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IAS बनने के लिए नवजीवन पवार ने किया था खूब संघर्ष, ज्योतिषी ने भी कहा था नहीं बनोगे अधिकारी

महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्में नवजीवन पवार बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखते थे। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए इन्होंने दिन रात मेहनत की और आईएएस अधिकारी बनकर ही दम लिया। नवजीवन पवार के जीवन के संघर्ष की कहानी उन लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक है, जो लोग आईएएस (IAS) बनने के लिए मेहनत कर रहे हैं। दरअसल हर किसी के जीवन में ऐसा समय जरूर आता है। जब वो हारा हुआ महसूस करता है और अपने सपने को टूटता हुआ देखता है।

navjivan vijay pawar ias

नवजीवन पवार के जीवन में ये समय एक नहीं दो बार आया। जब उनको अपना सपना टूटा हुआ दिखा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत में लग गए। जिसके कारण ऑल इंडिया रैंक 316 हासिल कर ये आईएएस अधिकारी बन गए।

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नवजीवन पवार का जन्म महाराष्ट्र के नासिक के एक छोटे से गांव में हुआ था। ये एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता किसान हैं। नवजीवन बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे। 12वीं के बाद इन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी होने के बाद नवजीवन पवार ने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी।

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यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने के लिए इन्हें पिता ने सपोर्ट किया। ताकि अच्छी कोचिंग मिल सके। इसके लिए इन्हें दिल्ली भेज दिया गया। दिल्ली आकर इन्होंने कोचिंग लेना शुरू कर दी। हालांकि इस दौरान दिल्ली में इनके एक टीचर ने इन्हें ज्योतिष के पास चलने को कहा। इन्होंने भी अपने टीचर की बात मान ली। ज्योतिष ने इनसे मिलकर कहा कि 27 साल की उम्र से पहले तुम आईएएस (IAS) नहीं बना पाओगे। ये बात नवजीवन के दिल में लग गई। लेकिन इन्होंने ज्योतिष की बात पर ज्यादा ध्यान न देते हुए अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया। इन्होंने ठान लिया कि ये इस परीक्षा को जरूर पास करेंगे।

एग्जाम से करीब एक महीने पहले हो गए बीमार

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यूपीएससी एग्जाम से करीब एक महीने पहले ही नवजीवन पवार को डेंगू हो गया। इनकी तबीयत इतनी खराब हो गई कि इन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ऐसे में इन्होंने अस्पताल में भर्ती होते हुए अपनी पढ़ाई को जारी रखा। इनका ये हौसला देखकर डॉक्टर भी हैरान  रह गए।

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अस्पताल में बिताए गए दिनों को याद करते हुए नवजीवन बताते हैं कि अस्पताल में एक हाथ पर डॉक्टर इंजेक्शन लगा रहे थे और मेरे दूसरे हाथ पर किताब थी। वो दौर काफी बुरा था। वही बीमारी से लड़कर ठीक होने के बाद नवजीवन पवार ने अच्छे से एग्जाम दिया और पहले अटेम्प्ट में ही प्रीलिम्स क्लियर कर लिया। रिजल्ट आने के बाद ये इंटरव्यू की तैयारी करने लगा।

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नवजीवन पवार के अनुसार इंटरव्यू की तैयारी करते हुए मुझे ख्याल आया कि जब कोई मेरा भविष्य बता सकता है तो मैं अपना फ्यूचर क्यों नहीं बदल सकता। फिर क्या था नवजीवन ने अच्छे से तैयारी की ऑल इंडिया रैंक 316 हासिल कर आईएएस अधिकारी बने।

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नवजीवन पवार के अनुसार उनके पिता किसान हैं और वे पढ़ाई के दौरान अपने पिता की मदद के लिए खेतों में काम भी करते थे। उन्होंने खेतों में खूब हल चलाया है। वहीं अब ये अधिकार बन देश की  सेवन कर रहे हैं।

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