इन तीन परिस्थितियों में हर पुरुष को करना पड़ता है दुःख का सामना। ऐसे कर सकते हैं बचाव…
चाणक्य नीति के मुताबिक इन तीन परिस्थितियों में सभी पुरुषों को उठाना पड़ता है दुःख...
आचार्य चाणक्य भारत के महानतम लोगों में से एक थे। इन्होंने धर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज आदि विभिन्न विषयों पर अपने मतों को खुल कर व्यक्त किया। हजारों साल पहले इनके द्वारा दी गई शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। गुप्त साम्राज्य में इनके योगदान को आख़िर भुला सकता है? एक साधारण से दिखने वाले बालक को इन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और कूटनीति से भारत का महान शासक बना दिया था। इन्होंने कई महान ग्रंथों की रचना की। जिनका आज के समय में भी काफी ज्यादा मूल्य है।
आचार्य चाणक्य अपने समय के महान अर्थशास्त्री थे। एक राजा को राजव्यवस्था कैसे चलानी चाहिए? उसका पूरा उल्लेख हमें इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ में मिलता है। उस समय आचार्य चाणक्य ने सामाजिक और व्यवहारिक रिश्तों को लेकर लोगों को कई अच्छी-अच्छी बातें बताईं, जिसका जिक्र हमें चाणक्य नीति में मिलता है।
इतना ही नहीं इन्होंने चाणक्य नीति में जीवन को लेकर ऐसी-ऐसी गूढ़ बातें कही हैं, जिनको यदि एक व्यक्ति समझकर अपने जीवन में उतार ले, तो तमाम परेशानियों से बच सकता है। जी हां इसके अलावा जीवन में आने वाली तमाम समस्याओं का अनुमान लगाकर वह खुद को उनसे निपटने के लिए तैयार भी कर सकता है। बता दें कि आचार्य चाणक्य ने अपना पूरा जीवन बहुत संघर्ष में बिताया। लेकिन उन्होंंने कभी भी परिस्थितियोंं को खुद पर हावी नहीं होने दिया, बल्कि उनसे हर दिन सीख ली।
अपने जीवन भर के अनुभव का निचोड़ ही उन्होंने जनहित के लिए ‘चाणक्य नीति’ में लिखा है। चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य की कही बातें आज के समय में भी काफी हद तक सटीक साबित होती हैं। आचार्य ने अपने ग्रंथ में ऐसी तीन परिस्थितियों का वर्णन किया है, जिनमें फंसने पर एक पुरुष को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि वे कौन सी तीन बातें हैं। जिन्हें पहले ही जानकर व्यक्ति गहन समस्याओं में उलझने से बच सकता है।
बता दें कि एक श्लोक है- “वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।” इसी के माध्यम से उन तीन परिस्थितियों का जिक्र आचार्य चाणक्य ने किया है।
1) इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी बुजुर्ग व्यक्ति की पत्नी मर जाए तो उसके लिए ये दुर्भाग्य की बात है। बुढ़ापे पर पत्नी ही सबसे बड़ा सहारा होती है। उसके चले जाने से व्यक्ति का जीवन बहुत कष्ट में बीतता है।
2) आचार्य चाणक्य ने दूसरी अहम चीज धन को माना है। धन एक ऐसी चीज है जिसके सहारे बुरा वक्त भी आसानी से गुजर जाता है। लेकिन अगर ये धन आपके दुश्मन के हाथ चला जाए तो व्यक्ति बर्बाद हो जाता है। इससे आपकी आजीविका तो प्रभावित होती ही है, साथ ही आपका धन दुश्मन आपको ही नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
3) आचार्य चाणक्य के अनुसार तीसरा दुख है किसी पुरुष का दूसरों पर आश्रित होना। व्यक्ति को जितना जीवन मिला है, वो चैन से तभी गुजर सकता है, जब वो आत्मनिर्भर हो। दूसरों पर निर्भरता आपको कमजोर बना देती है। ऐसे में व्यक्ति को दूसरों के अधीन रहना पड़ता है और दुख का सामना करना पड़ता है। वैसे इसी को लेकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है कि, “पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं”।