उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला कस्बे के तीन मुस्लिम परिवारों ने सोमवार को हिंदू धर्म अपनाया। कांधला के मोहल्ला रायजादगान निवासी शहजाद ने अपने तीन परिवारों के साथ कांधला के महाभारत कालीन सूरजकुंड मंदिर पहुंचकर शुद्धि हवन यज्ञ में हिस्सा लिया। मंदिर के प्रांगण में तीनों मुस्लिम परिवारों को हिंदू धर्म के अनुसार आयोजित पूजा में हवन यज्ञ में बैठाकर शुद्धिकरण किया गय। इन सभी लोगों को जेनऊ पहनाकर सनातन धर्म में वापसी कराई।
मुस्लिम शहजाद से विकास बना व्यक्ति ने बताया कि, ‘करीब 15 साल पहले उनके पूरे परिवार ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था, लेकिन एक बार फिर उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया है और कहा कि अपना धर्म अपना ही होता है। मेरी पत्नी चार बच्चे और मेरा छोटा भाई आदिल और उसकी पत्नी व दो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों ने सोमवार को कस्बे के सूरजकुंड मंदिर में पहुंचकर पूजा हवन भी किया। अब हम सभी लोग हिंदू धर्म के अनुसार जीवन यापन करेंगे। वहीं विकास की मां का कहना है कि, ‘मैंने अपने तीन बेटे और उनके परिवार के लोगों के साथ हिंदू धर्म अपनाया है। मैं अपने पति को भी अपने धर्म में वापस लेकर आऊंगी।’
इमराना से अनीता बनी एक महिला ने बताया कि, ‘पहले हमारे धर्म में मरने वाले को दफनाने देते थे, लेकिन हिंदू लोग हमारे मरने वालों को दफनाने नहीं देते थे, इसलिए हमने 12 साल पहले मुस्लिम धर्म अपना लिया था लेकिन हम अब दोबारा हिंदू धर्म में आना चाहते हैं। हम सभी लोगों ने अपनी मर्जी से घर वापसी की है। इसमें किसी का कोई दबाव नहीं है, हम तीन परिवार के कुल 18 लोगों ने वापस हिंदू धर्म अपना लिया है जिसमें बड़े भी और हमारे बच्चे भी शामिल हैं।’
इसके अलावा 19 लोगों को मुस्लिम से हिंदू बनाने वाले महाराजा यशवीर ने कहा कि, मेरे संपर्क में ऐसे कई लोग है जो दोबारा घर वापसी चाहते हैं। कुछ नादानियों के कारण कई बार इंसान गलतियां कर बैठता है, हो सकता है उस गलती के कारण इन लोगों ने भी मुस्लिम धर्म अपना लिया था, लेकिन आज इन्होंने फिर हिंदू धर्म अपनाकर अपने घर वापसी की है।
ऐसे में सभी सनातन धर्म में उनका स्वागत करें। हालांकि शुद्धीकरण के दौरान बताए गए मंत्रों का जाप करना कई लोग सीख रहे हैं। कुछ लोगों को ज़रूर गायत्री मंत्र याद हो गया है।’ यशवीर महाराज ने कहा कि, ‘आज इन्हें फिर से हिन्दू धर्म में दीक्षित कर दिया गया है। यहां पर सभी का रक्त एक है चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान। हिंदू गुर्जर भी चौहान लिखते हैं और मुस्लिम गुर्जर भी चौहान लिखते हैं।’