कल्कि जयंती : कलयुग के अंत में जन्म लेंगे भगवान, ऐसा होगा विष्णु जी के 10वें अवतार का परिवार
हिंदू धर्म में कई देवी-देवता है. सभी का धार्मिक दृष्टिकोण से अपना एक ख़ास महत्व है. भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण को पुराणों की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री विष्णु का अवतार माना गया है. वहीं भगवान कल्कि भी वुष्णु जी के अवतार हैं. बता दें कि, कल्कि जी, श्री विष्णु जी के 10वें अवतार हैं.
बहुत जल्द भगवान कल्कि की जयंती आने वाली है. शास्त्रों और पुराणों के अनुसार कल्कि भगवान का जन्म सावन मास के शुक्ल पक्ष की संध्या व्यापिनी तिथि में होगा. इस बार यह तिथि या यह दिन 5 अगस्त को आ रहा है. हिंदू धर्म के बड़े और विश्वप्रसिद्ध एवं पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत पुराण में इस बात का उल्लेख है कि कलयुग में एक बार फिर से कल्कि भगवान का जन्म होगा. कल्कि जी कलियुग की समाप्ति और सतयुग के संधिकाल में फिर से इस धरा पर अवतरित होंगे.
पुराणों में कहा गया है कि, भगवान कल्कि का अवतार विष्णु जी का अंतिम अवतार होगा और कल्कि जी कलयुग के अंत में जन्म लेंगे. बता दें कि, यह भगवान विष्णु जी का पहला ऐसा अवतार माना जाता है जिसे पूजना उनके अवतरित होने से पहले ही शुरू कर दिया गया था. आइए आज आपको भगवान कल्कि के परिवार और उनकी पूजा विधि की जानकारी देते हैं.
भगवान कल्कि का परिवार…
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार बताया जाता है कि कलयुग के अंत में जब भगवान कल्कि का जन्म होगा तो उनके पिता का नाम विष्णुयश होगा. कल्कि की जी के पिता का नाम ‘विष्णुयश’ होने से यह पता चलता है कि उनके पिता विष्णु भक्त होंगे साथ ही उन्हें वेद और पुराण का भी ज्ञान होगा. वहीं कहते हैं कि कल्कि भगवान की माता का नाम सुमति होगा. भगवान श्री राम की तरह ही कल्कि जी के तीन भाई और होंगे. उनके भाईयों के नाम सुमंत, प्राज्ञ और कवि होंगे. कल्कि जी अपने सभी भाईयों के साथ मिलकर धर्म की स्थापना करेंगे. जबकि उनकी दो पत्नियां होंगी. उनकी पत्नियों का नाम लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी रूपी रमा होगा. वहीं कल्कि जी के 4 पुत्र जय, विजय, मेघमाल, बलाहक होंगे.
भगवान कल्कि की पूजा विधि…
भगवान कल्कि की जयंती के दिन उनका पूजन विशेष रूप से करना चाहिए. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से खुद को स्वच्छ कर लें और सबसे पहले व्रत का संकल्प लें. फिर भगवान कल्कि की प्रतिमूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें साफ़ एवं स्वच्छ वस्त्र पहनाएं. अब चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर कल्कि जी को उस पर स्थापित करें. विधिवत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और अगरबत्ती आदि से कल्कि भगवान की पूजा, अर्चना करें.