इस साल जन्माष्टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, व्रत करने से मिलेगा ख़ास फल
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार ने धरती पर भाद्र अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि को जन्म लिया था। इस दिन को जन्माष्टमी के तौर पर मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी पर एक खास संयोग बन रहा है, जिसके कारण जन्माष्टमी के दिन की गई पूजा का दोगुना लाभ आपको मिलेगा।
इस साल ये पर्व 30 अगस्त 2021 को पड़ रहा है। इस दिन भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा और इनके साथ सोमवार का दिन है। इन 6 तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। सोमवार के दिन अष्टमी होने की वजह से सुबह से ही अष्टमी तिथि व्याप्त रहने वाली है। रात में 12ः14 बजे तक अष्टमी तिथि व्याप्त रहेगी। इस रात को नवमी तिथि भी लग रही है। जबकि चंद्रमा वृष राशि में मौजूद रहेगा। इन सभी संयोग की वजह से इस बार की अष्टमी बहुत ही खास रहने वाली है।
निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है, तो ये बेहद ही खास फल देता है। इस दौरान व्रत करने से तीन जन्मों में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है। जो लोग इस संयोग में व्रत रखते हैं। उनके प्रेत योनी में भटक रहे पूर्वजों को मुक्त मिल जाता ही। इसके अलावा हर कामना भी पूरी हो जाती है।
इस त्योहार को पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों को बेहद ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है। वहीं रात के 12 बजे कृष्ण जी का जन्म करवाया जाता है।
जन्माष्टमी मनाने से जुड़ी कथा
कंस की बहन देवकी थीं और उनका विवाह वासुदेव से हुआ था। वो एक यदुवंशी सरदार थे। शादी के बाद कंस अपनी बहन और जीजा को उनके ससुराल लेकर जा रहे थे। तभी एक भविष्यवाणी हुई जिसमें कहा गया कि कंस तेरी क्रूरता का नाश तेरी ही बहन का पुत्र करेगा। तेरा काल तेरी बहन ही ले कर आएगी। उसका आठवां पुत्र तेरे अंत का कारण होगा। ये सुनते ही कंस ने अपनी बहन और वासुदेव को खत्म करने की ठान लिया। लेकिन देवकी ने कहा कि वो खुद अपनी संतान को उसे सौंप देगी। ये बात सुन कर कंस ने वासुदेव का मारा नहीं लेकिन देवकी और वासुदेव को बंदी बना कर कारागार में डाल दिया।
जिसके बाद कंस ने एक के बाद एक देवकी के सात बच्चों को मार दिया। वहीं जब आठवें बच्चे के होने की बारी आई तो कंस ने पहरा और सख्त कर दिया। वासुदेव के मित्र नंद की पत्नी यशोदा को भी उसी समय बच्चा होने वाला था। देवकी ने पुत्र और यशोदा ने पुत्री को जन्म दिया। लेकिन देवकी ने जब पुत्र को जन्म दिया तो उसी वक्त भगवान विष्णु उनके समक्ष प्रकट हुए और कहा कि वो उनके पुत्र के रूप में जन्म ले रहे हैं और वो नंद के घर पलेंगे। प्रभु कि कृपा से सभी रक्षक गहरी नींद में सो गए और कारागार का द्वार खुल गया। वासुदेव ने कान्हा को एक टोकरे में रखा और यमुना पार कर नंद के घर चले गए। इनके घर में इन्होंने कान्हा को रख दिया और बदले में पुत्री को कारागार ले आए। जब वह कारागार आ गए तब सबकी नींद खुली। वहीं जब कान्हा बड़ा हुआ उन्होंने कंस का वध कर दिया।