700 करोड़ की टैक्स चोरी के आरोप में फंसा दैनिक भास्कर ग्रुप, रेड के बाद आयकर विभाग का खुलासा
भारत के विकास और आम जनता को मिलने वाली कई सुविधाओं में टैक्स का पैसा लगता है। ये टैक्स भारत का हर वह नागरिक देता है जो इसके दायरे में आता है। एक सच्चे भारतीय नागरिक होने के नाते ये हम सभी का फर्ज बनता है कि हम ईमानदारी के साथ टैक्स अदा करें। लेकिन कुछ लोग इसमें भी चलाकी दिखाते हैं और टैक्स चोरी करते हैं। वे आयकर विभाग को अपनी इनकम की गलत जानकारी देकर टैक्स की चोरी को अंजाम देते हैं। हालांकि आयकर विभाग भी ऐसे गोलमाल से अच्छी तरह वाकिफ होता है। यही वजह है कि आयकर विभाग द्वारा समय समय पर छापे मारी की जाती है।
कई बार इस छापेमारी में ऐसे ऐसे खुलासे होते हैं कि हम भी दंग रह जाते हैं। खासकर जब ये छापे किसी बड़े या नामी इंसान या संस्थान पर पड़ते हैं। फिर टैक्स चोरी के आकड़ें करोड़ों में पहुंच जाते हैं। इन दिनों देश की बड़ी मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर भी आयकर विभाग के निशाने पर है। आयकर विभाग के द्वारा दैनिक भास्कर के मुख्य दफ्तर सहित कई अलग-अलग कार्यालयों में छापे मारे गए हैं। अब न दैनिक भास्कर की टैक्स चोरी को लेकर आयकर विभाग ने एक बड़ा दावा किया है। इस दावे ने सनसनी मचा दी है।
दरअसल दैनिक भास्कर इन दिनों टैक्स चोरी के आरोपों का सामना कर रहा है। इसे लेकर हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (आईटीडी) ने एक बयान जारी किया है। इस बयान के अनुसार मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर ने 700 करोड़ रुपए के कर (टैक्स) की चोरी की है। गौरतलब है कि 22 जुलाई को ही आयकर विभाग ने टैक्स चोरी के मामले को लेकर दैनिक भास्कर और भारत समाचार के प्रमोटर्स के घर और दफ्तरों पर रेड मारी थी।
आईटी विभाग द्वारा जारी बयान में कहा गया कि उन्होंने ने 3 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी जब्त की है। वहीं 200 करोड़ रुपए के बेहिसाब लेनदेन की जानकारी भी हाथ लगी है। आयकर विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति में ये भी बताया गया कि मीडिया हाउस ने खनन, प्रसंस्करण और शराब, आटा व्यवसाय, अचल संपत्ति की बिक्री के जरिए 90 करोड़ रुपए की बड़ी राशि कमाई थी। लेकिन डीबी समूह की कई कंपनियों ने इसे फर्जी खर्च के रूप में बुक कर दिया। इस तरह सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे में से 700 करोड़ की राशि का हेरफेर किया।
आयकर विभाग ने बताया कि मीडिया हाउस के पास होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से ज्यादा कंपनियां हैं। जांच के दौरान पता लगा कि ये मीडिया हाउस अपने कर्मचारियों के नाम पर ही कई कंपनियों को चला रहा है। इन्हीं का उपयोग फर्जी खर्चों की बुकिंग और फंड की रूटिंग के रूप में होता है। आईटी विभाग की माने तो इन कंपनियों का उपयोग फर्जी खर्चों की बुकिंग एवं लिस्टेड कंपनियों के प्रॉफ़िट के गबन जैसे इरादों के लिए किया गया है।
रिपोर्ट की माने तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लिस्टेड कंपनियों हेतु शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा बनाए गए रुल्स का उल्लंघन भी पाया है। इसके अलावा इस कंपनी के विरुद्ध बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम के आवेदन की जांच भी होगी।
वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएं।