महिला हॉकी टीम की हार से टूटा दिल, रोते हुए बोली नेहा की मां-भाग्य देता साथ तो बदल जाता सब
ओलिंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम को मिली हार से हर कोई दुखी है। आज ब्रॉन्ज मेडल के लिए भारतीय टीम का मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन से था। जिसे भारतीय टीम 4-3 से हार गई। मैच हारने के बाद पूरी भारतीय टीम बुरी तरह से रोते हुए नजर भी आई। इतना ही नहीं भारतीय महिला हॉकी टीम के खिलाड़ियों के परिवार वाले भी काफी मायूस हुए और अपनी बेटियों की हार पर जमकर रोए।
टीम खिलाड़ी नेहा की मां तो सुबह से ही पूजा कर रही थी। नेहा की मां को उम्मीद थी कि उनकी बेटी ये मैच जीत जाएगी। वहीं मैच शुरु होने के बाद नेहा की मां व परिवार के अन्य लोग श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गोद में लेकर बैठे हुए थे। ये लोग बस कामना कर रहे थे कि टीम जीत जाए ओर मेडल अपने नाम कर लें।
नेहा की मां को पूरी उम्मीद थी कि उनकी पूजा काम आएगी। लेकिन भारतीय टीम मुकाबला हार गई। जैसे ही टीम हारी नेहा की मां की आंखों से आंसू आ गए। रोते-रोते नेहा की मां ने कहा कि बेटियों ने लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाग्य और साथ दे देता तो कहानी ही कुछ और होती।
महिला हॉकी टीम की सदस्य नेहा और निशा की कोच व पूर्व हॉकी कप्तान प्रीतम सिवाच की भी प्रतिक्रिया आई। इन्होंने कहा कि टीम इंडिया ने इस पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया था। टीम इससे पहले सिर्फ 2 बार ओलिंपिक खेली है। साल 1980 में टीम टॉप चार में पहुंची थी। उस वक्त सेमीफाइनल फॉर्मेट नहीं था। वहीं 2012 रियो ओलिंपिक में टीम 12 वें स्थान पर रही थी। इस टीम का भविष्य बेहतर है। टीम बड़े टूर्नामेंट जीत कर हॉकी में एक बार फिर से देश का परचम लहराएंगी।
साई सेंटर के पूर्व हॉकी कोच एनके गौतम ने भी टीम को हिम्मत रखने को कहा। इनके अनुसार ये जबदस्त मैच था। दो 2.0 से पिछड़ने के बाद टीम ने दूसरे क्वार्टर में जबरदस्त वापसी की। चार मिनट के अंदर तीन 3 गोल दागना खिलाड़ियों की ताकत और प्रतिभा को दर्शाता है। कुछ मैच को छोड़ कर टीम ने बेहतरीन खेल दिखाया। टीम छाप छोड़ने में कामयाब रही। टीम मैच बेशक ही हार गई हो, दिल जीत ले गई। कई बार चीजे भाग्य पर भी निर्भर होती होती है। शायद आज भाग्य टीम के साथ नहीं था।
भारतीय पुरुष हॉकी ने जीता है मेडल
एक तरफ महिला हॉकी टीम के हाथ आज हार लगी है। वहीं दूसरी ओर 41 वर्षों बाद भारतीय पुरुष हॉकी ने कल जर्मनी को हराकर ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता था। मैच में पिछड़ने के बाद जबर्दस्त वापसी करते हुए जर्मनी को भारतीय टीम ने 5-4 से हराकर ओलिंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया। इस जीत से पूरे देश भावुक हो गया था। साल 1980 के बाद भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार कोई ओलिंपिक पदक जीता है।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मैच जीतने के बाद हर कोई बस यही प्रार्थन कर रहा था कि महिला टीम भी पदक जीतने में कामयाब हो। हालांकि ऐसा हो न सका और आज हुए मैच में महिला टीम हार गई।