एक चाय वाला बन गया चार साल में करोड़पति। पढ़िए यह सक्सेस स्टोरी…
यह तो हम सभी ने कई बार सुना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी ज़माने में चाय बेची थी। आज हम ऐसे ही एक चाय वाले की कहानी बताने जा रहें। जो चाय बेचने के धंधे से करोड़पति बन गया। जी हां आप सोचते होंगे कि चाय बेचकर कोई करोड़पति कैसे बन सकता? तो बता दें कि अगर कोई व्यक्ति चाय बेचकर प्रधानमंत्री बन सकता है। फ़िर एक चाय वाला करोड़पति क्यों नहीं बन सकता। बता दें कि अहमदाबाद के प्रफुल्ल बिलौरे कुछेक ऐसे व्यक्तियों में शामिल हैं। जिन्होंने संघर्षों से लड़ते हुए एक मुक़ाम बनाया है।
जब प्रफुल्ल कॉलेज में थे, फेल हो गए। पढ़ाई छोड़ दी और चाय बेचने लगे। चाय भी ऐसा बेचा कि पूरा देश उसे चाय वाले के नाम से जानने लगा। केवल 4 सालों में उन्होंने अपनी 3 करोड़ की कंपनी बना ली है। तो आइए जानते हैं इस चाय वाली से जुड़ी कहानी…
हम सभी ने यह उक्ति अपने बड़े-बुजुर्ग के मुंह से अक्सर सुनी है पढ़ोगे-लिखोगे नहीं तो क्या बड़े होकर ठेला लगाओगे? ऐसे में कहीं न कहीं प्रफुल्ल ने तो सच में यही किया। हालांकि वे एमबीए करना चाहते थे। आईआईएम जैसे अच्छे संस्थान में एडमिशन हो, इसके लिए कैट का एग्जाम भी दिया, लेकिन फेल हो गए। प्रफुल्ल कैट की परीक्षा में तो फेल हुए थे, लेकिन जिंदगी की परीक्षा में नहीं! कैट की परीक्षा में लगातार फेल होने के कारण वे निराश रहने लगे थे। कुछ हफ्ते के लिए तो उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया था।
काफी दिनों तक परेशान रहे आखिरकार उन्हें अहमदाबाद में पिज्जा की एक दुकान में 37 रुपये प्रति घंटे की नौकरी मिल गई और काम मिला डिलीवरी बॉय का। हालांकि इस बीच उनका प्रमोशन भी हुआ लेकिन उन्हें कुछ अलग करना था, कुछ अपना करना था। ऐसे में उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा। लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। कम पूंजी में बिजनेस करने की चाहत में उनको चाय की दुकान का आइडिया आया। अपने पैरेंट्स से 8,000 रुपये लिए और अहमदाबाद के एसजी हाइवे पर चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में प्रफुल्ल का चाय का बिजनेस नही चला। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि चाय पीने के लिए लोग उनके पास आएं या न आएं, वे ही अपनी चाय को लोगों तक पहुंचाएंगे। उनके मुताबिक जब वे चाय को लेकर लोगों के पास जाते और उनसे इंग्लिश में बात करते तो लोग हैरान रह जाते। इस तरह धीरे धीरे प्रफुल्ल के ग्राहक बढ़ते चले गए और उनकी कमाई हर महीने हजारों में पहुंच गई।
लोगों के इंटरटेनमेंट के लिए प्रफुल्ल अपनी चाय की टपरी पर ही ओपन माइक लगवा देते थे। वेलेंटाइन डे पर उन्होंने सिंगल लोगों को फ्री में चाय दी। ये स्टोरी काफी वायरल हुई थी इसके बाद वह शादियों में चाय की स्टॉल लगाने लगे। एमबीए चायवाला ‘MBA Chaywala’ नाम के पीछे की कहानी के बारे में प्रफुल्ल बताते हैं कि उन्होंने अपने टी स्टॉल का नाम ‘मिस्टर बिलौरे अहमदाबाद चायवाला’ रखा था, जिसे शॉर्ट में MBA चायवाला कहा जाने लगा और इस तरह वे फेमस होते चले गए।
वैसे प्रफुल्ल के लिए यह मुकाम हासिल करना इतना आसान नहीं था। अपने स्ट्रगल के बारे में वे बताते हैं कि, ” जब उन्होने चाय का ठेला शुरू किया तो घरवालों, दोस्तो ने बहुत सुनाया। कई बार नगर निगम की टीम चाय का ठेला उठाकर चली गई। कई बार गुंडो ने भी धमकाया।”
वे बताते हैं कि लोग उसे नीचा दिखाने के ख्याल से चायवाला बोलते थे। उन्हें इज्जत नहीं मिलती थी। लेकिन आज यही उनकी पहचान है। उन्होंने सीख ली कि बिजनेस करना हो तो किसी की बात मत सुनो, आपको ठीक लगे वो करो। कोई आपकी मदद करने आगे नहीं आएगा। आपको खुद अपनी मदद करनी है। फ़िर क्या था बिजनेस चल निकला।
बता दें कि प्रफुल्ल का आइडिया काफी फेमस हो चुका है। अब बात यहां तक पहुँच गई है कि लोग उनकी फ्रेंचाइजी लेने के लिए तैयार रहते हैं। पूरे देश में उनकी कुल 11 फ्रेंचाइजी है। वे मोटिवेशनल स्पीकर है और कई कॉलेजों में लेक्चर भी दे चुके हैं। प्रफुल्ल सिर्फ चाय की फ्रेंचाइजी से ही नहीं कमाते, वह शादियों में भी चाय बनाने जाते हैं और एक दिन के 50 हजार चार्ज करते हैं।
यही नहीं वे क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाजार में भी इन्वेस्ट करते हैं। प्रफुल्ल का एक सपना है। वे चाहते हैं कि हार्ट, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित करीब 100 लोगो के लिए वे 1 से लेकर 10 लाख रुपये तक का फंड जुटाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने चाय मैराथन का आयोजन कराने की ठानी है।