कभी चाय बेचने के लिए छोड़ा IAS का सपना, आज सालाना 100 करोड़ का है टर्नओवर
अक़्सर भारतीय समाज में बड़े-बुजुर्गों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता। जी हां यह बात सच भी है क्योंकि अगर कभी चाय बेचने वाला व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। फ़िर सचमुच में कोई काम छोटा और बड़ा नहीं हो सकता। बशर्ते कि काम को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से किया जाए। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी से रूबरू कराने जा रहें। जिसे सुनकर आप भी अचंभित रह जाएंगे।
जी हां आप सभी की सोच भले ही यह हो कि हर कोई चाय बेचकर प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। तो यह बात सही है, लेकिन हम कहेंगे कि भले ही चाय बेचकर हर कोई प्रधानमंत्री न बनें, लेकिन करोड़पति तो बन ही सकता है। अब आप पूछेगें कि पांच- दस रुपए की चाय बेचकर कोई करोड़पति कैसे बन सकता है? तो आइए हम बताते हैं आपको पूरी कहानी…
कहते हैं न कि जिस काम में मन लगें व्यक्ति को वही काम करना चाहिए। जी हां ऐसा ही कुछ किया एमपी के दो युवकों ने। दरअसल इनके माता-पिता तो चाहते थे कि उनका बेटा पढ-लिखकर आईएएस बने, लेकिन बच्चों ने चाय का धंधा शुरु कर दिया, गजब तो ये हुआ कि धंधा ऐसा चला कि उनकी कंपनी का टर्नओवर सुन कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को चाय बेचने से तो नहीं रोकेगा।
यूपीएससी की तैयारी…
बता दें कि ये कहानी है अनुभव दुबे और आनंद नायक की। दरअसल अनुभव आगे की पढाई के लिए गांव से इंदौर आया था, जहां उसकी मुलाकात आनंद नायक से हुई। कुछ समय बाद आनंद पढाई छोड़ बिजनेस करने लगा। जबकि अनुभव यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चला गया। सबकुछ अपनी रफ्तार से चल रहा था, तभी एक दिन अनुभव को आनंद का फोन आया और उसने बताया कि उसका बिजनेस सही नहीं चल रहा। हमें मिलकर कुछ करना चाहिए।
फ़िर युवाओं को किया टारगेट…
फ़िर क्या था। अनुभव भी बिजनेस करना चाहते थे। सो उन्होने हां बोल दिया और थोड़ा सोच-विचार करने के बाद उन्होने यूथ को टारगेट करते हुए चाय की दुकान खोलने का फैसला लिया। दोनों का मानना है कि देश में पानी के बाद सबसे ज्यादा चाय पी जाती है। जिसकी हर जगह मांग भी रहती है। साथ ही इसे शुरु करने में ज्यादा पूंजी की जरुरत भी नहीं होती। इसलिए उन्होने चाय का बिजनेस करने का फैसला लिया।
3 लाख से शुरु की थी दुकानदारी…
बता दें कि 2016 में 3 लाख की लागत से दोनों ने इंदौर में पहली चाय की दुकान खोली। इसके लिए उन्होने गर्ल्स हॉस्टल के बगल में किराये पर एक रुम लिया। कुछ सेकेंड हैंड फर्नीचर से आउटलेट को डिजाइन किया और पैसों की किल्लत की वजह से अपना बोर्ड भी काफी सादा सा रखा। जिस पर चाय सुट्टा बार लिखा था। वैसे सबकुछ इतना आसान नहीं था। काफी कुछ झेलना पड़ा। परिवार से लेकर रिश्तेदारों तक के ताने मिले, क्योंकि यूपीएससी की तैयारी से सीधे चाय की दुकान का बिजनेस करना कईयों के लिए शॉकिंग था।
अब सलाना 100 करोड़ का है टर्नओवर…
धीरे-धीरे गर्दिश के बादल छंटते गए और ग्राहकों की संख्या बढती गई। उनकी दुकान इंटरनेट के जरिए भी काफी मशहूर हुई। उन्होने बताया आज हमारा सलाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का है और देशभर में इसके 165 आउटलेट्स हैं। जो 15 राज्यों में फैले हैं। विदेश में भी 5 आउटलेट्स हैं, चाय सुट्टा बार के मैन्यू में 10 रुपये से लेकर 150 रुपये तक की चाय मिलती है। इस कहानी का लब्बोलुआब इतना सा है कि व्यक्ति को वही काम करना चाहिए। जिसमें उसका मन लगें। वरना यह दुनिया है और एक संगीत तो हम सभी ने सुना है कि, “कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।”