जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाया करती थी आशा कंडारा, अब बनी SDM- पढ़ें इनकी कहानी
जोधपुर की आशा कंडारा ने वो कर दिखाया है। जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। आशा कंडारा एक सफाईकर्मी के तौर पर कार्य करती थी और आज एक असफर बन गई हैं। सफाईकर्मी आशा कंडारा ने दिन रात मेहनत करके आज ये मुकाम हासिल किया है। आशा कंडारा की जिंदगी लाखों युवाओं के लिए मिसाल है। जो कि जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं।
पास की सबसे बड़ी परीक्षा
आशा ने राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा आरएएस का पेपर दिया था। जिसका कुछ दिन पहले नतीजा आया है। आशा ने अच्छी रैंक के साथ ये परीक्षा पास कर सफलता का परचम लहराया है। हालांकि ये सफर तय करना आशा के लिए आसान नहीं था। आशा बेहद ही गरीब परिवार से आती थी। अपना खर्च उठाने के लिए आशा ने सफाईकर्मी के तौर पर काम किया। काम करते हुए आशा ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और दिन रात मेहनत की।
जोधपुर नगर निगम उत्तर में बतौर सफाईकर्मी काम करने वाली आशा ने साल 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी और इस परीक्षा को अब पास भी कर लिया। अपनी कड़ी मेहनत के बल पर ही आशा अब राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिये चयनित हो गई है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से मंगलवार रात को ही आरएएस परीक्षा-2018 का नतीजा आया है। घोषित किए आरएएस परीक्षा-2018 के परिणामों में आशा ने 728वीं रैंक प्राप्त की है और एक रात के अंदर ही आशा कंडारा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है। कई सालों तक नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी के तौर पर कार्य करने वाली आशा अब अधिकारी बनने जा रही हैं।
हैं दो बच्चों की मां
आज जिस मुकाम पर आशा पहुंची है। वहां तक पहुंचने के लिए इन्होंने केवल संघर्ष ही किया है। आशा के सिर पर दो बच्चों की जिम्मेदारी है। दरअसल आशा कंडारा अपने पति के साथ नहीं रहती है। आशा के अनुसार 8 साल पहले पति से अनबन होने के कारण इन्होंने घर को छोड़ दिया था। आशा के ऊपर अपने दो बच्चों के पालन की पूरी जिम्मेदारी आ गई थी। लेकिन आशा ने हिम्मत नहीं हारी।
अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए आशा ने सफाईकर्मी का काम शुरू किया। ताकि वो कुछ पैसे कमा कर अपने परिवार का खर्च उठा सके। हालांकि अपनी जिम्मेदारी को उठाने के साथ साथ आशा ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। दिन में सफाई करने के बाद आशा घर आकर पढ़ाई करने लग जाती थी।
आशा कंडारा ने अपने इस सफर के बारे में बता करते हुए बताया कि नगर निगम में काम करने के दौरान वो स्कूटी से जाती थी। जहां ड्यूटी होती वहां झाड़ू निकालकर साफ सफाई करती। लेकिन नगर निगम में बैठे अफसरों को देखकर उसके मन में भी अफसर बनने का जुनून पैदा हुआ। आशा ने तभी से ये परीक्षा देने का मन बना लिया। ग्रेजुएशन करने के बाद आशा ने आरएएस की तैयारी शुरू कर दी और अपना पूरा ध्यान केवल कामयाब होने पर ही लगाया। आखिरकार आशा को उसकी कड़ी मेहनत का फल मिल गया।