल्म की वर्तमान महानिदेशक हूं, जो 1968 में स्थापित एकमात्र सरकारी स्वामित्व वाली फिल्म कंपनी है। मैं इसे टूटे हुए दिल के साथ लिख रही हूं और इस गहरी उम्मीद के साथ कि आप मेरे खूबसूरत देश को तालिबान से बचाने में शामिल होंगे. तालिबान ने पिछले कुछ हफ्तों में कई प्रांतों पर कब्जा कर लिया है।’
अपने खुले पत्र में करीमी ने लिखा था कि अफगानिस्तान के जो हालात हैं, ये जरूरी है कि इन घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन कर लिया जाए, ताकि दुनिया हमेशा देख सके कि अफगानियों को कितने दर्द से गुजरना पड़ा था। अपने पत्र के माध्यम से करीमी ने दुनियाभर की फिल्म कम्युनिटी से तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की थी।
इन्होंने लिखा कि हमारे लोगों का नरसंहार किया, कई बच्चों का अपहरण किया, उन्होंने पोशाक के नाम पर एक महिला को मार डाला, उन्होंने हमारे पसंदीदा हास्य कलाकारों में से एक को प्रताड़ित किया और मार डाला, उन्होंने एक प्रागैतिहासिक कवि को मार डाला, उन्होंने सरकार से जुड़े लोगों को मार डाला, हम में से कुछ लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया, और उन्होंने लाखों परिवारों को विस्थापित कर दिया। इन प्रांतों से भागने के बाद, परिवार काबुल में शिविरों में हैं, जहां वे बदहाली की स्थिति में हैं।’
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ये एक मानवीय संकट है। फिर भी दुनिया खामोश है। हमें इस चुप्पी की आदत है। लेकिन हम जानते हैं कि ये उचित नहीं है। हम जानते हैं कि हमारे लोगों को छोड़ने का ये फैसला गलत है, हमें आपकी आवाज की जरूरत है। मैंने अपने देश में एक फिल्म निर्माता के रूप में जिस चीज के लिए इतनी मेहनत की है, उसके टूटने की संभावना है। यदि तालिबान सत्ता संभालता है, तो वे सभी कलाओं पर प्रतिबंध लगा देंगे। मैं और अन्य फिल्म निर्माता उनकी हिट लिस्ट में अगले स्थान पर हो सकते हैं। वे महिलाओं के अधिकारों का हनन करेंगे और हमारी अभिव्यक्ति को मौन में दबा दिया जाएगा।’