प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सोमनाथ से जुड़ी तीन परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे और पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास करेंगे। कोरोना के कारण मोदी द्वारा ऑनलाइन वर्चुअल स्वरूप में ही इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया जाएगा। इनके अलावा गृह मंत्री अमित शाह भी इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे। आपको बता दें कि मोदी और शाह सोमनाथ ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं। मोदी सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं तो अमित शाह सोमनाथ ट्रस्ट के सदस्य है।
ये हैं तीन परियोजनाओं
समुद्र दर्शन पथ
पीएम मोदी जिन तीन परियोजनाओं का लोकार्पण करने वाले हैं, उनमें एक प्रोमनेड है। जिसे समुद्र दर्शन पथ का नाम दिया गया है। ये करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा और सत्ताइस फीट चौड़ा समुद्र दर्शन पथ है। जिसपर भगवान शिव के जीवन से जुड़े आकर्षक चित्र बनाये गए हैं। जो शिव पुराण पर आधारित हैं। इस पथ पर टहलते हुए पर्यटक सागर के साथ-साथ सोमनाथ मंदिर की भव्यता को भी देख सकेंगे। इसके अलावा इस पथ पर साइकिल चलाने की सुविधा भी होगी। इसे करीब 47 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।
प्रदर्शनी कक्ष
प्रोमनेड के अलावा सोमनाथ मंदिर में प्रदर्शनी कक्ष भी बनाया गया है। जिसका भी लोकार्पण पीएम करने वाले हैं। इसमें उन मूर्तियों और सामग्रियों को रखा गया है, जो सोमनाथ के मंदिर के निर्माण के समय खुदाई से निकली थीं। दरअसल खुदाई के दौरान भूमि के अंदर से तीन पुराने मंदिरों के अवशेष बरामद हुए थे। जिन्हें इस कक्ष में रखा जाएगा। साथ में इस कक्ष में सोमनाथ मंदिर के इतिहास, वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व और विधि-विधान की जानकारी भी उपलब्ध करवाई जाएगी। प्रदर्शनी कक्ष को सोमनाथ एक्जिहिबिशन गैलरी का नाम भी दिया गया है।
अहिल्याबाई मंदिर परिसर
प्रोमनेड और प्रदर्शनी कक्ष के अलावा पीएम मोदी शुक्रवार को जूना सोमनाथ मंदिर के उस परिसर का भी लोकार्पण करेंगे। जिसका पुनर्निर्माण किया गया है। अहिल्याबाई निर्मित इस मंदिर के परिसर का पुनर्निर्माण सोमनाथ ट्रस्ट ने अपने कोष से साढ़े तीन करोड़ रुपये में कराया है। इसी अहिल्याबाई मंदिर के परिसर में खड़े होकर 13 नवंबर 1947 के दिन सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर की असली जगह पर भव्य सोमनाथ मंदिर बनाने के लिए अपने साथियों के साथ विचार-विमर्श किया था।
पार्वती मंदिर का शिलान्यास
शुक्रवार के दिन मोदी जी पार्वती मंदिर का शिलान्यास भी करने जा रहे हैं। इस पार्वती मंदिर के निर्माण पर करीब तीस करोड़ रुपये खर्च होंगे। ये मंदिर निजी दान से बनाया जाएगा और इसपर सरकारी धन का इस्तेमाल नहीं होगा।
गौरतलब है कि सोमनाथ को बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान हासिल है। इस मंदिर को काफी बार मुस्लिम शासकों ने तोड़ा था। वहीं अंग्रेजों से आजाद होने के बाद सरदार पटेल 13 नवंबर को यहां आए थे। मंदिर को टूटा हुए देख इन्हें काफी दुख हुआ था। जिसके बाद समुंद्र से एक अंजली पानी लेकर सरदार ने सोमनाथ के मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया था। 23 जनवरी 1949 को सोमनाथ ट्रस्ट बनाने का औपचारिक फैसला किया गया और 15 मार्च 1950 के दिन से सोमनाथ ट्रस्ट ने विधिवत तौर पर अपना काम शुरु कर दिया।
15 दिसंबर 1950 को सरदार पटेल का मुंबई में देहांत हो गया। जिसके बाद सोमनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर जवाहरलाल नेहरू का विरोध खुलकर लोगों के सामने आया। नेहरू नहीं चाहते थे कि ये मंदिर बनाया जाए। हालांकि इनके विरोध के बावजूद ये मंदिर बनाया गया। वहीं सत्ता में आने के बाद मोदी और अमित शाह लगातार सोमनाथ का विकास कर रह हैं और इसे ओर भव्य बना रहे हैं।