उत्तरप्रदेश की सियासत का एक जाना-पहचाना नाम है अखिलेश यादव। क्या आपको पता है कि यही अखिलेश यादव कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे? जी हां आप यह सुनकर तनिक देर के लिए अचंभित हो सकते हैं, लेकिन यह सोलह आने सच बात है। बता दें कि यह कहानी है दिसंबर 1999 की। जब अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल के साथ देहरादून के एक शॉपिंग मॉल में खरीदारी कर रहे थे। चंद दिन पहले ही 24 नवंबर 1999 को दोनों की शादी हुई थी और नवविवाहित जोड़ा देहरादून में छुट्टियां मना रहा था।
इसके अलावा क्रिसमस के दौरान हनीमून के लिए सिडनी या लंदन जाने की प्लानिंग हो रही थी। लेकिन होनी को तो कुछ और मंजूर था। जी हां शॉपिंग के दौरान ही अखिलेश यादव का फोन बजा। दूसरी तरफ नेता जी यानी उनके पिता मुलायम सिंह यादव थे। चंद औपचारिकताओं के बाद दूसरी तरफ़ से आवाज आई कि, “तुम्हें चुनाव लड़ना है…”। इतने में अखिलेश यादव कुछ समझ पाते या समझने की कोशिश करते। इससे पहले ही नेता जी ने फोन काट दिया।
तो आइए जानते हैं आज बचपन मे टीपू नाम से पहचान रखने वाले अखिलेश यादव के बारे में कि कैसी हुई अखिलेश यादव की डिंपल से मुलाक़ात? क्यों डिंपल से शादी करवाने के खिलाफ थे मुलायम सिंह? अखिलेश की नाक आख़िर टेढ़ी क्यों है? इतना ही नहीं जेब में पर्स क्यों नहीं रखते टीपू? कई रोचक क़िस्से हैं अखिलेश यादव से जुड़ें आज बात उन्हीं किस्सों की…
शिक्षक को नहीं पसंद आया नाम तो स्वयं बदल दिया…
बता दें कि अखिलेश यादव के बचपन का नाम टीपू था। ऐसे में इनका नाम टीपू से अखिलेश यादव कैसे पड़ा। इसके पीछे भी एक कहानी है। मालूम हो कि एक बार स्कूल टीचर ने अखिलेश यादव का नाम पूछा? तो इन्होंने अपना नाम टीपू बताया। जी हाँ अखिलेश का नाम बचपन में अखिलेश नहीं था। स्कूल टीचर ने कहा कि ये कौन सा नाम है। आप कोई दूसरा नाम बताइए। ये नाम नहीं चलेगा।
इस पर नन्हे टीपू ने कहा मेरे घरवालों ने इसके अलावा मेरा कोई और नाम नहीं रखा है। ऐसे में दाखिला कराने साथ गए तिवारी जी ने तुरंत तीन से चार नाम सुझाए। उनमें से एक नाम था अखिलेश। टीपू को अखिलेश नाम पसंद आ गया और इस तरह से इनका नाम पड़ा अखिलेश यादव। बाद में इसी नाम के साथ अखिलेश की पहचान देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर बनी। इस दौरान विरोधियों ने भी कहा ‘टीपू बन गया सुल्तान’।
मालूम हो कि अखिलेश का जन्म सैफई में हुआ था। गांव के प्रधान ने उनका नाम ‘टीपू’ रखा था। राजस्थान के धौलपुर के मिलिट्री स्कूल से उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की। फिर मैसूर के जेएसएस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी यूनिवर्सिटी से सिविल इन्वायरमेंट इंजीनियरिंग से ग्रैजुएशन किया लेकिन क्या आपको पता है कि कॉलेज के दिनों में अखिलेश यादव की कई बार बैक लग चुकी है। उन्होंने खुद 2017 में एक न्यूज वेबसाइट के साथ दिए गए एक इंटरव्यू में यह जिक्र किया था।
सिर्फ दो ही सब्जेक्ट में हुए थे पास…
बता दें कि उस दौरान इंटरव्यू के वक्त अखिलेश ने बताया था कि, “उन्हें तब ये नहीं पता था कि राजनीति में आना है या नहीं। ऐसे में सिर्फ़ यही कोशिश रहती थी कि किसी तरह पास हो जाऊं बस। मेरी इतनी बार बैक लग चुकी है कि शायद ही किसी बच्चे की इतनी बैक आई हो। मुझे याद है कि जब बतौर मुख्यमंत्री कॉलेज गया तो मैंने वहां बताया कि जब मैं फर्स्ट सेमेस्टर में था, तो हमारे सभी साथी देखने गए कि रिजल्ट कैसा आया है और जब नोटिस बोर्ड में अपना रिजल्ट देखते हैं तो वहां पर केवल दो सब्जेक्ट दिखाई दिए। हम खुश हुए कि सिर्फ दो ही सब्जेक्ट में फेल हुए। लेकिन बाद में जब पता चला कि गलत रिजल्ट देखकर आए हैं ये दो सब्जेक्ट वे हैं जिसमें हम पास हुए हैं। बाकी सबमें फेल हैं लेकिन भगवान का शुक्र है कि जब फर्स्ट ईयर खत्म हुआ तो सभी सब्जेक्ट को क्लियर किया।”
