अध्यात्म

इस कारण शादी के बंधन में नहीं बंधे प्रेम के रूपक राधा और कृष्ण। क्या आप भी पहले से जानते हैं यह कारण…

रुक्मिणी के प्रेम पत्र की वज़ह से राधा कृष्ण नही हो पाएं एक, जानिए क्या है पूरी कहानी...

राधा और कृष्ण ये दो नाम ऐसे हैं कि इन्हें जब भी स्मरण किया जाता है। तो दोनों नाम एक साथ लिए जाते हैं। इतना ही नहीं हम सभी राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानियां सुनते-सुनते ही बड़ें हुए हैं। उनकी दोस्ती, प्यार और साथ रहने की कहानियां हम सभी ने टीवी पर देखी और सुनी है। ऐसा कहते हैं कि इन दोनों का प्यार दुनिया में सबसे सच्चा प्रेम रहा। राधा कृष्ण की कहानी ने ही हमें और आपको प्यार के सही मायने सिखाएं। उनका नाम ही प्रेम का ‘रूपक’ बन गया। लेकिन क्या आपको पता है कि राधा और कृष्ण ने कभी शादी नहीं की थी?

Radha Krishna

अब हो सकता कि आप कहें हां हमें तो पता है कि इन दोनों ने शादी नहीं की थी। तो चलिए क्या आपको यह भी पता है कि इन्होंने शादी क्यों नहीं की थी? यह तो उम्मीद किया जा सकता कि राधा और कृष्ण ने शादी क्यों नहीं की थी। यह बहुतों को पता नहीं होगा। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे कारण बताते है जिसकी वज़ह से ‘प्रेम के रूपक’ कहें जाने वाले ये दोनों कभी शादी के बंधन में नहीं बंध पाएं। सोचिए जिस कृष्ण के पहले राधा का नाम आता हो। वे एक दूसरे के बिना कैसे रह सकते थे? फ़िर भी कृष्ण ने शादी-ब्याह रचाया तो रुक्मिणी के साथ। आइए जानते हैं राधा कृष्ण के शादी न करने के कुछ ठोस कारणों को…

why radha and krishna not married

बता दें राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम को श्राप देने के पीछे कई कहानियां हैं। हालांकि, इनमें से दो सबसे प्रसिद्ध कहानियां हैं। जिसकी वज़ह से राधा और कृष्ण एक नहीं हो सकें। पहली कहानी यह कहती है कि श्रीदामा भगवान कृष्ण के भक्त थे। वह इस बात को पचा नहीं पाए कि श्रीकृष्ण का भक्त होने के बाद भी उन्हें कृष्ण से प्रार्थना करने के लिए सबसे पहले राधा का नाम क्यों लेना पड़ता है। ऐसे में उन्होंने ‘राधे-कृष्ण’ वाक्यांश को कभी स्वीकार नहीं किया। उनका मानना ​​था कि भक्ति प्रेम से परे है और प्रेम केवल एक दिखावा है। इसके अलावा, वह इस तथ्य को भी हज़म नहीं कर सकें कि वह जो कुछ भी श्री कृष्ण को देते हैं, कृष्ण पहले राधा रानी को क्यों दे देते हैं। ऐसे में श्रीदामा नाराज हो गए और उन्होंने राधारानी को कृष्ण के बिना 100 साल तक रहने का श्राप दे दिया।

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वहीं इसी 100 साल के श्राप वाली कहानी ब्रह्मवैवर्त पुराण में थोड़ा अलग प्रकार से पढ़ने को मिलती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, पृथ्वी पर आने से पहले राधा की एक बार कृष्ण की सेविका श्रीदामा से बहस हो गई थी। ऐसे में राधारानी क्रोधित हो गईं और श्रीदामा को उन्होंने राक्षस के रूप में पैदा होने का श्राप दे दिया। बदले में श्रीदामा ने भी राधा को श्राप दे दिया कि वह एक मानव के रूप में जन्म लेंगी और अपने प्रियतम से 100 साल के लिए बिछड़ जाएगी। उसके बाद उन्हें फिर से श्रीहरि की संगति प्राप्त होगी और वे गोकुल को वापस लौटेंगी। तो यह कहानी तो रही श्रीदामा से सम्बंधित। जिसे अलग-अलग जगह अलग-अलग प्रसंग के हिसाब से बताया गया है। लेकिन जिसका लब्बोलुआब यही है कि राधा को श्राप की वज़ह से कृष्ण से दूर रहना पड़ा।

