
ससुर थे राज्यपाल, जेठ है विधायक और खुद बिहार की मंत्री, नीतीश कुमार की ख़ास है शीला कुमारी
नीतीश कुमार ने नवंबर 2020 में सातवीं बार बिहार के सीएम की कुर्सी संभाली थी. 16 नवंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए एक बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया था. नीतीश कुमार के साथ ही 15 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली थी. इन मंत्रियों में एक चर्चित नाम शीला कुमारी का भी था. शीला, सीएम नीतीश की काफी करीबी और भरोसेमंद बताई जाती है. आइए आज शीला कुमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं…
गौरतलब है कि, 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में शीला कुमारी पहली बार विधायक चुनी गई थी. उनका राजनीतिक घराने से सबंध रहा है. पहली बार विधायक बनते ही उन्हें मंत्री पद दे दिया गया था. वे काफी ख़ूबसूरत भी है और अक्सर चर्चा में बनी रहती हैं.
साल 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव शीला कुमारी का पहला विधानसभा चुना था और वे पहली बार में ही जीतने में कामयाब रही थी. उन्होंने मधुबनी जिले के फुलपरास सीट से जदयू की सीट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के दिग्गज एवं कद्दावर नेता कृपानाथ पाठक को 10 हजार 966 मतों के अंतर से पटखनी दी थी.
बता दें कि, शीला के ख़िलाफ़ जेडीयू विधायक ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार मिली थी और शीला, सीएम नीतीश की उम्मीदों पर खरी उतरी थीं.
शीला कुमारी की निजी ज़िंदगी की बात की जाए तो उन्होंने साल 1991 में शैलेंद्र कुमार से शादी की थी. पेशे से शीला के पति एक इंजीनियर है. दोनों के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी है.
शीला की शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो वे पोस्ट ग्रेजुएट हैं और कविताएं लिखना उनका शौक है.
शीला कुमारी एक ऐसे परिवार से संबंध रखती है जिसका रजनीति से गहरा संबंध रहा है. शीला के जेठ भारत भूषण मंडल लौकहा से राजद विधायक है. वहीं आपको जानकारी के लिए बता दें कि, शीला के चचेरे ससुर धनिक लाल मंडल भी फुलपरास से विधायक रह चुके हैं. इतना ही नहीं वे बिहार विधानसभा के स्पीकर का पद भी संभाल चुके हैं.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और हरियाणा के राज्यपाल भी रहे धनिक लाल मंडल…
धनिक लाल मंडल ने राजनीति में अच्छा ख़ासा नाम कमाया. देश में आपातकाल के बाद जब साल 1977 में आम चुनाव हुए थे तब धनिक लाल मंडल झंझारपुर से सांसद चुने गए थे और इसके बाद उन्हें मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री का पद सौंपा गया था. वहीं वे 1990 से 1995 तक हरियाणा के राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुके हैं.