एक वक्त मुलायम नहीं चाहते थे कि अखिलेश आएं राजनीति में…
बता दें कि राजनीति में नहीं आने की तमन्ना सिर्फ़ टीपू यानी अखिलेश यादव की ही नही थी। बल्कि उनके पिता मुलायम भी एक समय यही चाहते थे कि ‘टीपू’ सियासत न ज्वाइन करें। अखिलेश यादव की जीवनी ‘विंड्स ऑफ चेंज’ में वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन अमर सिंह के हवाले से लिखती हैं कि, “एक समय ऐसा था। जब मुलायम सिंह यादव नही चाहते थे कि अखिलेश यादव सियासत में आएं बल्कि उनका मानना था कि टीपू राजनीति से दूर रहें तो ही अच्छा। लेकिन बाद में ऐसा कुछ हुआ कि अखिलेश यादव यूपी के सीएम तक बनें।
जब राष्ट्रपति भवन में डॉक्टर से मिलने पहुँचें मुलायम…
बता दें कि यह किस्सा उस दौरान का है। जब मुलायम केंद्र की राजनीति का हिस्सा थे। ऐसे में एक रोज उन्होंने डॉक्टर कक्कड़ से मिलने का समय लिया और अखिलेश को लेकर उनके पास पहुँच गए। नेताजी जिस कारण डॉक्टर के पास गए थे। वह कारण था टीपू यानी अखिलेश की टेढ़ी नाक। जोकि खेल-खेल में टूट गई थी। अखिलेश यादव की ऑटोबायोग्राफी लिखने वाली सुनीता एरॉन ने इस वाकये को लेकर अपनी किताब विंड ऑफ चेंज में अखिलेश के हवाले से लिखा है कि, “जब कक्कड़ साहब ने मेरी पूरी नाक देखी तो उन्होंने मुझसे सिर्फ एक सवाल पूछा कि क्या आपकी शादी हो गई है? तो मैंने कहा हां। ऐसे में डॉक्टर ने कहा अब नाक ठीक कराने की कोई जरूरत नहीं।” दरअसल टीपू यानी अखिलेश की नाक बचपन से टेढ़ी नही थी, बल्कि उन्हें क्रिकेट खेलने का काफ़ी शौक था। जिसकी वज़ह से खेल-खेल में उनकी नाक टूट गई थी।
अखिलेश ने पिता की कमाई में क़भी नहीं रखा पर्स…
अखिलेश से जुड़े दिलचस्प क़िस्सों की कमी नहीं है। जिसके बारे में सामान्य लोगों को पता नहीं। ऐसा ही एक किस्सा यह है कि अखिलेश जब तक आर्थिक रूप से अपने पिता मुलायम पर निर्भर रहें। उन्होंने कभी पर्स नहीं रखा था। यह खुलासा सुनीता एरॉन ने डिंपल के हवाले से अपनी किताब विंड ऑफ चेंज में किया।
यूँ हुई डिंपल से मुलाक़ात और फ़िर शादी…
साल 1995। लखनऊ के एक इलाके में अनौपचारिक रूप से एक पार्टी चल रही थी। लोग बातों में मशगूल थे। इसी दौरान पहली बार अखिलेश की नज़र डिंपल से मिली। उस दौरान डिंपल रावत 17 साल की थी। धीरे धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ी और मिलना-जुलना शुरू हुआ। ये दोनों शादी से पहले अक़्सर लखनऊ कैंट के ‘सूर्या क्लब’ या ‘महमूदबाग़ क्लब’ में मिला करते थे। साल भर बाद यानी 1996 में अखिलेश पढ़ाई के लिए गए तो ऑस्ट्रेलिया, लेकिन वहां से लगातार डिंपल को खत लिखते रहें।
सुनीता एरॉन अपनी क़िताब विंड ऑफ चेंज में लिखती हैं कि, “अखिलेश और डिम्पल में ज़मीन आसमां का अंतर था। दोनो अलग-अलग जाति के थे। एक ठाकुर तो दूसरा यादव। शादी में रुकावट के लिए रोड़ा इतना ही नही था। एक समस्या यह थी कि उस वक्त अलग उत्तराखंड की मांग चरम पर थी। साल 1994 में मुलायम के सीएम रहते हुए मुज्जफरनगर के रामपुर तिराहा पर अलग राज्य की मांग कर रहें प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दी थी।”
जिसके लिए पहाड़ी लोगों ने मुख्यमंत्री मुलायम पर लगाया था आरोप। फ़िर टीपू यानी अखिलेश ने अपनी दादी के जरिए डिंपल से शादी की बात पिता मुलायम तक पहुँचाई। शुरू में तो वह नहीं मानें, लेकिन आखिरकार जब अमर सिंह ने दख़ल दिया तो मुलायम सिंह मान गए और दोनों शादी के बंधन में बंध गए। शादी के बाद ही अखिलेश सक्रिय राजनीति का हिस्सा भी बन गए। जो बाद में यूपी के सीएम भी बनें। तो ऐसे में अखिलेश का जीवन कहीं न कहीं कहानियों से भरा पड़ा है। जिसे विस्तार से जानने के लिए आप सुनीता एरॉन की क़िताब ‘विंड ऑफ चेंज’ का सहारा ले सकते हैं। वैसे अखिलेश से जुड़े ये कुछ क़िस्से आपको कैसे लगें हमें कमेंट कर बताना न भूलें। ताकि ऐसे ही दिलचस्प स्टोरी लाते रहें हम आप सभी के बीच।