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वहीं एक और कहानी हमें बताती है कि एक दिन राधा रानी को चिढ़ाने के लिए, कृष्ण अपने अन्य दोस्तों से बात कर रहे थे। इससे राधा और भी अधिक क्रोधित हो उठी और वह अपना क्रोध कृष्ण पर निकालने लगी। यह सब श्रीकृष्ण के भक्त श्रीदामा ने देखा, जो राधा रानी के व्यवहार को उचित नहीं समझते थे। ऐसे में उन्होंने राधा रानी को श्राप दे दिया और इसलिए वह श्रीकृष्ण से अलग हो गई।

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राधा और कृष्ण एक जीवात्मा, सिर्फ़ शरीर अलग-अलग…

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वहीं राधा और कृष्ण से जुड़ी कई कहानियां हमें बताती हैं कि ये दोनों अलग-अलग नहीं थे। ये दोनों शरीर भले अलग-अलग धारण किए हुए थे, लेकिन इनकी आत्मा एक ही थी। ऐसे में दोनों शादी कैसे कर सकते थे? हम सभी को पता है कि शादी करने के लिए दो लोगों की जरूरत है, लेकिन राधा और कृष्ण एक आत्मा थे, वे एक दूसरे से अलग नहीं थे, वे एक दूसरे में रहते थे और इसे साबित करने के लिए उन्हें शादी की कोई जरूरत नहीं थी।

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इतना ही नहीं कहीं कहीं देखने और पढ़ने को मिलता है कि श्रीकृष्ण और राधा एक दूसरे रूप से आत्मीय तौर पर जुड़े हुए थे इसीलिए हमेशा उन्हें ‘राधा-कृष्ण’ कहा जाता है। रुक्मिणी-कृष्ण नहीं। रुक्मिणी ने भी श्रीकृष्ण को पाने के लिए बहुत जतन किए थे। वह अपने भाई रुकमी के खिलाफ चली गई थीं। रुक्मिणी भी राधा की तरह श्रीकृष्ण से प्यार करती थीं, रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को एक प्रेम पत्र भी भेजा था कि वह आकर उन्हें अपने साथ ले जाएं। रुक्मिणी ने प्रेम-पत्र में 7 श्लोक लिखे थे। रुक्मिणी का यह प्रेम पत्र श्रीकृष्ण के दिल को छू गया और उन्हें रुक्मिणी का अनुरोध स्वीकार करना पड़ा। इस तरह रुक्मिणी श्रीकृष्ण की पहली पत्नी बन गईं।

 

लक्ष्मी का अवतार थी रुक्मिणी…

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वहीं कई जगह यह पढ़ने को मिलता है कि रुक्मिणी लक्ष्मी जी की अवतार थी और भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार थे। जिन्होंने कंस का अंत करने के लिए जन्म लिया था। रुक्मिणी भी भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का अवतार थीं। रुक्मिणी और कृष्ण का एक साथ होना तय था क्योंकि वे विष्णु और लक्ष्मी थे। भले ही कृष्ण राधा के साथ खेलते हुए बड़े हुए और उनके करीब रहे, लेकिन वो रुक्मिणी ही थी। जिनके साथ कृष्ण वास्तव में थे।

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इन कहानियों और मान्यताओं के अलावा भी राधा और कृष्ण की शादी ने होने को लेकर बातें बताई गई हैं। एक कहानी यह बताती है कि राधा और कृष्ण एक-दूसरे को प्यार करते थे। यह सच है, लेकिन यह प्यार भौतिक या शारीरिक नहीं था। वे एक-दूसरे से प्यार करते थे लेकिन सामान्य शारीरिक अर्थों में नहीं। राधा रानी को पहले ही एहसास हो गया था कि कृष्ण कोई आम आदमी नहीं हैं। वे एक दिव्य पुरुष हैं। ऐसे में वह उनसे प्यार ऐसे करती थी जैसे एक भक्त भगवान से प्यार करता है। राधा कृष्ण से ‘भक्ति भाव’ से प्यार करती थी, वासना से नहीं। कृष्ण के प्रति उनका प्रेम भौतिकता से परे था, कृष्ण के प्रति उनका प्रेम दिव्य था। राधा और कृष्ण ने कभी शादी क्यों नहीं की, इसके पीछे ये सबसे लोकप्रिय सिद्धांत रहा है। ऐसे में अगर यह कहानी आपको पसंद आई हो तो हमें कमेंट कर अवश्य बताएं और ऐसी ही अन्य रोचक और दिलचस्प कहानियों के लिए बनें रहें ‘न्यूज़ट्रेंड’ के साथ, क्योंकि ट्रेंड में बनें रहना है ज़रूरी।

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