पंजशीर पर घुसने की कोशिश करने वाले 300 तालिबानी आतंकी हुए ढेर, तालिबान पर हुए ताबड़तोड़ हमले
पंजशीर पर कब्ज़ा करना चाहता है तालिबान, कभी रूस भी करना चाहता था कब्ज़ा लेकिन हुआ फ़ैल..
तालिबान के लड़ाकों पर अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में हमला किया गया है। जिसमें 300 तालिबानी आतंकी मारे गए हैं। बीबीसी पत्रकार यादला हाकिम की ओर से आई खबर के अनुसार ये हमला घात लगाकर किया गया है। बगलान प्रांत के अंदराब में हुए इस हमले में 300 तालिबानी आतंकी मारे गए हैं। ये हमला जिस समूह ने किया है, उसका नेतृत्व अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह कर रहे थे।
अहमद मसूद ये साफ कर चुके हैं कि वो तालिबान के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे। मसूद ने कहा है कि वो अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। फ्रांसीसी दार्शनिक बर्नार्ड-हेनरी लेवी ने बताया कि उन्होंने इस मसले पर अहमद मसूद से फोन पर बात की थी। फोन पर बात करते हुए अहमद मसूद ने कहा था कि मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। इन्होंने तालिबान से मुकाबला करने का ऐलान भी किया था।
दरअसल अहमद के पिता सोवियत संघ और तालिबान के खिलाफ विरोध का प्रमुख चेहरा थे। वहीं काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अब मसूद की विरासत उनके 32 वर्षीय बेटे ने संभाली है। अहमद मसूद ने 16 अगस्त को लेवी को एक पत्र भी लिखा था। जिसमें इन्होंने कहा था कि मेरे पिता कमांडर मसूद जो हमारे राष्ट्रीय नायक है। उन्होंने मुझे एक विरासत दी है और वो विरासत अफगानों की आजादी के लिए लड़ना है। वो लड़ाई अब अपरिवर्तनीय रूप से मेरी है। मेरे साथी मेरे साथ अपना खून बहाने को तैयार हैं। हम सभी आजाद अफगानों से, उन सभी से, जो दासता को अस्वीकार करते हैं, हमारे गढ़ पंजशीर में शामिल होने का आह्वान करते हैं।
Update from the Anti-Taliban resistance – they tell me: Taliban ambushed in Andarab of Baghlan province. At least 300 Taliban fighters were killed. The group is lead by #AhmadMassoud & @AmrullahSaleh2 #Afghanistan pic.twitter.com/uJD1VEcHY1
— Yalda Hakim (@BBCYaldaHakim) August 22, 2021
देशों से मदद मांगी
अहमद मसूद ने तालिबन से अफगानिस्तान को रिहा करवाने के लिए कई सारे देशों से मदद भी मांगी है। इन्होंने फ्रांस, यूरोप, अमेरिका और अरब के नेताओं से बात की है। दरअसल ये सभी देश 20 साल पहले सोवियत संघ और फिर तालिबान के खिलाफ लड़ाई करने में इनकी मदद कर चुके हैं।
पंजशीर प्रांत में हैं मौजूद
अहमद मसूद और अफगान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह मिलकर तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। काबुल के उत्तर-पूर्व में 100 किलोमीटर दूर स्थित पंजशीर पर तालिबान का कब्जा नहीं है और ये इस समय पंजशीर प्रांत की सुरम्य घाटी में हैं। पंजशीर तालिबान विरोधी आंदोलन का केंद्र रहा है।
रूसी सेना-तालिबान ने कई बार पंजशीर में घुसने की कोशिश की थी। लेकिन हर बार अहमद शाह मसूद से मात खानी पड़ी। वहीं साल 2001 में अहमद मसूद के पति अहमद शाह मसूद को तालिबान और अल-कायदा ने मिलकर मार दिया था। उस वक्त अहमद सीनियर सिर्फ 12 साल के थे। बचपन से ये अपने पिता को आतंकियों के खिलाफ लड़ते हुए देख रहे थे और अब इन्होंने भी तालिबान के खिलाफ विरोध कर दिया है। इन्होंने साल 2019 में एक गठबंधन बनाया था जिसे नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान कहा जाता है। ये गठबंधन नादर्न अलायंस की तर्ज पर तैयार किया गया था। जिसमें उनके पिता शामिल थे। नॉर्दर्न एलायंस के साथ कुछ अन्य गुट भी आए हैं जो कि तालिबान से निजात पाना चाहते हैं।