‘बाघ नख’ से शिवाजी महाराज ने की थी अफ़जल ख़ान की हत्या, देखें भारत के 10 प्राचीन खतरनाक हथियार
‘हथियार’ एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल इंसान सदियों से करता आ रहा है। बस फर्क इतना है कि समय के साथ ये हथियार और भी आधुनिक और ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको प्राचीन भारत के उन हथियारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पलभर में किसी दुश्मन को मौत के घाट उतार सकते थे।
चक्रम
इस धारधार हथियार का इस्तेमाल लड़ाई के दौरान दुश्मन की तरफ ताकत से फेंकर किया जाता था। सैनिक अक्सर दो चक्रम अपने साथ रखते थे। यदि इसे फेंकने वाला माहिर खिलाड़ी हो तो दुश्मन के लिए ये कहर होता था। इसे आमने सामने की लड़ाई में भी इस्तेमाल किया जाता था।
हलादी
हलादी तीन ब्लेड वाला एक घातक हथियार था। राजपूत युद्ध में इसका इस्तेमाल एक स्टेटस सिंबल के रूप में करते थे। वहीं माहिर लड़ाकू इसका इस्तेमाल एक खतरनाक हथियार के रूप में करते थे।
परशु या फरसा
लोहे से बनी इस भारतीय कुल्हाड़ी में सिंगल या डबल ब्लेड होती थी। सैनिक युद्ध में इसका भी इस्तेमाल करते थे। वहीं हिंदू पौराणिक कथाओं की माने तो ये भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का हथियार था जिसे भगवान शिव ने उन्हें दिया था।
गदा
गदा को आप सभी ने हनुमानजी के हाथ में देखा होगा। वैसे ये प्राचीन काल में सैनिकों का लोकप्रिय हथियार था। इससे भारी रक्षा कवच को भी भेदा जा सकता था। गदा को अच्छे से इस्तेमाल करने के लिए एक अलग मार्शल आर्ट शैली होती है।
बाघ नख
बाघ नख यानि बाघ के नाखून, राजपूत अक्सर विषैले बाघ नख का इस्तेमाल किया करते थे। बता दें कि ये वही हथियार है जिससे शिवाजी महाराज ने अफ़जल ख़ान को मौत के घाट उतार था। वहीं निहंग सिख भी इसे अपनी पगड़ी में रखते थे। दरअसल ये हथियार आसानी से छिपाया जा सकता था, ऐसे में लोग अचानक से हमला करने के लिए इसे अपने पास रखते थे।
उरूमी
ये बेहद तेज और लचीले ब्लैड वाला अजीब हथियार था। इसे मौर्य साम्राज्य में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था। इसे सिर्फ माहिर लड़ाकू ही इस्तेमाल कर सकता था, यदि इसे चलाने में जरा सी भी गलती हो जाए तो आप खुद घायल हो सकते हैं। इसका एक श्रीलंकाई वर्ज़न भी था जिसमें हर हाथ की तरफ 32 ब्लेड जुड़े मिलते थे।
दंडपट्ट
इस हथियार का इस्तेमाल सैनिकों के सिर धड़ से अलग करने में किया जाता था। इसके दो ब्लेडों को आपस में जोड़ दिया जाए तो ये और भी घातक हथियार बन जाता था। मुगल काल में इसका बहुत इस्तेमाल देखने को मिला। बख्तरबंद पैदल सैनिकों के ख़िलाफ़ इसे यूज किया जाता था। शिवाजी महाराज भी इस हथियार को बखूबी चला लेते थे।
खुकरी
ये बहुत धारदार मुड़ा हुआ ब्लेड होता है। इसे गोरखाओं का हथियार माना जाता है। इसे आप प्रत्येक गोरखा सैकिन की यूनीफार्म में देख सकते थे। वैसे शादी जैसे रीति-रिवाज़ों में भी इसे साथ रखा जाता है।
कटार
दक्षिण भारत में बने इस हथियार का उपयोग मुगलों और राजपूतों ने बहुत किया। ये दिखने में छोटा लेकिन खतरनाक होता था। इसे तीन तेज धारदार ब्लेड से मिलकर बनाया जाता था। लोग इससे बाघ या बड़े जानवर का शिकार करना बहादुरी भरा काम मानते थे।
कृपाण
जब मुगलों ने पंजाब पर कब्जा किया था तब कृपाण की उत्पत्ति हुई थी। दरअसल अकबर के शासनकाल तक सिखों और मुगलों के रिलेशन अच्छे थे, लेकिन जहांगीर के शासनकाल में परेशानियाँ होने लगी। ऐसे में अंतिम गुरू गोविदं सिंह ने सिखों को अपनी सुरक्षा के लिए कृपाण रखना जरूरी कर दिया था।