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नाम ‘जॉनी वॉकर’ लेकिन कभी शराब छुई तक नहीं, कभी मांगते थे काम की भीख, फिर बने ‘कॉमेडी किंग’

गुजरे जमाने में हिंदी सिनेमा में कई ऐसे अभिनेता हुए हैं जिन्हें आज भी खूब याद किया जाता है. उन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी से हर किसी का दिल जीत लिया था. ऐसे ही एक बेहद मशहूर अभिनेता थे जॉनी वॉकर. जिनक असली नाम बहरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था. बहरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी यानी कि जॉनी वॉकर का जन्म 11 नवंबर 1926 को इंदौर में हुआ था.

johnny walker

जॉनी वॉकर हिंदी सिनेमा के एक बेहतरीन हास्य अभिनेता थे. उन्होंने हिंदी सिनेमा में गजब की कॉमेडी कर हर किसी के होश उड़ा दिए थे और आज भी हिंदी सिनेमा में जब हास्य की बात होती है तो उनका नाम जरूर लिया जाता है. बता दें कि, दुर्भाग्य से अब जॉनी वॉकर हमारे बीच नहीं है. उनका 29 जुलाई 2003 को मुंबई में निधन हो गया था. आज जॉनी की 18वीं पुण्यतिथि है. आइए आज इस अवसर पर हम आपको उनसे जुडी कुछ ख़ास बातों के बारे में बताते हैं.

Johnny Walker

जॉनी वॉकर का काम इतना गजब का था कि उनका किसी फिल्म में होना उसका हिट होने की गारंटी माना जाता था. उन्हें 50, 60 और 70 के दशक का सबसे बेस्ट कॉमेडियन माना जाता है. इस दौर में कॉमेडी के मामले में उनकी टक्कर में कोई नहीं था. जॉनी को गुजरे हुए 18 साल हो गए है, हालांकि वे अब भी फैंस के दिलों में ज़िंदा है.

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बता दें कि, जॉनी वॉकर के पिता इंदौर में एक मिल में काम करते थे, हालांकि मिल जब बंद हो गई थी तो इसके बाद बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी यानी जॉनी वॉकर के परिवार ने मुंबई का रुख किया और फिर उनका परिवार यहीं बस गया. जॉनी फिल्मों में काम करने का सपना देखा करते थे, लेकिन इससे पहले उन्हें बस कंडक्टर की नौकरी करनी पड़ी थी.

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बताया जाता है कि वे शुरू से ही अभिनेता बनना चाहते थे और शुरू से ही सिनेमा की ओर उनका झुकाव था. बस कंडक्टर की नौकरी करने के दौरान वे बस में सवार यात्रियों को अपनी कॉमेडी से खूब हंसाया करते थे और मिमिक्री करते थे. जिससे कि यात्रियों का खूब मनोरंजन होता था. उन्हें इस नौकरी के बदले में हर माह महज 26 रूपये मिले थे. जॉनी वॉकर 10 भाई-बहनों में दूसरे नंबर के थे और ऐसे में पिता के साथ ही उनके कंधों पर भी परिवार की जिम्मेदारी थी.

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इस नौकरी के दौरान जॉनी का घूमना मुंबई के स्टूडियो में भो होता था. इसी बीच एक दिन वे डायरेक्टर के. आसिफ के सचिव रफीक से मिले. कई बार गुजारिश करने के बाद जॉनी को फिल्म ‘आखिरी पैमाने’ में एक छोटा सा रोल दे दिया गया. जबकि इसके लिए फीस के रूप में उन्हें 80 रूपये दिए गए थे.

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एक दिन जॉनी, बलराज साहनी की नज़रों में आए और बलराज ने जॉनी को यह सलाह दी कि वे गुरु दत्त से मिले. जॉनी तो अपना करियर फिल्मों में बनाना ही चाहते थे और वे तो मौकों की तलाश में ही थे ऐसे में गुरु दत्त से मिलकर उन्होंने उनके सामने
शराबी की एक्टिंग की. गुरु दत्त को लगा कि जॉनी ने सच में शराब पी रखी है तो वे उनसे नाराज हो गए. लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि जॉनी ने बिना शारब पिए शराबी की इतनी अच्छी एक्टिंग की तो उन्होंने जॉनी को गले लगा लिया. ख़ास बात तो यह है कि, जॉनी असल ज़िंदगी में भी शराब नहीं पीते थे.

गुरु दत्त ने ही बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी को बना दिया ‘जॉनी वॉकर’…

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कहा जाता है कि, गुरु दत्त ने अपने पसंदीदा स्कॉच ब्रांड ‘जॉनी वॉकर’ के नाम पर बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी का नाम बदलकर जॉनी वॉकर रख दिया था और फिर वे इसी नाम से दुनिया भर में मशहूर हो गए.

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जॉनी वॉकर के फ़िल्मी करियर की मुख्य फिल्मों में ‘जाल’, ‘हमसफर’, ‘मुगल ए आजम’, ‘मेरे महबूब’, ‘बहू बेगम’, ‘मेरे हुजूर’, ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘देवदास’, ‘मधुमति’ और ‘नया अंदाज’ आदि शामल है.

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