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अब लद्दाख में नहीं चलेगी चीन की दादागिरी, भारत उसी की भाषा में सिखाएगा सबक, लेगा ये एक्शन

भारत और चीन के बीच संबंध हमेशा तनावपूर्ण ही रहे हैं। चीन को कितनी भी हिदायतें दे दी जाए लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। अब इन दिनों वह लद्दाख में दादागीरी दिखा अपने मंसूबों को पूरा करना चाहता है। वह लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा रखता है। लेकिन अब उसकी मनमानी के आगे भारत भी चुप नहीं बैठने वाला है। वह चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर रहा है। दरअसल भारत द्वारा दक्षिण चीन सागर में चार युद्धपोत (Warship) भेजे जाएंगे। भारत द्वारा भेजी जाने वाली यह चार युद्धपोत लगभग दो महीने तक तैनात रहेंगे।

चीन का दावा है कि पूरा दक्षिण चीन सागर उसके क्षेत्र में आता है। हालांकि ब्रुनेई, फिलीपींस, मलेशिया और वियतनाम जैसे देश उसकी इस बात से सहमत नहीं हैं, वे चीन का विरोध करते हैं। बुधवार को नौसेना द्वारा चीन को सबक सिखाने को लेकर एक बयान भी जारी किया गया है। इसमें कहा है कि दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण चीन सागर और पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में 1 गाइडेड मिसाइल विध्वंसक, 1 मिसाइल फ्रिगेट और 4 युद्धपोत 2 महीने के लिए तैनात किए जाएंगे।

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नौसेना के इस बयान में यह भी कहा गया कि भारतीय नौसेना द्वारा इन पोतों तैनात करने का उद्देश्य शांतिपूर्ण मौजूदगी एवं मित्र देशों के साथ एकजुटता जाहिर करना है। इसके साथ ही इससे समुद्री क्षेत्र में व्यवस्था को सुनिश्चित करने में मदद भी मिलेगी। नौसेना के मुताबिक भारतीय युद्धपोत को तैनात करने के दौरान अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ सालाना वार प्रैक्टिस भी की जाएगी।

गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे को खारिज करने के लिए अमेरिका भी हमेशा इस इलाके में सैन्य अभ्यास करता है। अमेरिका द्वारा इस इलाके में चीन के अधितर दावों पर अवैध की मोहर भी लगाई जा चुकी है। बताते चलें कि बीते जिन रेग्युलर मिशन के अंतर्गत अमेरिकी युद्धपोतों का एक बेड़ा इसी विवादित जल क्षेत्र में एंटर हुआ था। इस बेड़े में अमेरिका का विमानवाहक पोत (Aircraft carrier) यूएसएस रोनाल्ड भी था। वहीं ब्रिटेन के युद्धपोत भी इस माह फिलीपींस सागर में सैन्य अभ्यास करते दिखाई देंगे। वैसे चीन को इस क्षेत्र में अन्य देशों द्वारा इस तरह के सैन्य अभ्यास करना पसंद नहीं है। वह अक्सर इसकी आलोचना करता रहता है।

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इस तैनाती के पीछे के उद्देश्य की बात करें तो भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है। वैसे ये लगातार दूसरा वर्ष है जब क्वॉड गठबंधन के सभी देशों की नौसेनाएं नौसैनिक युद्ध अभ्यास में भाग ले रहे हैं। नौसेना द्वारा जारी बयान की माने तो मिसाइल विध्वंसक रणविजय, मिसाइल फ्रिगेट शिवालिक, पनडुब्बी रोधी जंगी जहाज कदमत और मिसाइल से लैस जंगी जहाज कोरा जैसे लड़ाकू जहाज और हथियार नौसेना कार्य समूह में शामिल किए जा रहे हैं। वहीं चीन इन क्‍वाड देशों द्वारा किए जाने वाले युद्धाभ्यास को शक की निगाहों से देखता है। उसे ये पसंद नहीं है, शायद उसे लगता है कि उसके खिलाफ ये कोई साजिश है।

वैसे चीन और भारत की स्थिति पर आपकी क्या राय है हमे कमेन्ट में जरूर बताएं।

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