भारतीयों को अफगान से इस तरह से किया गया एयरलिफ्ट, आतंकी हवा में चला रहे थे गोली
काबुल से एयरलिफ्ट किए गए 120 भारतीयों ने देश आने के बाद अपनी आपबीती सुनाई और बताया की किस तरह से वो अपनी जान बचाकर वतन वापस लौटे हैं। भारतीय दूतावास में फंसे भारतीयों को महज पांच किलों मीटर का रास्ता पूरा करने में पांच घंटे से भी अधिक का समय लगा। इस दौरान तालिबान के आतंकी भी इनके साथ अपना काफिला लेकर चल रहे थे।
दरअसल भारतीय दूतावास काबुल के ग्रीन जोन वाले इलाके में है। यहां सभी देशों के दूतावास मौजूद हैं। तालिबान ने भारतीय दूतावास के काफिले को ग्रीन जोन से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी थी। काबुल एयरपोर्ट की तरफ जाने वाले रास्तों को तालिबान आतंकियों ने बंद कर दिया था। ऐसे में भारतीय दूतावास में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए तालिबान से संपर्क किया गया और उनसे एयरपोर्ट जाने की अनुमति मांगी गई।
जिसके बाद सोमवार को तालिबानियों ने भारतीय दूतावास को पूरी तरह से घेर लिया। भारतीय दूतावास के मुख्य दरवाजे के बाहर तालिबान के हथियारबंद आतंकियों का एक समूह मौजूद था। इनके पास मशीन गनें और रॉकेट-ग्रेनेड लॉन्चर थे। जब भारत का विमान काबुल आया। तब 120 भारतीय राजनयिक और नागरिक दूतावास से बाहर निकले। ये सभी लोग 20 से अधिक गाड़ियों में सवार होकर निकले।
बाहर मौजूद तालिबान आतंकियों ने इन लोगों को देखकर हाथ हिलाए और मुस्कुराए। एक आतंकी इस काफिले के आगे चला ताकि इन्हें एयरपोर्ट जाने वाली मुख्य सड़क तक पहुंचाया जा सके। दूतावास से एयरपोर्ट की दूरी महज पांच किलोमीटर की थी। लेकिन भारतीय काफिले को एयरपोर्ट तक पहुंचने में पांच घंटे का समय लग गया।
तालिबान आतंकियों ने जगह-जगह चेक पॉइंट लगा रखे थे। अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाह रहे हजारों लोग सड़कों पर थे। इस दौरान कई मौकों पर तालिबान के आतंकी अपनी गाड़ियों से नीचे कूदे और बंदूक दिखाकर आम लोगों को पीछे हटा रहे थे। इस दौरान कई बार इन्होंने हवा में गोलियां भी चलाई।
वहीं एयरपोर्ट के नजदीक आते ही तालिबान लड़ाके अपनी गाड़ियां लेकर चले गए। दरअसल एयरपोर्ट की सुरक्षा अमेरिकी सैनिकों के हाथों में थी। करीब दो घंटे की जांच के बाद भारतीय नागरिकों का समूह सेना के सी-17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन पर सवार हो पाया। ये विमान पहले गुजरात पहुंचा, वहां से ये दिल्ली आया।
अपनी दो साल की बेटी के साथ दिल्ली लौटे भारतीय ने बताया कि काबुल छोड़ने से कुछ घंटों पहले तालिबान लड़ाकों का एक समूह मेरे दफ्तर आया था। उनकी भाषा तो विनम्र थी, लेकिन जब वे लौटे तब हमारी दो गाड़ियों को अपने साथ ले गए। हम तभी समझ गए कि अब हमारे लिए परिवार के साथ अफगानिस्तान छोड़ देने का वक्त आ गया है। भारत स्वर्ग है।
गौरतलब है कि काबुल से एयरलिफ्ट किए गए 120 भारतीयों को पहले गुजरात लाया गया था। इसके बाद यहां से ये लोग दिल्ली पहुंचे है। वहीं आईटीबीपी के 99 कमांडो के साथ भारतीयों का दूसरा जत्था भी बुधवार को दिल्ली लौट है। हालांकि अभी कई सारे भारतीय काबुल में फंसे हुए हैं। जिनको भी भारत लाने की तैयारी में सरकार लगी हुई है। दरअसल अफगानिस्तान में कई सारे भारतीय रहते हैं, जो तालिबान के सत्ता में आने के बाद वापस देश लौटना चाहते हैं।