अखंड सौभाग्यवती होने के लिए आज जरूर सुनें मंगला गौरी व्रत कथा, इस तरह से करें पूजा
सावन महीने में भगवान शिव और पार्वती मां की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से जीवन में सुख बना रहता है और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में सावन माह का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि सावन के दौरान भगवान शंकर और माता पार्वती धरती पर भ्रमण करने आते हैं और इस महीने इनकी पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति जरूर होती है। सावन में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और मंगलवार को माता पार्वती के मंगला स्वरूप की पूजा की जाती है।
आज है सावन का पहला मंगलवार
आज सावन का पहला मंगलवार है। ऐसे में आप आज के दिन पार्वती मां की पूजा जरूर करें और मंगला गौरी का व्रत रखें। माना जाता है कि मंगला गौरी की पूजा करने से व व्रत रखने से महिलाओं को सौभाग्यवती होने का फल मिलता है। अगर सुहागन महिलाएं मां गौरी का ये व्रत रखती हैं। तो उनके पति की आयु लंबी हो जाती है। इतना ही नहीं पति के जीवन में आने वाले सारे संकट भी दूर हो जाते हैं।
इस तरह से रखें व्रत
- सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत कर सकते हैं। इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें। फिर मंदिर या घर पर ही मां गौरी की पूजा करें।
- अगर घर पर ही मां की पूजा करते हैं। तो पूजा घर में एक चौकी रख दें। इस चौकी पर शिवजी और मां पार्वती की मूर्ति स्थापित कर दें।
- पूजा करते हुए सबसे पहले एक दीपक जला दें। फिर मां को फूल अर्पित करें और सुहागन का सामान चढ़ें। इसके बाद मंगला गौरी व्रत कथा को पढ़ें। ये व्रत कथा इस प्रकार है।
मंगला गौरी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में धर्मपाल नाम का सेठ रहता था। ये सेठ काफी पैसों वाला था। दोनों पति-पत्नी के जीवन में हर सुख था। हालांकि शादी के कई साल बाद भी इन्हें कोई बच्चा नहीं हुआ। जिसके कारण ये दुखी रहने लगे। बच्चे की प्राप्ति के लिए इन्होंने खूब पूजा पाठ किया। भगवान की कृपा से शादी के कई सालों बाद इनके घर में एक पुत्र ने जन्म लिया।
परंतु ज्योतिषियों ने सेठ के पुत्र की कुंडली बनाते हुए उन्हें सावधान किया और कहा कि वो अल्पायु है। आपके पुत्र की आयु कम है और जैसे वो 17 का होगा उसकी मृत्यु हो जाएगी। ये बात सुनकर सेठ काफी दुखी हो गया। अपने बच्चे को मौत से बचाने के लिए सेठ ने सोचा की वो उसकी शादी एक ऐसी लड़की से करवा देंगा, जिसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिला होगा।
सेठ का पुत्र जैसे ही बढ़ा हुआ। उन्होंने उसके लिए सौभाग्यवती कन्या की खोज शुरू कर दी। सेठ को एक संस्करी कन्या मिल गई। कन्या की मां और कन्या दोनों ही मंगला गौरी का व्रत करती थी और मां पार्वती की विधिवत पूजन करती थी। जिसकी वजह से कन्या को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त था। सेठ ने इसी कन्या को अपने पुत्र के लिए चुना और उससे विवाह करवा दिया। जिसकी वजह से सेठ के पुत्र की मृत्यु टल गई।