नए कृषि कानून का विरोध अभी भी जारी है और दिल्ली की सीमा पर किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। सीमा पर आंदोलन कर रहे किसान सरकार से इन तीनों कानूनों को वापस लेनी की मांग पर अड़े हैं। ये आंदोलन भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत व अन्य किसान नेताओं के नेतृत्व में हो रहा है। इसी बीच राकेश टिकैत ने एक ऐसा बयान मीडिया में दिया है। जिसके चलते इनकी खूब आलोचना हो रही है।
हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर मीडिया से बात की थी। जिसमें इन्होंने कहा था कि किसान पीछे नहीं हटने वाले हैं। ऐसा लगता है कि अब देश में जंग होने वाली है। यहां युद्ध होगा। सरकार नहीं सुन रही है और खेती की लागत भी बढ़ रही है। जब किसान नेता से पूछा गया कि सरकार मानने को तैयार नहीं है तो ये आंदोलन कब तक चलेगा? इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा, ”ये सरकार बताएगी, क्योंकि किसान वापस नहीं आएगा। किसान वहीं रहेगा और सरकार को बात करनी चाहिए। हमने 5 सितंबर को बड़ी पंचायत बुलाई है। हम उसमें आगे का हिसाब देंगे। सरकार के पास दो महीने का समय है।” सरकार को अपना फैसला लेना चाहिए, किसान भी करेंगे। ऐसा लग रहा है कि अब देश में युद्ध होगा।”
खलिस्तनियों और पाकिस्तनियों के पैसों से देश के ख़िलाफ़ जंग करना चाहते हैं यह भाई साहब !
देश ने चूड़ियाँ नहीं पहनी है टिकैत जी ! pic.twitter.com/T6hXNLiGTa— Ashoke Pandit (@ashokepandit) July 16, 2021
राकेश टिकैत के दिए गए इस बयान के बाद से इन्हें खूब ट्रोल किया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स कई तरह के कमेंट इनके बयान पर कर रहे हैं। फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने भी राकेश टिकैत के बयान की वीडियो शेयर करते हुए एक ट्वीट किया। राकेश टिकैत के बयान पर तंज कसते हुए अशोक पंडित ने ट्वीट करते हुए कहा कि ”ये भाई साहब खालिस्तानियों और पाकिस्तानियों के पैसे से देश के खिलाफ जंग छेड़ना चाहते हैं। देश ने चूड़ियां भी नहीं पहनी हैं टिकैत जी।”
जबकि अजीत ठाकुर नाम के एक यूजर ने लिखा, ”युद्ध और गृहयुद्ध की बात करते हुए राकेश जी हताश हो गए हैं। आप बहुत ज्यादा बोल रहे हैं, देशद्रोह का मामला नहीं होना चाहिए। नारायण रूपाणी नामक एक यूजर ने लिखा कि ‘बिल्कुल, आप इस आंदोलन को बिना हिंसा और निर्दोषों का खून बहाए खत्म नहीं जबकि आयुष नाम के एक यूजर ने लिखा, “जंग? लगता है आप खुद पर UAPA थोपने से सहमत हो जाएंगे।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा पिछले साल ही तीन नए कृषि कानूनों को मंजूरी दी गई है। इन कानूनों के विरोध में ही किसान दिल्ली की सीमा पर धरना दे रहे हैं। इस धरने के दौरान दिल्ली में हिंसा भी की गई थी। जिसमें कई पुलिसवाले घायल हुए थे। वहीं सरकार बातचीत के जरिए इस मसले को हल करना चाहती है और इन कानूनों में संशोधन करने को तैयार भी है। लेकिन किसान नेता कानून वापस लेने की जिद पर अड़े ड़े हुए हैं। किसान नेताओं और सरकार के बीच इस मसले पर कई दौर की बैठक भी हो चुकी है। जिसका कोई नतीजा अभी तक नहीं निकला है। अपनी बात मनवाने के लिए किसान दिल्ली की सीमाओं पर कई महीनों से धरना दे रहे हैं।