व्हेल मछली की उल्टी ने गरीब मछुआरों को बनाया करोड़पति, रातोंरात लगी 11 करोड़ की लॉटरी
वैसे तो अमीर बनने के लिए कड़ी मेहनत और टेलेंट की जरूरत होती है। लेकिन कई बार किस्मत भी आपको एक झटके में अमीर बना देती है। अब यमन के गरीब मछुआरों के साथ घटी इस घटना को ही ले लीजिए। इन्हें समुद्र में एक ऐसा ‘तैरता सोना’ मिला जिसने रातोंरात उनकी किस्मत चमका दी। युद्धग्रस्त देश यमन के अधिकतर लोग पेट पालने के लिए समुद्र से मछली पकड़ते हैं। यमनी मछुआरे फारेस अब्दुलहकीम और उसके दोस्त भी एक दिन मछली पकड़ने समुद्र गए थे, हालांकि उन्हें इस बात का कोई अदाज़ा नहीं था कि यहां उनके हाथ काला सोना लग जाएगा।
मछवारा अब्दुलहकीम बताता है कि अदन के दक्षिणी शहर के तट से लगभग 26 किलोमीटर दूर उनकी निगाह एक मरी हुई व्हेल मछली पर गई। वह मृत हालत में पानी पर तैर रही थी। मछवारों ने उनसे किनारे किया और उसका पेट चीरने लगे। अंदर उन्हें तैरता हुआ सोना यानि एम्बरग्रीस (व्हेल की उल्टी) मिला। बता दें कि एम्बरग्रीस व्हेल के पाचन तंत्र में बनने वाला एक दुर्लभ पदार्थ होता है। इसका उपयोग इत्र बनाने में होता है।
जब मछुआरों ने व्हेल को तट पर लाकर उसका पेट काटा तो उन्हें 127 किलो की दुर्लभ ‘वॉमिट गोल्ड’ (एम्बरग्रीस) मिली। इसकी कीमत 11 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक में रहने वाले बहुत से लोगों के लिए ये रकम हद से ज्यादा है। ये रकम हासिल करने के बाद इसका कुछ हिस्सा समुदाय में जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए दान कर दिया गया, जबकि बाकी मछुआरों के समूह में बांट दिया गया।
अब्दुलहकीम बताते हैं कि मेरा काम मछली पकड़ना ही है। मैं इस काम के लिए रोज समुद्र जाता था। वह दिन भी हमारे लिए सामान्य था, लेकिन फिर हमे किस्मत से मरी व्हेल मिली। वह पूरी तरह से एम्बरग्रीस भरी हुई थी। इस एक पल ने हमारी किस्मत ही पलट दी। इसे बेच जो पैसा मिला उससे कुछ मछुआरों ने नई नावें खरीदीं तो कुछ ने अपने नए घर बना लिए। मैंने भी अपना नया घर बनाया है। इस घटना के बाद समूह में शामिल मछुआरों ने भगवान को इस तरह उनका भाग्य बदलने के लिए शुक्रिया भी कहा।
व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल परफ्यूम इंडस्ट्री में बहुत होता है। इसके अंदर बिना गंध का ऐल्कोहॉल पाया जाता है जिसका इस्तेमाल परफ्यूम की गंध को लंबे वक्त तक बरकरार रखने में होता है। इस कीमती व्हेल की उल्टी यानि एम्बरग्रीस को वैज्ञानिक तैरता हुआ सुना भी कहते हैं। इस घटना के पहले नारिस नाम के एक मछुआरे 100 किलो का एम्बरग्रीस का एक टुकड़ा मिला था। इसकी कीमत 24 लाख पाउंड (लगभग 25 करोड़ रुपये) थी। ये अब तक पाए गए एम्बरग्रीस में सबसे बड़ा टुकड़ा था।
वैज्ञानिकों के अनुसार व्हेल मछली की उल्टी से निर्मित ये विशेष पत्थर एक प्रकार का अपशिष्ट होता है। व्हेल कई बार इसे पचा नहीं पाती है और उल्टी कर इसे अपने मुंह से बाहर कर देती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एम्बरग्रीस कहा जाता है। ये दिखने में काले रंग का या फिर भूरे रंग का होता है। यह मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ होता है। सामान्यतः इसका वजन 15 ग्राम से 50 किलोग्राम तक होता है।