जब पिता के सामने संजय दत्त ने कहा- मेरी रगों में मुसलमान का खून है. मैं वो सब बर्दाश्त नहीं कर..
हिंदी सिनेमा के मशहूर और चर्चित अभिनेताओं में संजय दत्त भी अपना स्थान रखते हैं. संजय दत्त ने अपनी पेशेवर ज़िंदगी के साथ ही अपनी निजी ज़िंदगी को लेकर भी ख़ूब सुर्खियां बटोरी है. ‘संजू बाबा’ के नाम से मशहूर संजय दत्त का नाम विवादों से भी जुड़ा है. साल 1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट में संजय दत्त का नाम आया था और वे ख़ूब सुर्ख़ियों में रहे थे.
संजय दत्त का नाम इस केस में सामने आने के बाद उनकी ख़ूब बदनामी भी हुई थी. उन पर आतंकवादी होने तक के आरोप लग गए थे और उन्हें बुरी नज़रों से देखा जाने लगा था. वे इस केस में दोषी पाए गए थे और अदालत ने अभिनेता को 6 साल की सजा सुनाई थी. संजय दत्त के जीवन पर फिल्म भी बनी है, जिसमें उनका किरदार रणबीर कपूर ने निभाया था. वहीं उनके जीवन पर किताब भी लिखी जा चुकी है. इसके लेखक यासीर उस्मान है. उन्होंने संजय को लेकर ‘संजय दत्त: द क्रेजी अनटोल्ड लव स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड ब्वॉय’ लिखी थी. जिसमें संजू के जीवन के कई बड़े ख़ुलासे हुए थे.
किताब में एक किस्सा ऐसा भी था जिसे लेकर विवाद भी हुआ था. दरअसल, यासीर उस्मान ने किताब में 1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट का जिक्र किया था और बताया था कि इस दौरान जब सुनील दत्त बेटे संजय दत्त से पुलिस हेडक्वार्टर पर मिलने के लिए गए थे तो दोनों के बीच क्या हुआ था.
यासीर के मुताबिक़, संजय दत्त ने पिता के सामने अपने जुर्म को स्वीकार किया था और यह बात सुनकर सुनील दत्त हिल गए थे. सुनील को लगता था कि संजय ने कुछ नहीं किया है और अपने बेटे के मुंह से भी वे यहीं सुनना चाहे थे. हालांकि संजय ने जो पिता को सुनाया उससे उन्हें बहुत गहरा झटका लगा था.
बताया जाता है कि, संजय दत्त ने पिता के सामने यह बात स्वीकार की थी कि उनके पास एक असॉल्ट राइफल और कुछ गोला-बारूद है, जो उन्हें अनीस इब्राहिम द्वारा दिया गया था. सुनील दत्त बेटे से ऐसा करने के पीछे का कारण पूछते है.
जवाब में संजू कहते है कि, ‘क्योंकि मेरी रगों में मुसलमान का खून है. मैं वो सब बर्दाश्त नहीं कर सकता जो शहर में हुआ था. (यह बम धमाका मुंबई में बाबरी मस्जिद विवाद में मुसलमानों की जान का बदला लेने के लिए किया गया था, संजय ने उसी के बारे में बात की थी).’ बेटे के मुंह से ये शब्द सुनकर सुनील दत्त को बड़ा झटका लगा और फिर वे बिना कुछ कहे वहां से वापस आ गए.
संजय ने कहा- मनगढ़ंत है किताब में लिखी बातें
हालांकि संजय ने किताब में लिखी इन बातों पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि इसमें लिखी बातें मनगढ़ंत हैं. संजय ने साफ़ किया था कि किताब में जो लिखा था वैसा कुछ नहीं हुआ था.