दो भागों में विभक्त है पुण्यदायक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कथा
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। शिवपुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग भी कहा गया है। यहां आकर पूजा करने से शिव जी की विशेष कृपा बन जाती है। इस मंदिर में अक्सर लोगों की खासा भीड़ देखने को मिलती है और दूर-दूर से भक्त आकर शिव की पूजा करते हैं।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दो रुपों में विभक्त है। जिसमें एक रुप ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है और दूसरा ममलेश्वर के नाम से। इस ज्योतिर्लिंग से एक कथा भी जुड़ी हुई है जो कि इस प्रकार है। एक बार ऋषि नारद मुनि घूमते-घूमते गिरिराज विंध्य पर्वत पर पहुंचे थे। इस जगह पर इनका स्वागत धूमधाम से किया गया। विन्ध्याचल ने अपनी प्रशंसा करते हुए इनसे कहा था कि वे सर्वगुण सम्पन्न हैं। उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं है। ये बात सुनकर नारद मुनि को उनमें अंहकार दिखा। जिसके कारण उन्होंने विन्ध्याचल के अहंकार को खत्म करने का मन बना लिया।
फिर क्या था नारद जी ने विन्ध्याचल से कहा कि आपके पास सब कुछ है। लेकिन मेरू पर्वत आप से ऊंचा है। उसकी ऊंचाई आपसे कहीं ज्यादा है। उसकी चोटी इतनी ऊंची हैं कि वो देवताओं के लोकों तक पहुंच चुकी हैं। लेकिन आपकी शिखर वहां तक कभी भी नहीं पहुंच पाएंगे। नारद मुनि की ये बात सुनकर विन्ध्याचल को दुख हुआ और अपमानित महसूस हुआ। जिसके बाद विन्ध्याचल ने फैसला किया कि वो शिव जी की आराधना करेंगे। उन्होंने मिट्टी का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या शुरू कर दी। जो कि काफी सालों तक चली। विन्ध्याचल की कठोर तपस्या से शिव जी प्रसन्न हो गए। शिव ने विन्ध्याचल को दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया। साथ में ही मनचाही चीज मांगने को कहा।
भगवान शिव से विन्ध्याचल ने वरदान मांगते हुए कहा कि मुझे कार्य की सिद्धि करने वाली अभीष्ट बुद्धि प्रदान करें। शिव ने विन्ध्याचल की बात सुनकर तथास्तु बोल दिया। ठीक उसी समय देवतागण और ऋषिगण भी वहां पहुंच गए। सभी ने उनसे अनुरोध किया कि वहां स्थित ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो जाए। इनके अनुरोध पर ही ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हुआ। जिसमें से एक प्रणव लिंग ओंकारेश्वर और दूसरा पार्थिव लिंग ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
दूर-दूर से आते हैं भक्त
हर साल ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में भक्त यहां आते हैं। मान्यता है कि यहां आकर शिव जी की पूजा करने से हर कामना पूर्ण हो जाती है। वहीं सोमवार, शिव रात्रि व सावन के दौरान इस मंदिर में खासा भीड़ देखने को मिलती है। इस दौरान विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है और मंदिर के पास खास मेले का आयोजन भी किया जाता है।
कैसे पहुंचे
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचकर आपको मंदिर जाने के लिए बस व टैक्सी आसानी से मिल जाएगी। वहीं मंदिर के पास कई सारी धर्मशालाएं हैं, जहां पर आप रुक भी सकते हैं।