सिल्वर जीतने के बाद भावुक हुए रवि दहिया, कहा- मैं तो गोल्ड का सपना लेकर आया था लेकिन…
ओलिंपिक खेलों में कुश्ती में सिल्वर मेडल जीतने वाले रवि दहिया ने गोल्ड न मिलने पर दुख जताया है। मेडल जीतने के बाद रवि दहिया ने कहा कि वो ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के लिए यहां आए हुए थे। न कि सिल्वर मेडल। मीडिया हाउस से फोन पर बात करते हुए इन्होंने कहा कि ‘मैं रजत पदक के लिए तोक्यो नहीं आया था। इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी। शायद इस बार मैं रजत पदक का ही हकदार था। क्योंकि युगुएव आज बेहतर पहलवान था। मैं जो चाहता था, वो हासिल नहीं कर पाया।’
गौरतलब है कि गोल्ड मेडल के लिए दहिया की टक्कर विश्व चैंपियन युगुएव से थी। युगुएव इससे पहले भी दहिया को हरा चुके हैं। दहिया ने इस बार पूरी कोशिश की कि वो अपनी हार का बदला लें और गोल्ड मेडल अपने नाम कर लें। लेकिन ऐसा करने में ये नाकाम रहें।
दो बार के मौजूदा एशियाई चैंपियन दहिया को अपनी इस हार से काफी दुख है। हारने के बाद इन्होंने कहा कि, ‘ युगुएव की शैली बहुत अच्छी थी। मैं अपने हिसाब से कुश्ती नहीं लड़ पाया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। उसने बहुत चतुरता से कुश्ती लड़ी।’ जब दहिया से उनके आने वाले प्लान के बारे में पूछा गया तो इन्होंने कहा कि ये अपने तकनीक पर ओर काम करना चाहते हैं।
वहीं रजत पदक भारतीय कुश्ती के लिए क्या मायने रखता है? इसपर दहिया ने कहा कि वो तो ठीक है। लेकिन रजत पदक लेकर चुप नहीं बैठ सकता। मुझे अपनी एकाग्रता बनाए रखनी होगी और अपनी तकनीक पर काम करना होगा। अगले ओलिंपिक खेलों के लिए तैयार रहना होगा।
खेतों में करते हैं पिता काम
रवि दहिया के पति एक किसान हैं और खेती कर इन्होंने अपने बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है। रवि को यहां तक पहुंचाने के लिए पिता राकेश ने कई बलिदान दिए हैं। परिवार को चलाने के लिए इनके पिता पट्टे पर लिए गए खेतों पर फसले उगाकर पैसे कमाते हैं।
चार करोड़ का मिला इनाम
दहिया के प्रदर्शन से खुश होकर हरियाणा सरकार ने इन्हें चार करोड़ रुपए नकद राशि पुरस्कार के तौर पर देना का ऐलान किया है। दहिया जब भारत वापस लौंटेगे तब उन्हें हरियाणा सरकार की ओर से सम्मानित करते हुए ये चार करोड़ रुपये की राशि सौंपी जाएगी। रवि दहिया को सिल्वर मेडल मिलने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ऐलान किया कि प्रदेश की खेल नीति के मुताबिक दहिया को 4 करोड़ रुपए नकद दिए जाएंगे। इसके अलावा उन्हें क्लास वन की नौकरी भी मिलेगी और रियायती दर पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की ओर से प्लॉट भी मिलेगा।
वहीं नकद पुरस्कार की घोषणा पर दहिया ने कहा कि वो केवल पैसे के बारे में नहीं सोच रहे थे और उनका ध्यान केवल ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने पर था। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि वो अपने पिता पर खेतों में काम नहीं करने के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। 23 वर्षीय रवि दहिया को अब अगले ओलिंपिक का इंतजार है। अगले ओलिंपिक 4 साल बाद पेरिस में होने वाले हैं।